आपकी बात, आंदोलनों को हिंसक होने से कैसे रोका जा सकता है?
आपकी बात, आंदोलनों को हिंसक होने से कैसे रोका जा सकता है?

समझनी होगी जिम्मेदारी
किसी बात का विरोध और अपनी बात को रखने के लिए आंदोलन का सहारा लिया जाता है, किन्तु इस दौरान हिंसा नहीं होनी चाहिए। यदि हिंसा होती है, तो कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। दोनों पक्षों को यह समझना होगा कि सहमति और असहमति तो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसलिए किसी भी मुद्दे को नाक का बाल नहीं बनाया जाना चाहिए, अपितु आपसी समझ से बात को बाल बराबर समझकर जिम्मेदारी का परिचय दिया जाना चाहिए।
-देवेश अवस्थी, दौसा
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आंदोलनों में शामिल हो जाते हैं समाजकंटक
आए दिन कोई न कोई संगठन सरकार के विरुद्ध किसी मुद्दे को लेकर आन्दोलन करता रहता है। जब कोई हल नही निकलता तो ये आन्दोलन उग्र रूप धारण कर लेते हैं। इन आंदोलनों में कुछ समाजकंटक भी शामिल हो जाते हैं ओर तोडफ़ोड़ करने लगते हैं। सरकार इनकी समस्या को सुने व उचित हल निकाले। जितनी भी संपत्ति का नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई आन्दोलनकारियों से की जाए।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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नेतृत्व का असर
कोई भी आंदोलन हिंसक और अराजक तभी होता है, जब उस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोग भड़काऊ बयानबाजी करते हैं। उनकी भड़काऊ बयानबाजी से ही समाजकंटकों को संबल मिलता है। फिर अराजक तत्व भीड़ का हिस्सा बनकर हिंसा करते हैं। शांति में विश्वास रखने वाला नेतृत्व ही किसी आंदोलन को सही दिशा प्रदान कर सकता है। महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, अन्ना हजारे जैसे नेता इसके उदाहरण हैं। शांति ही किसी आंदोलन की मूल आत्मा होती है, जो जन समर्थन व सहानुभूति पाने के लिए आवश्यक शर्त है।
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
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लिखित में गारंटी जरूरी
आंदोलनों को हिंसक होने से रोकने के लिए सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि जो लोग आंदोलन कर रहे हैं, उनसे इस बात की लिखित में गारंटी ली जाए की हिंसक घटनाएं नहीं होंगी। आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है। आंदोलन के दौरान हिंसा हो तो इसे गलत ही माना जाएगा, क्योंकि इससे आमजन को बहुत हानि होती है तथा सार्वजनिक संपत्ति का भी नुकसान होता है। ऐसी घटनाएं लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है। बेहतर तो यह है कि कोई भी आंदोलन हिंसक नहीं हो। इसके लिए आंदोलन करने वालों से लिखित में गारंटी ली जाए
-बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
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सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति
किसी भी आंदोलन के पीछे आयोजकों की अपनी राजनीतिक जमीन बनाने की महत्वाकांक्षा छिपी रहती है। ये आयोजक सरकार पर दबाव बनाने के लिए हिंसा के लिए उकसाने की रणनीति का प्रयोग करते हैं। आंदोलनों को हिंसक होने से रोकने के लिए आयोजकों एवं भागीदारों को निर्धारित अवधि तक चुनाव लडऩे के अपात्र घोषित किया जाए। नुकसान की क्षति पूर्ति आयोजकों से वसूली जाए।
-बाल कृष्ण जाजू, जयपुर
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भडकाऊ भाषण न दिए जाएं
अपनी मांगो को मनवाने के लिए जिस तरह के आंदोलन आज देश में हो रहे हैं , उनमें हिंसा होना आम बात हो गई है। लोकतंत्र वोट और कागजों तक सिमट गया है। इन आंदोलनों का इतिहास देखें तो हिंसा को बढ़ावा देने वाले भडकाऊ भाषण इसका प्रमुख कारण हैं। लोकतंत्र में असहमति हो सकती है, लेकिन हिंसा का रास्ता कदापि उचित नहीं कहा जा सकता। अत: आवश्यक है कि समाजकंटकों को राजनीति और आंदोलनों में प्रवेश करने से रोकने के उपाय किए जाएं। पुलिस-प्रशासन को भी चाहिए कि समाजकंटकों की पहचान कर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करे।
-हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश
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कड़ी कार्रवाई जरूरी
शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शित करना इंसान का हक है , लेकिन जब विरोध हिंसक होने लगे तो उसे रोकना निहायत ही जरूरी हो जाता है। इस सूरत में सरकार को चाहिए कि आंदोलन को हिंसक रूप देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे। नुकसान की भरपाई भी करवाई जानी चाहिए।
-सुधीर शर्मा, सिंगनौर, झूंझुनू
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बहकावे में न आएं
आंदोलन का उद्देश्य अपनी बात को सरकार तक पहुंचाना होता है, लेकिन विपक्ष और विरोधी पक्ष अपना मतलब साधने के लिए उन्हें बरगला कर हिंसा करने के लिए उकसाते हैं। तोडफ़ोड़ और हिंसा करवाते हैं। आंदोलनकर्ताओं को ऐसे बिचौलियों से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि हिंसा से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं होता। संयम रखें, किसी के बहकावे में न आएं, शांतिपूर्ण वार्तालाप से ही हर समस्या का समाधान संभव है।
-विभा गुप्ता, बैंगलुरु
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गांधीजी की राह पर चलें
आंदोलन की राह अहिंसा पर आधारित होनी चाहिए। इसका व्यापक प्रचार किए जाने की आवश्यकता है। महात्मा गांधी शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करते थे। गांधीजी के तरीके से ही आंदोलन होना चाहिए। ऐसी हालत में हिंसा होने की आशंका कम रहेगी।
-दिलीप शर्मा, भोपाल, मध्यप्रदेश
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विशेष प्रशिक्षण की जरूरत
आंदोलनों को हिंसक होने से बचाने के लिए एक ही उपाय है, पुलिस प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त बनाया जाए। इसके लिए पुलिस को अलग से ट्रेनिंग देने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। बिना गोली या लाठी चलाए आंदोलनकारियों को संभालने के लिए खास प्रशिक्षण आवश्यक है।
-श्रवण कुमार, बेंगलूरु
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प्रदर्शनकारियों की सूची बनाई जाए
किसी भी आन्दोलन, प्रदर्शन और रैली की स्वीकृति देने से पूर्व आंदोलनकारी संगठन प्रदर्शन या रैली में भाग लेने वालों की आधिकारिक सूची अनिवार्यत: रखें । यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आन्दोलनकारियों तथा प्रदर्शनकारियों के पास कोई भी हथियार न हों। वे अपने परिचय पत्र अपने साथ अवश्य रखें ।
-ईश्वर जैन, उदयपुर
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