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सरकारी ही सही, प्रयास तो अच्छा ही है

locationसूरतPublished: Dec 05, 2019 08:46:26 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

प्रवासी राजस्थानी समाज यूं तो एक ही है लेकिन, सरकारी स्तर पर इसे नए ढंग से एकसूत्र में पिरोने के शुरू किए प्रयास अच्छे ही कहे जा सकते है
राजस्थान सरकार की नीति व नीयत दोनों में ही ईमानदारी जरूरी

सरकारी ही सही, प्रयास तो अच्छा ही है

सरकारी ही सही, प्रयास तो अच्छा ही है

सूरत. सिल्कसिटी सूरत महानगर में दशकों से बसा प्रवासी राजस्थानी समाज यूं तो एक ही है लेकिन, सरकारी स्तर पर इसे नए ढंग से एकसूत्र में पिरोने के शुरू किए गए प्रयास अच्छे ही कहे जा सकते है। बशर्तें इसमें राजस्थान सरकार की नीति व नीयत दोनों में ही ईमानदारी लम्बे समय तक रहना जरूरी है। हाल ही में राजस्थान सरकार के एनआरआई डिपार्टमेंट गठित राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त धीरज श्रीवास्तव दो दिवसीय दौर पर सूरत आए और उन्होंने छोटी-बड़ी बैठकों के माध्यम से शहर में बसे प्रवासी राजस्थानियों का मन टटोला। इसमें कुछ खट्टे और कुछ मीठे अनुभव का स्वाद भी उन्हें चखना पड़ा लेकिन, कुल जमां राजस्थान सरकार के श्रीवास्तव के माध्यम से किए गए प्रयासों को फिलहाल प्रवासी राजस्थानियों के संगठित भविष्य के लिए बेहतर ही कहा जा सकता है। श्रीवास्तव ने कहा भी हम आपके बारे में बेहद अच्छे से जानते है, अब आप हमें जानिए और उसमें वक्त अवश्य लगेगा। इधर, शहर में बसे प्रवासी राजस्थानी समाज की बात की जाए तो वह कई दशकों से यहां पर आबाद है मगर गत दो दशक में इसकी सक्रियता अवश्य अधिक बढ़ी है। इतना ही नहीं प्रवासी राजस्थानियों के पूर्व परिचित अग्रवाल, जैन, माहेश्वरी समाज के अलावा राजपूत, जाट, विप्र, माली, सीरवी, घांची समेत अन्य समाज ने भी सामाजिक स्तर पर अपनी सक्रियता के माध्यम से विशेष जगह बनाई है। आर्थिक क्षेत्र में प्रवासी राजस्थानियों के योगदान का जिक्र तो जितना भी किया जाए वो उतना ही कम होगा क्योंकि कपड़ा उद्योग ही नहीं बल्कि हीरा उद्योग, ट्रांसपोर्ट, कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट समेत सभी छोटे-बड़े उद्योग में समाज की मजबूत उपस्थिति है। सामाजिक क्षेत्र में राजस्थानी संस्कृति व परम्परा का ताने-बाने की भी सूरत में काफी पुरानी बुनावट है लेकिन ढाई दशक से इसे नई पहचान राजस्थान युवा संघ ने अपने परम्परागत फागोत्सव के माध्यम से दी है। इसके बाद इस कड़ी में गणगौर पर्व जुड़ा और समूचे सूरत नगरी को त्योहार के उल्लास व उत्साह के रंग में भर दिया। वहीं, भक्ति मार्ग के माध्यम से श्रीश्याम मंदिर, सूरतधाम ने धार्मिकता के क्षेत्र में प्रवासी राजस्थानियों को शहर ही नहीं बल्कि गुजरातभर में अनूठी पहचान दी है। सामाजिक-धार्मिक क्षेत्र में इतनी बेहतर स्थिति में भी राजस्थान सरकार के राजस्थान फाउंडेशन का प्रवासी राजस्थानियों को एकसूत्र में पिरोकर उनके बीच जगह बनाने का प्रयास इसलिए बेहतर कहा जा सकता है कि वे जिन योजनाओं पर भविष्य में काम करने वाले है, उसमें सभी का हित संभव है क्योंकि अधिकारी ने एक क्लिक पर यहां बैठे-बैठे प्रवासी राजस्थानियों को राजस्थान में अपने जिले की तहसील के मूल गांव-कस्बे में सभी तरह की सरकारी सहुलियत का दावा किया है। लेकिन, इससे पहले वे प्रवासी राजस्थानियों के बीच स्वयं सेतु बनकर राजस्थानी माटी से जोडऩा चाहते है और उसी दिशा में सकारात्मक प्रयास के साथ एक बार फिर से राजस्थान सरकार ने कदम बढ़ाए है। राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त धीरज श्रीवास्तव की मानें तो ज्यों-ज्यों समय बीतेगा त्यों-त्यों इन सकारात्मक प्रयासों का रंग निखरेगा और वो रंग सूरत समेत अहमदाबाद, मुंबई, चैन्नई, कोएम्बटूर, बेंगलुरू, कोलकाता में बसे प्रवासी राजस्थानी समाज पर पहले चढ़ेगा।

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