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उत्तर प्रदेश: आखिर क्यों नहीं डरते अपराधी, हाथरस प्रकरण से योगी सरकार पर सवाल

यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि राज्य के मुख्यमंत्रियों की गृहमंत्री भी बने रहने की लालसा उत्तर प्रदेश पर भारी पड़ रही है।

 

नई दिल्लीOct 01, 2020 / 03:34 pm

shailendra tiwari

rape

लगभग साढ़े तीन साल पहले उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपना पहला व सख्त संदेश अपराधियों को दिया था। वह यह था, ‘सत्ता के संरक्षण में पल रहे अपराधी, माफिया उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जाएं। नहीं तो उनकी जगह या तो जेल में होगी या फिर कहीं और। नहीं लगता कि दूसरी जगह कोई जाना चाहेगा। हुआ क्या? अब यूपी की बिगड़ती कानून -व्यवस्था ही योगी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है?
ऐसी ही नाकामी के लिए उत्तर प्रदेश एक बार फिर सुर्खियों में है। एक के बाद एक अपराध की दुस्साहसिक घटनाएं हो रही हैं। खासतौर से लड़कियों-महिलाओं की इज्जत-आबरू पर डकैती बढ़ती जा रही है। बाकी अपराधों पर भी सरकार और उसके अफसर यदि आंकड़ों की जादूगरी न करें तो जमीनी स्थिति बेहद खराब है। सरकार इस स्थिति की गंभीरता को शायद समझ नहीं पा रही या फिर खुद समझना ही नहीं चाह रही है।
हाथरस की एक दलित लड़की से दबंग वर्ग के लड़कों द्वारा सामूहिक बलात्कार की ह्रदय विदारक अकेली घटना ही योगी सरकार की नाकामी की कहानी नहीं कहती। ऐसी तमाम नाकामियों की लंबी फेहरिस्त है। लोग अभी भूले नहीं हैं, जब उन्नाव की रेप पीडि़ता को तब तक न्याय की गुंजाइश नहीं बनी, जब तक उसने लखनऊ में आकर आत्मदाह की कोशिश नहीं की। हकीकत सबके सामने है कि उन्नाव रेप पीडि़ता, उसके पिता की मौत और पूरे परिवार की तबाही में शासन-प्रशासन किस तरह भाजपा विधायक के साथ खड़ा ही नहीं, बल्कि परोक्षरूप से शामिल भी था।
सरकार अराजक पुलिस वालों को कड़ा संदेश देने में नाकाम साबित हो रही है। राजधानी लखनऊ से कानपुर की दूरी बमुश्किल महत 90 किलोमीटर होगी। तीन महीने भी नहीं हुए जब वहां के अपराधी विकास दुबे ने उसको गिरफ्तार करने गए आठ पुलिस वालों को ही मार डाला। उस मामले में पुलिस के कई बड़े और सजातीय अफसरों की विकास दुबे से गहरी सांठगांठ की बातें किसी से छिपी नहीं हैं। एक तरह से सरकार की नाक के नीचे अपराधी व पुलिस का नापाक गठजोड़ कई वर्षों से सक्रिय था। यह अलग बात है कि बाद में विकास दुबे पुलिस की कथित मुठभेड़ में मारा गया।
उत्तर प्रदेश में रिश्वत मांगने के आरोप में सरकार को दो जिलों के कप्तानों को निलंबित करना पड़ गया। आए दिन मीडिया में ऐसी रिपोर्ट आती रहती हैं, कि थाने में आने वाली महिला फरियादियों से खुद पुलिस वालों ने अश्लील हरकतें कीं या फिर उसके सामने अनुचित मांगें रखीं। हालांकि ऐसे दोषियों पर कार्रवाई भी हुई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह दुस्साहस पुलिस में आ कहां से रहा है।
अब प्रमुख सवाल यह है कि अपराध और अपराधियों की गिरफ्त में फंसते जा रहे उत्तर प्रदेश की यह स्थिति क्यों है? आबादी के लिहाज से उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। इतने बड़े राज्य में कानून-व्यवस्था को संभालने के लिए एक समर्पित व पूर्णकालिक गृह मंत्री की जरूरत है, लेकिन बीते 30 वर्षों में महज कुछ महीने के अपवाद को छोड़ किसी मुख्यमंत्री ने अलग से गृहमंत्री का दायित्व किसी को नहीं सौंपा।
यह स्थिति तब रही, जब इस राज्य के मुख्यमंत्री अमूमन दो दर्जन दूसरे विभागों का जिम्मा भी अपने पास ही रखते रहे हैं। यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि इस राज्य के मुख्यमंत्रियों की गृहमंत्री बने रहने की लालसा भी उत्तर प्रदेश पर भारी पड़ रही है। दरअसल, यह परंपरा सी चली आ रही है कि यहां का हर मुख्यमंत्री गृह, गोपन, नियुक्ति, उद्योग, वित्त व आवास व शहरी नियोजन जैसे विभागों को अपने पास ही रखता आ रहा है। लिहाजा सब कुछ खुद संभालने के चक्कर में बहुत कुछ संभल ही नहीं पा रहा है।

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