scriptवादों का जंजाल | General Election 2019: BJP Manifesto, 75 promises | Patrika News

वादों का जंजाल

locationजयपुरPublished: Apr 09, 2019 03:56:07 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

अब समय आ गया है जब कानून बनाया जाए कि राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्रों में वही वादे करें, जो वास्तव में पूरे हो सकते हैं। घोषणा पत्रों का सालाना ऑडिट भी होना चाहिए।

BJP Manifesto

BJP Manifesto

आम चुनाव में जनता को रिझाने के लिए दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। कांग्रेस ने पांच दिन पूर्व ‘जन आवाज और हम निभाएंगे’ के वादे के साथ 2019 के आम चुनावों में जनता के समक्ष अपने लक्ष्य रखे तो भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को आजादी के 75वें वर्ष में 75 संकल्पों का घोषणा पत्र जारी कर दिया। इसे ‘संकल्पित भारत, सशक्त भारत’ नाम दिया गया है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रेल को होगा। कुल सात चरण होंगे। 19 मई को मतदान समाप्त होगा और 23 मई को परिणाम सामने आ जाएंगे। कांगे्रस ने जनता को न्याय योजना के तहत वार्षिक नकद लाभ के साथ राजद्रोह के अपराध सम्बन्धी आईपीसी की धारा 124 ए को समाप्त करने, सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून, 1958 (अफ्स्पा) में संशोधन, धारा 370 से छेड़छाड़ नहीं करने और रोजगार के वादे किए वहीं भाजपा ने समान नागरिक संहिता बनाने, राममंदिर निर्माण बनाने के संकल्प, कश्मीर से अनुच्छेद 35ए हटाने और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 50 उत्कृष्ट संस्थान स्थापित करने का दावा किया है।

कांग्रेस की तरह यहां भी किसानों को मुख्य लक्ष्य बनाया गया है। ग्रामीण विकास पर 25 लाख करोड़ रुपए, 2022 तक किसानों की आय दोगुना, किसान क्रेडिट कार्ड पर 1 लाख रुपए का पांच साल तक कर्ज ब्याज मुक्त, वृद्ध किसानों को पेंशन देना जैसे तमाम ‘लॉलीपॉप’ इस संकल्प पत्र में हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बावजूद सरकारें अभी तक आम आदमी का जीवन स्तर उठा क्यों नहीं पाईं, उसे आत्मनिर्भर, शिक्षित क्यों नहीं बना पाईं। आज भी देश का किसान ऋण लेने पर मजबूर क्यों है? युवाओं को सामाजिक सुरक्षा, रोजगार क्यों नहीं है? नारी शक्ति क्यों अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है? बराबरी की बात करने वाले राजनीतिक दल क्यों अभी तक संसद में ही स्त्रियों को 33 फीसदी स्थान नहीं दे पा रहे हैं? हर व्यक्ति को पक्का मकान अगले 50 वर्षों में भी मिल जाए तो गनीमत है। निर्यात गिरा है, आयात बढ़ा है। जीडीपी की दर असामान्य है। फिर हम किस मुंह से ऐसे लोक लुभावन वादे कर देते हैं? राहुल गांधी कहते हैं, 72 हजार रुपए साल पांच करोड़ परिवारों की आय सुनिश्चित होगी। आज न्यूनतम मजदूरी पाने वाला 12 हजार कमा लेता है। फिर उसके परिवार की आय शामिल की जाए तो इससे ज्यादा बैठती है, फिर कांग्रेस किसे पैसे देगी? कहां से देगी?

‘ना नौ मन तेल होगा, ना राधा नाचेगी।’ कहावत तो सभी जानते हैं। पिछले पांच वर्षों में दो करोड़ रोजगार? क्या हुआ? जवाब सबके गोलमोल हैं। अब समय आ गया है जब कानून बनाया जाए कि राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्रों में वही वादे करें, जो वास्तव में पूरे हो सकते हैं। घोषणा पत्रों का सालाना ऑडिट हो और घोषणाओं की बाकायदा जवाबदारी तय हो। वरना वादों-झांसों का दौर हर साल-दर-साल चुनाव में ऐसे ही जनता झेलती रहेगी। और मतदान के बाद ‘सींगों’ की तरह गायब होने वाले नेताओं को ढूंढती रह जाएगी। समय बदलना है तो जवाब मांगिए। ये बचकर न निकल पाएं ऐसे जतन होने चाहिए।

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