नई दिल्लीPublished: Jun 02, 2023 05:42:31 pm
Gulab Kothari
आओ बनें जनप्रहरी : बड़ा मौका... अपने आप से सवाल करें, क्या हमें चुप रहना चाहिए? पत्रिका जनप्रहरी अभियान बदलाव के नायकों के लिए एक ऐसा मंच है जो उन्हें राजनीति और समाज में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार कर सशक्त बनाएगा। अभियान तय प्रक्रिया से ऐसे व्यक्तियों को चुनकर प्रशिक्षण देगा, जो देश में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं। पत्रिका का जनप्रहरी अभियान 2018 से चले आ रहे चेंजमेकर्स अभियान का नया रूप है। अभियान के तहत पढ़ें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख - आप उतरें तो अच्छी हो राजनीति
हमारे देश में प्रत्येक कर्म के साथ एक संस्कार जुड़ा रहता है, जो कर्म को प्रतिष्ठित करता है। इसी तरह लोकतंत्र के साथ भी जनमत संग्रह का संस्कार जुड़ा है। इसी से जनप्रतिनिधि का चुनाव होता है। हालांकि, चुनाव शब्द स्वयं 'हार-जीत' में बदल गया है। इसी कारण यहां अर्थ-अनर्थ शब्द ही व्यर्थ हो गए। 'जीतने वाले' भी निश्चित रूप से जनता को शर्मसार करने लगे हैं। चुनाव एक व्यापार जैसा हो गया है। वहीं राजनीतिक दल कॉरपोरेट हाउस बनते जा रहे हैं। इतना ही नहीं, चुनाव खर्च, निवेश का रूप लेता जा रहा है और प्रत्याशी शेयर होल्डर का रूप। इसीलिए सत्ता में आते ही कमाई पर जोर दिया जाता है। पांच साल में इतनी तरह की योजनाएं चल पड़ती हैं कि हर ऐसे शेयरधारक (विधायक-मंत्री) को अपना खर्च भी मिल जाता है, अगले चुनाव के लिए निवेश की राशि भी।