सरकार की लाचारी एवं बेचारगी इसी से समझी जा सकती हैं कि वह जिला कलक्टरों के माध्यम से आमजन के लिए अपील जारी करवा रही है। बानगी के रूप में श्रीगंगानगर जिला कलक्टर की इस अपील को लिया जा सकता है, जिसमें वो आमजन से 25 एवं 26 सितंबर को कम से कम यात्रा करने का आग्रह कर रहे हैं। तर्क दिया जा रहा है कि दो दिन यातायात का भारी दवाब रहेगा, आने-जाने में परेशानी होगी, लिहाजा अति आवश्यक होने पर ही घर से निकलें या जरूरी काम परीक्षा से दो दिन पहले ही कर लें।
इधर, रोडवेज बसों को जिला कलक्टरों के अधीन कर दिया गया है। इस कारण आम यात्री पांच दिन तक रोडवेज बसों में यात्रा वैसे भी नहीं कर सकेंगे। उनके लिए डीलक्स, एसी स्लीपर और सुपर लग्जरी बसों में यात्रा का विकल्प खुला रखा गया है, जबकि किराए के अंतर का सवाल अनुत्तरित छोड़ा गया है। इसके अलावा आम बसों में यात्रा करने वाले रोगियों के लिए क्या विकल्प होगा? इन्हीं सवालों के बीच बड़ा सवाल यह भी है कि निजी बसों को लेकर भी अभी तक कोई स्पष्ट गाइडलाइन सामने नहीं आई है। निजी बसों में मनमाना किराया वसूलने की शिकायतें सामान्य दिनों में ही आती रहती हैं।
बहरहाल, अभ्यर्थियों की संख्या तथा संसाधनों को देखते हुए इतना बड़ा आयोजन एक दिन में शांतिपूर्वक बिना किसी व्यवधान या परेशानी के कैसे संभव होगा, इस बारे में समय रहते विचार किया जाना चाहिए था। जब पंचायतीराज चुनाव कई चरणों में हो सकते हैं तो ऐसी परीक्षाएं क्यों नहीं? रीट के चलते सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं निरस्त कर दीं, जबकि सहायक आचार्य (कॉलेज शिक्षा) की परीक्षा बुधवार से शुरू हुई और ९ अक्टूबर तक चलेगी। यहां भी सरकार का दोहरा मापदंड दिखाई दे रहा है। (म.सिं.)