Patrika Opinion: धरती की सेहत के लिए महाअभियान जरूरी
Published: Nov 20, 2022 10:29:33 pm
सम्मेलन में कबूल किया गया कि पिछले सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जो संकल्प किया गया था, वह पूरा नहीं हो सका। सभी 197 देशों ने फिर कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी लाने का संकल्प किया है।


जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर धरती की हालत ‘मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की’ वाली है।
दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या जितनी गंभीर होती जा रही है, इससे निपटने के गंभीर प्रयासों का उतना ही अभाव महसूस हो रहा है। मिस्र में अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-27) में मौसम में अप्रत्याशित बदलाव के कारण गरीब देशों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए धन मुहैया कराने समेत अन्य अहम मुद्दों को लेकर गतिरोध ने इस कड़वी हकीकत को फिर रेखांकित कर दिया कि अमीर देश इस वैश्विक समस्या के प्रति कितने गंभीर हैं। हालांकि सम्मेलन के समापन पर ‘नुकसान और क्षति’ कोष स्थापित करने पर सहमति बन गई, लेकिन यह कोष कब तक बनेगा और किस तरह काम करेगा, यह स्पष्ट नहीं है। सम्मेलन में कबूल किया गया कि पिछले सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जो संकल्प किया गया था, वह पूरा नहीं हो सका। सभी 197 देशों ने फिर कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी लाने का संकल्प किया है। कॉप-27 से इसलिए भी काफी उम्मीदें थीं कि जलवायु परिवर्तन से पिछले एक साल में दुनिया में हालात और बिगड़े हैं।