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आपकी बात, धर्म के नाम पर हिंसा को कैसे रोका जा सकता है?

Published: Dec 21, 2021 03:49:56 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात, धर्म के नाम पर हिंसा को कैसे रोका जा सकता है?

आपकी बात, धर्म के नाम पर हिंसा को कैसे रोका जा सकता है?

रोजगार है समस्या का समाधान
धर्म के नाम पर हिंसा में लिप्त होने वाले लोगों में कम पढ़े-लिखे या बेरोजगार ज्यादा होते हैं। जो व्यक्ति कमाने और अपने परिवार की देखभाल में लगा हो, वह इस तरह की अराजक भीड़ का हिस्सा नहीं होता। इसलिए बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना जरूरी है। साथ ही पढ़ाई के दौरान ही बच्चों को इस तरह के मामलों से दूर रखने के लिए समझाया जाना चाहिए।
-निष्ठा पवार, उज्जैन, मध्य प्रदेश
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राजनीति है कारण
वोटों की राजनीति के कारण राजनीतिक दलों की तरह धार्मिक संगठनों का भी तेजी से निर्माण हो रहा है। ऐसे संगठनों का सहयोग पाकर कई राजनीतिक दल चुनाव की वैतरणी पार कर रहे हैं। धर्म के नाम पर मारे जाने वाले बेगुनाहों की पैरवी के लिए कोई भी खड़ा होने का साहस नहीं करता। इस देश की सभी समस्याओं की जड़ में केवल और केवल हमारी राजनीतिक व्यवस्था ही है। अपराधियों को जब तक राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता रहेगा, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।
अशोक कुमार जैन, कोटा
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न हो धर्म के आधार पर राजनीति
देश संविधान के आधार पर चलता है, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के नाम पर नेता लोग भड़काऊ भाषण देते हैं। मॉब लीचिंग के नाम पर निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। देश की संसद ऐसा कानून बनाए, जिससे धर्म की राजनीति पर अंकुश लगे। सर्वे भवन्तु सुखिनः: की भावना से ही धर्म के नाम पर हिंसा को रोका जा सकता है।
-बबलू प्रजापत, थानागाजी, अलवर
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चुनावों में न हो धर्म का इस्तेमाल
धार्मिक हिंसा को रोकने के लिए चुनावों में धर्म का इस्तेमाल बंद होना चाहिए। कोई भी पार्टी कितनी भी बड़ी क्यों न हो, यदि वह चुनावों में धर्म की आड़ लेती है, तो उसकी मान्यता ही रद्द कर देनी चाहिए। ऐसा होने पर धर्म के नाम पर हिंसा काफी कम हो सकती है।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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कानून हाथ में न ले जनता
सभी धर्मों का सार एक ही है। धर्म रूपी ये नदियां अंत में एक ही महासागर में गिरने वाली हंै। फिर भी हम अपनी संकीर्ण सोच और धार्मिक उन्माद से ग्रसित होकर स्वविवेक त्याग तथ्यों तथा तर्कों को भूलकर धर्म के नाम पर हिंसा में लिप्त हो जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया भी इस तरह की हिंसा को भड़काता है। लोगों को कानून अपने हाथ में लेने से बचना चाहिए तथा कानून को अपना कार्य करने देना चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़,
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कैसे रुकेगी हिंसा
धर्म के नाम पर हिंसा को रोका जाना बहुत जरूरी है। समाज को धर्म के नाम पर बांट देंगे, तो देश एक कैसे रह पाएगा। लोगों में आपसी प्रेम नहीं रह जाएगा, उनमेें एक दूसरे के प्रति सम्मान नहीं रहेगा। ऐसे में धर्म के नाम पर हिंसा कैसे रुक पाएगी?
-अलका मालवीय, होशंगाबाद, म.प्र.
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कठोर कार्रवाई जरूरी
धर्म के नाम पर हिंसा अच्छे संकेत नहीं है। सभी धर्मों के धर्मगुरुओं को अपने-2 धर्मावलंबियों से ऐसा न करने का संदेश देना चाहिए। साथ ही ऐसी घटनाओं में लिप्त लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
– व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी
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कट्टरता से हिंसा को बढ़ावा
धार्मिक कट्टरता निंदनीय है। कट्टरता से हिंसा को बढ़ावा मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना होगा कि धर्म का लक्ष्य शांति है, अशांति नहीं है। सभी धर्मों का सार इंसानियत का धर्म है।
-नीना अरोड़ा, रायसिंहनगर
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याद आया गांधी दर्शन
धर्म के नाम पर देश में हिंसा हो रही है। इस समस्या का तत्काल समाधान होने वाला नहीं है। इसे रोकने के लिए सबसे पहले धर्म को समझना होगा तथा सब धर्म एक समान मूल मंत्र के साथ गांधी दर्शन को अपनाना होगा। बच्चों और युवाओं को गांधी दर्शन का महत्व समझाना होगा।
– नीरु हजारिका, असम
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नेता धार्मिक भावनाएं न भड़काएं
हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है। इसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। असल में नेता वोट बटोरने के लिए धर्म को मुद्दा बनाकर भाषण देते हैं। जब एक पक्ष कुछ बोलता है, तो दूसरा पक्ष पलट कर जवाब देता है। विवाद बढ़ता है तो हिंसा भी हो जाती है। इसलिए नेताओं को धार्मिक भावनाएं भड़काने से बचना होगा।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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