लोकतंत्र किसके लिए?
Published: Nov 12, 2022 03:49:03 pm
Gulab Kothari Artilcle: बीते कुछ वर्षों में विभिन्न राज्यों में कई नए जिले तो बन गए, लेकिन जनता को इसका लाभ कुछ नहीं हुआ। जनता के सिर नया बोझ ही पड़ा। इसका दर्द किसके दिल में है? सारा खेल आंकड़ों और अफसरों का ही है। जो अतिरिक्त भार जनता पर पड़ा, इसका जिम्मेदार कौन? शासन-प्रशासन की कारगुजारियों पर केंद्रित पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख-


Gulab Kothari Editor-in-Chief of Patrika Group
Gulab Kothari Article: सत्ता में छिपा हुआ एक स्वार्थ होता है, जो उसके अंहकार तथा एक तरफा निर्णय का कारण होता है। जहां सत्ता निरकुंश तक स्वच्छंद हो जाए, वहां जनता के नाम से सत्ताधारियों का हित साधन करने में लग जाती है। आज सरकार पूर्ण मनोयोग से इसी एक सूत्री कार्यक्रम में जुटी है। सारी नई योजना की परिणति सरकारों-नेताओं और अधिकारियों का ही सुख बढ़ा रही है। चाहे शहर की सफाई का ठेका हो, चाहे गरीबों की आवास योजनाएं हों, सब कुछ ठेके पर नीलाम होता है। हर घंटे 140 बच्चे मर रहे हैं और सरकार एक निजी अस्पताल को लाखों मीटर जमीन निर्धारित दर से भी 30 प्रतिशत तक नीचे बांटने में व्यस्त हैं। भरतपुर के एक महान मंत्री सैंकडों की दवा लाखों में खरीदते हैं। उनको कोई शर्म नहीं। मंत्रियों के जोर पर बिल्डर बड़ी-बड़ी रकम खा रहे हैं। जंगलों पर मंत्रियों ने कब्जे कर रखे हैं। कागज पर तो कुछ भी बन जाते हैं।