जयपुरPublished: Sep 20, 2023 09:42:26 pm
Gulab Kothari
Gulab Kothari Article: चन्द्रमा : एक वैदिक परिप्रेक्ष्य चन्द्रमा को सर्वथा काला होने के कारण ही कृष्ण कहते हैं। चन्द्रमा सोम पिण्ड है, सोम परमेष्ठी की वस्तु है और परमेष्ठी में भूतज्योति का सर्वथा अभाव है। चन्द्रमा शुक्ल प्रतीत होता है किन्तु ध्यान से देखने पर उसका कृष्णत्व प्रकट हो जाता है।
हम पैदा हुए चन्द्रमा से, पुन: जन्म हुआ चान्द्रमन से। जीवन का सारा वैभव भी चन्द्रमा से और चान्द्र-मन से। यदि मन नहीं हो तो हमारे बुद्धि, महान्-अव्यक्त आदि कुछ नहीं कर सकते। सम्पूर्ण सृष्टि में एक ही पुरुष और एक ही मन होता है। मन पर ही विज्ञान प्रतिष्ठित है। मन पर विज्ञान-सूर्य का प्रतिबिम्ब पड़ता है। इसी के दर्शपूर्णमास* से महान में त्रिगुण भाव पैदा होता है। त्रैगुण्य महान ही चिदात्मा* की योनि है। चिदाभास* नहीं हो तो कुछ भी नहीं।