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आपकी बात, क्या राजनीतिक दलों की वजह से देश में सौहार्द कम हुआ है?

Published: Feb 11, 2021 05:49:39 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

आपकी बात, क्या राजनीतिक दलों की वजह से देश में सौहार्द कम हुआ है?

आपकी बात, क्या राजनीतिक दलों की वजह से देश में सौहार्द कम हुआ है?

नेताओं का अनुचित रवैया
आज हमारी राजनीति पूर्णरूप से ब्रिटिश शासन के ‘फूट डालो और राज करोÓ की नीति का अनुपालन करती हुई नजर आ रही है। भारतीय राजनीतिक दल भारतीय संस्कृति को अपनाने से कतराते हुए नजर आते हैं, जिससे हमारे यहां आपसी सौहार्द का वातावरण बिगड़ता जा रहा है। बेहतर तो यह है कि राजनीतिक दल समाज में सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने की कोशिश करें। सौहार्द के वातावरण को बिगाडऩे का करने वालों से सावधान रहने की जरूरत है।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर,चूरू
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जनता को भड़काया जा रहा है
राजनीतिक पार्टियों की वजह से देश में सौहार्द कम हो गया है। जनता को भड़काया जा रहा है। राजनीतिक पार्टियां वोट लेने के लालच में जनता में आपसी मतभेद बढ़ा रही हैं, जिससे जातिवाद और सांप्रदायिकता की समस्या भी जटिल होती जा रही है।
-पारुल कुमावत, चौमूं, जयपुर
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विचारधारा की उपेक्षा
देश में राजनीतिक स्तर पर विचारधारा का महत्त्व कम कर एक चेहरे या व्यक्तित्व के महिमामंडन पर बल दिया जा रहा है। इससे राजनीति में विचारों का महत्त्व कम हो रहा है। संसद में भी सभी विचारधारा के लोग नहीं जा रहे हैं, जिससे बहस के स्तर में भी कमी देखने को मिलती है। इसका नुकसान हो रहा है।
-मोहित पाटीदार, धामनोद, मध्यप्रदेश
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राजनीतिक दलों के खिलाफ जनता में गुस्सा
वर्तमान में राजनीतिक दलों का कार्य व्यर्थ की बहसों के माध्यम से मुद्दों को आगे बढ़ाना मात्र रह गया है। भड़काऊ बयानों के जरिए लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जा रहा है। समय रहते हालात नहीं सुधरे, तो वह दिन दूर नहीं जब आम जनता इन दलों के खिलाफ सड़कों पर उतर आएगी।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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राजनीतिक दलों को सुधरने की जरूरत
बेशक राजनीतिक दलों की वजह से देश में सांप्रदायिक सौहार्द में कमी आयी है। प्राय: हम देखते हैं कि राजनीतिक पार्टियों ने अपने वोट बैंक के लिए देश की जनता को जातिवाद और सम्प्रदायवाद में बांट कर रख दिया, जिसका नतीजा यह है कि आज देश में अराजकता का माहौल पैदा हो गया है और देश की जनता खौफ के माहौल में जीने के लिए मजबूर है। राजनीतिक पार्टियों को चाहिए कि वह जातिवाद और संप्रदायवाद से ऊपर उठकर लोकतांत्रिक परंपरा के आधार पर राजनीति करते हुए देश की जनता को एक सूत्र में पिरोए।
-रमेश कुमार लखारा, बोरुंदा जोधपुर
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जरूरी है एकजुटता
यह हमारे लिए बड़े गौरव की बात है कि देश में सांस्कृतिक भिन्नता होने के बावजूद हम सभी एकजुट हैं। इसके बावजूद कुछ कारक हंै, जो सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित करते हैं। इसमें राजनीतिक दल भी बखूबी शामिल हैं। राजनीतिक दल अपने राजनीतिक फायदे के लिए लोगों को सांप्रदायिकता की आग की ओर धकेल रहे हैं। वोट बैंक के लिए लोगों को जातिगत, सामुदायिक एवं धार्मिक तौर पर बांटा जा रहा है। इससे सौहार्द में कमी देखने को मिलती हैं।
-नरेश सुथार, बीकानेर
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वोटों की राजनीति ने बिगाड़ा माहौल
वास्तविकता यही है कि राजनीतिक दलों ने न केवल आपसी सोहार्द कम किया है, बल्कि देश के सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव को छिन्न-भिन्न कर दिया है। जो राजनेता सामाजिक सौहार्द बिगाडऩे का प्रयास करता है उनका प्रतिकार करें।
-नरेन्द्र शर्मा, चूरू
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राजनीतिक दलों के बीच खींचातानी का परिणाम
राजनीतिक दलों के बीच खींचातानी चलती रहती है। इसी के कारण कई बार अप्रिय स्थिति भी निर्मित हो जाती है, जिससे सौहार्द कम हो जाता है। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे आपसी तालमेल बढ़ाने, गुटबाजी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने, जनता की समस्याओं पर ध्यान देने पर विशेष जोर दें, जिससे देश में सौहार्द का वातावरण निर्मित किया जा सके।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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राजनीतिक दल देश के विकास के लिए कार्य करें
आज देश का जो हाल है, तरह-तरह के आंदोलन किए जा रहे हैं, जिसके कारण सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है। इन सभी घटनाओं के पीछे किसी न किसी राजनीतिक दल का हाथ अवश्य होता है। अगर सभी राजनीतिक दल मिलकर कार्य करें, तो हमारा देश सर्वोपरि होगा और आम जनता भी परेशान नहीं होगी और तब देश का सही मायने में विकास होगा ।
-चैतन्य स्वामी, खाजूवाला
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छींटाकशी से बिगड़ता सौहार्द का माहौल
किसी भी प्रकार की कट्टरता जनमानस में विद्यमान सौहार्दपूर्ण विचारों को दिनप्रतिदिन घटाती रहती है। मात्र हम ही सर्वश्रेष्ठ हैं का भाव व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र को अहंकारी बना देता है। किसी भी प्रकार का अहंकार पतन का मार्ग है। अहंकार दूसरों के गुणों को देखने ही नहीं देता। राजनीतिक दलों की आपसी अहंकारपूर्ण और निम्नस्तरीय छींटाकशी से सौहार्द का माहौल बिगड़ता है।
-मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई
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राजनीतिक दलों की वजह से सौहाद्र में कमी
राजनीतिक पार्टियां अपने हित के लिए विभिन्न मुद्दों पर भड़काऊ बयान दे देती है। इसी कारण लोगों मे आपसी मतभेद बढ़ता है और सौहाद्र में कमी आती है। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगना चाहिए।
-सोयब मंसुरी, पिपलिया कुलमी, मध्य प्रदेश

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