कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ ही साथ हम सबको अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। पारिवारिक जुड़ाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य का सबसे बड़ा संरक्षक है। घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि अधिकतर बुजुर्ग टेक्नोलॉजी से नहीं जुड़े रहने के कारण काफी अकेला महसूस कर रहे हैं। अपनों से संवाद मानसिक स्वास्थ्य का संरक्षक है। वास्तविक स्थिति को आत्मसात कर योजनाएं बनाएं, स्क्रीन टाइम को यथासंभव कम करें, एक्सरसाइज डिप्रेशन और ऐंगजाइटी डिसऑर्डर से बचने का बड़ा हथियार है। नींद की समय सारणी के प्रति अनुशासन बेहद महत्त्वपूर्ण है। नशे से बचें। इन सबके बाद भी अगर लक्षण बने रहें तो मनोचिकित्सक से अवश्य मिलें ।
कोविड-19 संक्रमण के बीच मानसिक स्वास्थ्य पर किए जा रहे सभी शोध पत्रों का निष्कर्ष यही है कि महामारी का मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मानसिक रोग बाह्य रूप से विध्वंसक दिखाई नहीं देते। इसलिए इन रोगों के प्रति गंभीरता का अभाव रहता है,जबकि किसी भी देश की उत्पादकता का सीधा संबंध उसके नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर होता है। भारत समेत पूरा विश्व कोरोना महामारी के समानांतर मानसिक रोगों से जुड़ी महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में जरूरत है कि प्रत्येक भारतीय के मानसिक स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग की जाए।
(लेखक मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट और सुसाइड के खिलाफ ‘यस टु लाइफ’ कैंपेन चला रहे हैं)