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विश्वविद्यालयों में GST को लेकर एक नीति बनें

locationउदयपुरPublished: Jan 20, 2022 10:46:35 am

Submitted by:

Sandeep Purohit

जीएसटी के मुद्दे पर सभी विश्वविद्यालयों की एक नीति होनी चाहिए। हमारे जनप्रतिनिधियों व सरकार का दायित्व है कि इस पर एक नीति बनें। ताकि दूसरे विश्वविद्यालयों मेंं इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो।

gst नए साल से जूते हो जाएंगे महंगे, एक हजार तक के जूते पर लगेगा 12 फीसदी जीएसटी

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संदीप पुरोहित

विश्वविद्यालयों में GST को लेकर एक नीति बनें मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध प्राइवेट कॉलेजों से फीस के साथ ली जानी वाली जीएसटी का मुद्दे ने पूरी तरह राजनीतिक रंग ले लिया है। इसमें राजनीति के बिना एक नीति बनाने की आवश्यकता है। शिक्षा के मंदिर को दांव पर लगाना उचित नहीं है। इस मुद्दे को उछालने के बजाए सभी पक्षों को मिल बैठकर सुलझाना चाहिए था। प्राइवेट कॉलेज के प्रबंधकों ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से जिस तरह से दुव्र्यवहार किया वह अनुचित था, उन्हें भी गरिमा व व्यवहार का ध्यान रखना चाहिए था। ऑडिट पैरा से निकले जीएसटी के जिन ने पूरे शिक्षा जगत की कार्य पद्धति की पोल खोल दी है। बजाय समझाइश के कुलपति एक धड़े के साथ खड़े हो गए, यह उचित नहीं है। विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार व कुलपति आमने-सामने होते रहे हैं, यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। सरकार को इसका स्थायी हल निकालना चाहिए। एक हल यह भी हो सकता है कि सभी विश्वविद्यालयों के अधिकारियों की सेवाओं को एक कर उसमें रजिस्ट्रार का कैडर बनाया जाए। संभवत: इससे विवाद कम हो सकता है।

जीएसटी वसूली का यह मुद्दा अलग विषय हो सकता है, लेकिन अगर पूर्व में सेवाकर वसूला नहीं जा रहा था तो जीएसटी के बारे में सोच विचार किया जाना चाहिए। ऐसे मुद्दों में कुलपति व रजिस्ट्रारों को विश्वविद्यालय की गरिमा का ध्यान रखना होगा, अन्यथा ऐसी घटनाओं से शिक्षा के मंदिर दागदार होते रहेंगे। छात्रों की शिक्षा पर अंतिम मुहर विश्वविद्यालयों में ही लगती है, यहीं से देश का भविष्य बाहर आता है। वो क्या सीख कर जाएंगे इन सब घटनाओं से।

हमारे जनप्रतिनिधियों को भी संयम बरतना चाहिए। अगर यह मुहर सही नहीं होगी तो काम कैसे चलेगा। विश्वविद्यालय में आए दिन झगड़े फसाद, अभद्रता के साथ ही गुरुजनों से धक्का मुक्की की घटनाएं भी आम होती जा रही है। इन सबको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, विश्वविद्यालय के कुलपति व प्रोफेसरों को सोचना होगा पर सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में तो अधिकारी व प्राइवेट कॉलेज के संचालक जिस तरह लड़े वह निंदनीय है। इसकी पूरी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए व दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। कार्रवाई इतनी सख्त होनी चाहिए कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

जीएसटी के मुद्दे पर सभी विश्वविद्यालयों की एक नीति होनी चाहिए। हमारे जनप्रतिनिधियों व सरकार का दायित्व है कि इस पर एक नीति बनें। ताकि दूसरे विश्वविद्यालयों मेंं इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो।

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