नई दिल्लीPublished: Aug 26, 2023 01:03:21 pm
Gulab Kothari
Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: 'शरीर ही ब्रह्माण्ड' शृंखला में पढ़ें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख - ध्वनि हमारी माता
Gulab Kothari Article शरीर ही ब्रह्माण्ड: सात लोकों की सृष्टि में पांचवा लोक है-जन:लोक। इसको गो (विद्युत) लोक भी कहते हैं, पितर लोक भी कहते हैं और परमेष्ठी लोक भी कहते हैं। आगे तप: और सत्यम् लोक हैं। सत्यम् ब्रह्मा का, ऋषि प्राणों का लोक है। चूंकि यहां केवल अग्नि प्राण है, अत: बिना सोम के यहां सृष्टि नहीं होती। तप: लोक में इन प्राणों के द्रवण भाव से परमेष्ठी का 'अप्' या 'आप:' तत्त्व पैदा होता है। स्वयंभू (अग्नि) आप: के साथ ब्रह्माण्ड का निर्माण करता है। आप: ही स्वयंभू का स्त्री भाग होता है। इस आप: में क्षार और मधुर दो रस उत्पन्न होते हैं।