धारणा: इस स्तर पर, एक लीडर अधीनस्थों के साथ संबंध विकसित करना शुरू कर देता है। वह उनकी ताकत, प्रेरणा और कार्यशैली समझने की कोशिश करता है। उन्हें जानने और उनसे जुडऩे के लिए एक लीडर को उनके दृष्टिकोण से देखने की जरूरत होती है। यह उसे पारिस्थितिकी तंत्र में समायोजित करने और रणनीतिक प्रयास पुन: शुरू करने में मदद करने के बाद, अगले स्तर की ओर ले जाता है।
परिणाम/प्रदर्शन: इस चरण में, लीडर कार्य को पूर्ण करने हेतु अपनी व्यवहारकुशलता, संचार और योजना कौशल का लाभ उठाता है। वह सभी से तालमेल विकसित करता है।
समग्र विकास: इस स्तर पर, एक लीडर सभी को सशक्त बनाने, उनके विकास में योगदान का प्रयास करता है। वह प्रतिभाशाली व होनहार अधीनस्थों का संरक्षक बन जाता है, और इस प्रकार नए लीडर व प्रबंधकों को तैयार करता है। इससे अधीनस्थों के लक्ष्य, संगठन के लक्ष्यों से जुड़ते हैं और नेतृत्व कौशल व मूल्य, संगठन का अभिन्न अंग बन जाते हैं।
सर्वोच्च शिखर: यह नेतृत्व का उच्चतम स्तर है, जहां लीडर अपने क्षितिज का विस्तार करता है, यानी वह एक दीर्घकालिक दृष्टि विकसित करता है और न केवल संगठन, बल्कि उद्योग, स्थानीय समुदाय और अन्य हितधारकों के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध होता है। साथ ही, वह पारिस्थितिक और सामाजिक संदर्भ में अपने निर्णयों के प्रभाव का आकलन करता है। वह आजीवन दूसरों के लिए उच्च मूल्य का योगदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित होता है।