आपकी बात, कीटनाशकों का इस्तेमाल कैसे कम किया जा सकता है?
पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें
हरित क्रांति के साथ-साथ खेती में कीटनाशकों का प्रयोग भी बेतहाशा बढ़ा हैं। अल्पकालिक लाभ के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करना प्रकृति की जड़ों में जहर डालने के समान हैं। प्रकृति का संरक्षण और साहचर्य भारतीय संस्कृति की पहचान रहा हैं। अत: हमें वापस प्रकृति की तरफ ही लौटना होगा। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा जैविक तरीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। अगर वैज्ञानिक अनुसंधान इस दिशा में किया जाए, तो प्रकृति में ही इस समस्या का समाधान हमें मिल सकता हैं। मुश्किल यह है कि हम विदेशी चश्मा लगा होने के कारण हमारी प्रत्येक देशी चीज को कमतर आंकते हैं। नीम की पत्तियां प्राकृतिक कीटनाशक हैं, इसका प्रयोग कई प्रकार से किया जा सकता हैं और अनुसंधान का भी विषय है। इसी प्रकार गौमूत्र को भी नीम की पत्तियों के साथ मिलाकर या अन्य किसी प्रकार से भी कीटनाशक के रूप में प्रयोग में लिया जा सकता हैं। इनके अतिरिक्त राख, छाछ जैसे अनेक जैविक कीटनाशक हमारे आस-पास ही मौजूद हैं। आवश्यकता मात्र हमारी इच्छा शक्ति की हैं। इस प्रकार के जैविक कीटनाशकों से हमें दोहरा लाभ होगा। इसलिए ज्यादा से ज्यादा जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाए।
-रामस्वरूप विश्नोई, फलोदी, जोधपुर
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किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए
अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, और जहरीले कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचता है। साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है। जैविक खाद एवं जैविक दवाइयों का उपयोग करके भी अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इससे भूमि, जल एवं वातावरण को नुकसान नहीं होगा। हमें जैविक खेती की कृषि पद्धतियों को ही अपनाना होगी। कृषकों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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परंपरागत तरीके अपनाए जाएं
रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से हानिकारक कीटाणुओं के साथ लाभदायक कीटाणुओं का भी विनाश होता है, जिससे न केवल जैविक असन्तुलन पैदा होता है, बल्कि बहुत सी बीमारियों का कारण भी बनता है। प्राकृतिक पदार्थों से कीटनाशक तैयार किए जाएं, जिससे पर्यावरण को नुकसान कम हो। इसके अलावा कीट नियंत्रण के जो परंपरागत तरीके हैं, जैसे कि कीट ट्रैपिंग विधि, नीम के पत्तों का धुंआ, ध्वनि या कीट आकर्षक गम का उपयोग तथा प्राकृतिक रूप से प्राप्त एसेन्स का छिडक़ाव जो कि कीटों को प्रतिकर्षित करता हो, का उपयोग भी कर सकते हैं।
-डॉ. राकेश कुमार गुर्जर, सीकर
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जैविक खेती को प्रोत्साहन मिले
रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल इस कदर बढ़ गया है कि इसका असर हर खाद्य पदार्थ पर देखा जा सकता है। माता का दूध भी इससे अछूता नहीं है। इसलिए किसानों को जैविक खेती व अन्य जैविक उत्पादों के निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित व प्रशिक्षित किया जाए। पशुओं के गोबर व मूत्र तथा औषधीय पेड़ों जैसे नीम, आक, धतूरा आदि के खेती में महत्त्व व उपयोगिता को समझाने का प्रयास किया जाए। जैविक उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के प्रयास हों।
-राकेश दैडु, चूरू
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घातक है रासायनिक कीटनाशक
भारत कृषि प्रधान देश है। जहां परम्परागत खेती का चलन रहा है, पर आजकल अधिक उपज के लिए लोग रासायनिक कीटनाशकों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण होने लगी। अब अगर देशी खाद और जैविक कीटनाशकों का प्रचलन बढ़े तो रसायानिक कीटनाशक का इस्तेमाल कम होगा।
-ओम हरित, फागी, जयपुर
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किसानों को समझाया जाए
रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करने के लिए सबसे पहले लोगों को उसके दुष्प्रभाव से अवगत करवाया जाए। इसके बाद जैविक खेती प्राकृतिक व परंपरागत तरीके से उन्नत तकनीक के प्रयोग से बेहतर करने का काम किया जा सकता है।
-रितेश सुमन, किशनगंज, बारां
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खतरनाक हैं रासायनिक कीटनाशक
रासायनिक कीटनाशक भूमि की उर्वरक क्षमता को तो घटाते ही हैं। साथ ही इससे कृषि की पैदावार पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। इनसे तैयार अनाज, फल और सब्जियों के सेवन से हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है। साथ ही यह रासायनिक कीटनाशक खेतों से बारिश के पानी के जरिए जब नदी, नालों आदि में पहुंचते हैं ,तो इस पानी के पीने से पक्षियों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए जैविक पदार्थों से तैयार कीटनाशक ही प्रयोग करने चाहिए। किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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किसानों को सही परामर्श की जरूरत
वर्तमान समय में फल और सब्जियों में कीटनाशकों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो गया है। बेहतर तो यह है कि किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाए जाएं। कृषि के लिए उन्हें सही परामर्श दिया जाए। साथ ही कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करने के लिए समझाइश करें। किसानों को समझाया जाना चाहिए कि ज्यादा कीटनाशकों के इस्तेमाल से क्या नुकसान होता है।
-बिहारी लाल बालान लक्ष्मणगढ़ सीकर
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कृषि नीति की समीक्षा जरूरी
रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से जीव-जन्तुओं व मनुष्यों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही भूमि के उपजाऊपन में भी कमी आ रही है। बेहतर तो यह है कि सरकार कृषि नीति की समीक्षा करे। कीटनाशकों के इस्तेमाल को नियंत्रित करने और खेती के ऐसे तौर-तरीकों को बढ़ावा देने की पहल सरकार की तरफ से होनी चाहिए। किसानों को जैविक खेती के फायदे समझाकर जागरूक करना चाहिए।
-कोमल जाट, राजसमन्द
कीटनाशकों के इस्तेमाल पर खेती किसानी में नियंत्रण बहुत जरूरी है। आज किसान चाहे रासायनिक खाद हो या फिर कीटनाशक, इनका अंधाधुंध उपयोग कर रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को, बल्कि कृषि भूमि के ऊपजापन को भी नुकसान पहुंचता है। अधिकांशत: किसान अशिक्षित हैं, इन्हें कीटनाशकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षण किया जाए। साथ ही जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। किसानों को परंपरागत कीटनाशकों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
-हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश
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