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भरपूर नींद बचाती है बीमारियों से और बनाती है बेहतर सेहत

Published: Mar 17, 2023 09:39:54 pm

Submitted by:

Patrika Desk

अच्छी नींद के लिए हमें स्वयं भी अपने स्तर पर पहल करनी होगी और कुछ स्वस्थ आदतें जीवन में अपनानी होंगी, जिसे हम स्लीप हाइजीन से परिभाषित करते हैं। नींद के मामले में हमें अपने आप को अनुशासित करना होगा। यानी रात्रि में निर्धारित समय पर सोएं और प्रात: निर्धारित समय पर बिस्तर छोड़ें।

भरपूर नींद बचाती है बीमारियों से और बनाती है बेहतर सेहत
भरपूर नींद बचाती है बीमारियों से और बनाती है बेहतर सेहत
डॉ. पंकज जैन
एसोसियेट प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज, कोटा

एक आइरिश कहावत के अनुसार 'अच्छी हंसी और लम्बी नींद सेहत के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए जितनी हमें शारीरिक श्रम व पौष्ठिक आहार की जरूरत है उतनी ही जरूरत गुणवत्ता युक्त अच्छी नींद की भी है, किन्तु आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इसकी अनदेखी हो रही है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के अध्ययन के अनुसार एक तिहाई से अधिक अमरीकी युवा नियमित रूप से पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहे हैं, जिसके चलते दिन में काम के समय ये स्वयं को सुस्त महसूस करते हैं। हालांकि अकेला अमरीका ही नहीं, वरन अन्य कई देश जैसे यूके, जापान, जर्मनी और कनाडा भी इस समस्या से जूझ रहे हैं।
नींद की यह कमी व्यस्त जीवन शैली के चलते हो सकती है। साथ ही मानसिक तनाव, अत्यधिक शराब के सेवन, धूम्रपान, शारीरिक श्रम की कमी व इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के अत्यधिक उपयोग के कारण भी हो सकती है। नींद नहीं आने की बीमारी को इनसोमनिया कहते हैं। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार यह सामने आया है कि 10 से 30 प्रतिशत युवा व 30 से 48 प्रतिशत बुजुर्ग इनसोमनिया की पुरानी समस्या से ग्रसित हंै। इनसोमनिया के प्रारंभिक लक्षणों में सोचने की क्षमता का कम होना, याददाश्त की कमी, निर्णय क्षमता में कमी, चिड़चिड़ापन, शारीरिक ऊर्जा की कमी, ध्यान केंद्रित करने में कमी प्रमुख है। यह एक चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि अपर्याप्त नींद स्वास्थ्य को तो प्रभावित करती ही है, साथ ही कार्य स्थल पर निस्तेजता के चलते देश की सकल घरेलू उत्पादकता को भी प्रभावित करती है। एक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार अपर्याप्त नींद के चलते अकेले अमरीका को प्रतिवर्ष 411 बिलियन डॉलर की आर्थिक हानि तो उठानी पड़ती ही है, साथ ही अनिद्रा से सम्बंधित समस्याओं के लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य खर्च भी उठाना पड़ता है। नींद का सीधा असर मनुष्य के संज्ञानात्मक प्रदर्शन पर भी पड़ता है। अपर्याप्त नींद से सड़क दुर्घटनाएं, औद्योगिक दुर्घटनाएं व अस्पतालों में इलाज सम्बंधित चूक आम है। अमरीका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के अनुसार नींद भरी ड्राइविंग प्रति वर्ष अमरीका में 6000 से अधिक गंभीर कार हादसों के लिए जिम्मेदार है। एक शोध के अनुसार अपर्याप्त नींद मृत्यु के 15 अग्रणी कारणों से सीधा सम्बन्ध रखती है, जिनमें हृदय रोग, कैन्सर, लकवा, सड़क हादसे, मधुमेह, उच्च रक्त चाप व सेप्टीसीमिया शामिल हंै। नींद सम्बन्धी समस्याओं को कम करने व इससे जुड़ी बीमारियों के उचित रोकथाम और प्रबंधन के लिए वल्र्ड स्लीप सोसायटी द्वारा प्रतिवर्ष विश्व निद्रा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व निद्रा दिवस की थीम है 'स्वास्थ्य के लिए नींद आवश्यक हैÓ। स्लीप फाउंडेशन के अनुसार 18 से 64 आयु वर्ग के लिए 7 से 9 घंटे और 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए 7 से 8 घंटे की गुणवत्ता युक्त नींद अति आवश्यक है।
अच्छी नींद के लिए हमें स्वयं भी अपने स्तर पर पहल करनी होगी और कुछ स्वस्थ आदतें जीवन में अपनानी होंगी, जिसे हम स्लीप हाइजीन से परिभाषित करते हैं। नींद के मामले में हमें अपने आप को अनुशासित करना होगा। यानी रात्रि में निर्धारित समय पर सोएं और प्रात: निर्धारित समय पर बिस्तर छोड़ें। अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, टीवी शयन कक्ष से सारे बाहर करें। शयन कक्ष को शांत, रोशनी रहित व तापमान की दृष्टि से आरामदायक बनाएं। सोने से पहले गरिष्ठ भोजन, कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ और अल्कोहल से परहेज करें। नियमित व्यायाम करें। शारीरिक श्रम को तरजीह दें। सोते समय सकारात्मक विचार रखें। अनावश्यक तनाव से बचें। अधिकांश नींद सम्बन्धी विकार व दुष्परिणाम रोके जा सकने योग्य या उपचार योग्य हंै। इसलिए हमें इस दिशा में सतर्क और सावधान रहना चाहिए।
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