शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए सबसे जरूरी है छात्रों व शिक्षकों का शाला में निर्धारित समय तक ठहराव। साथ ही सीखने व सिखाने की प्रक्रिया ठीक तरह से संपन्न हो। विषय अनुसार पर्याप्त शिक्षकों की पदस्थापना सत्रारंभ से पूर्व ही कर दी जाए।
– भगवती प्रसाद गेहलोत, मंदसौर
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वर्तमान शिक्षा प्रणाली में अनेक त्रुटियां व्याप्त हैं । शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतरीन बनाने के लिए अध्यापकों के पढ़ाने के तरीकों में बदलाव लाने होंगे। आरंभ से ही विद्यार्थियों की नींव मजबूत करने की दिशा में मेहनत करनी होगी। पाठ्यक्रम में व्यावहारिक जीवन संबंधी जानकारियों को स्थान दिया जाए। स्कूलों के निरीक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। शिक्षा शुल्क, इतना कम हो कि उसे साधारण श्रेणी के लोग भी आसानी से उठा सकें। व्यावसायिक शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
-प्रदीप अड़सेला, कोटा
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शिक्षा के सभी संसाधन मसलन पाठ्यक्रम, भवन, राशि एवं शिक्षक वर्ग उपलब्ध होने के बावजूद गुणवत्ता में कमी का मुख्य कारण भाषा पर विद्यार्थी एवं शिक्षक वर्ग दोनों का ही समुचित अधिकार न होना है। भाषा ही सम्प्रेषण का माध्यम है और विषय भी भाषा के द्वारा ही समझाया जा सकता है। भाषा पर अधिकार होगा, तब ही विद्यार्थी विषय विशेष पर अपनी पकड़ बना सकेगा।
-अविनाश सिपाहा, भिलाई
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शिक्षा पर हर बच्चे का पूरा अधिकार है, लेकिन सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती। हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के लिए सरकारी विद्यालयों को आगे आना होगा। कई गांवों और शहरों में छोटे-छोटे सरकारी स्कूल हैं, जो सिर्फ नाम मात्र के लिए चल रहे हैं। इन स्कूलों को बंद करके हर शहर-कस्बे में मॉडल स्कूल खोले जाने चाहिए। इन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी नहीं होनी चाहिए। सरकारी शिक्षकों को अन्य कामों में भी ज्यादा व्यस्त रखा जाता है, जिसका असर सीधे पढ़ाई पर पड़ता है।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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वर्तमान शिक्षा को विकासोन्मुखी तथा व्यावसायोन्मुखी बनाना होगा, ताकि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता के संवैधानिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सके। शिक्षा प्राप्त करके बच्चे आत्मविश्वास से भरे नागरिक बन सकें।
-दीपा शास्त्री, श्रीगंगानगर
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-महेंद्र सिंह गौतम, शाजापुर, मप्र
…………….. गांवों से करें शुरुआत
भारत गांवों का देश है। इसलिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए गांवों से शुरुआत की जाए। सरकारी हो या प्राइवेट शिक्षक पूरी तरह प्रशिक्षित हो। वह विषय का ज्ञाता तो हो ही, छात्रों को विषय समझाने में भी निपुण हो। इसके अलावा पाठ्य सामग्री मुफ्त में उपलब्ध हो।
-डॉ अंशुल उपाध्याय, बड़ोदरा, गुजरात
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शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए तथा शिक्षकों को समय पर उपयुक्त संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं, जिससे शिक्षक उनका सदुपयोग कर सकें।
-श्यामलाल साठपुर
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शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करके विद्यार्थियों को किताबी कीड़ा न बनाकर उनको ठीक तरह से शिक्षित करना चाहिए। पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए, जिसे शिक्षक और बच्चे दोनों बोझ न समझें, उसे भलीभांति पढ़ें। शिक्षा के लिए बनाई गई आधुनिक तकनीकों को सरकारी स्कूल और निजी स्कूल दोनो से जोडऩा चाहिए ।
-खेमू पाराशर ,भरतपुर
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शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए दो चीजें आवश्यक हैं। पहली पाठ्यक्रम को नियमित रूप से अपडेट किया जाए और दूसरा कौशल आधारित शिक्षा पर ध्यान दिया जाए। पाठ्यक्रम को नियमित रूप से अपडेट करने से विद्यार्थियों को समय के साथ बदलते हुए परिवर्तन का ध्यान रहेगा। कौशल आधारित शिक्षा से उनमें नए कौशल का निर्माण होगा और शिक्षा रोजगारोन्मुखी होगी।
-महिमा टांक, सिरोही
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शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षा में जीवन मूल्यों और रोजगारपरक व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष जोर देना होगा। हमें विद्यालय के आधारभूत संरचनात्मक ढांचे को आधुनिक सुविधा युक्त बनाने के साथ-साथ शिक्षकों को बेहतर शिक्षण विधियों का व्यावहारिक स्तर पर भी प्रशिक्षण देना होगा।
– दिनेश चौधरी, सोरडा, सिरोही