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आपकी बात, भारत में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन कितने सही हैं?

locationनई दिल्लीPublished: Nov 01, 2020 07:02:13 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था, पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

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मजहम नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
धर्म के नाम पर आंतक फैलाना किसी भी दृष्टि से उचित नही है। जब कोई महजब नहीं सिखाता आपस मे बैर रखना,Ó तो फिर धर्म के नाम पर हत्याएं क्यों हो रही हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा है कि उनका देश आतंक के आगे झुकेगा नहीं। उसे झुकना भी नहीं चाहिए। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों ने इस लड़ाई में फ्रांस का समर्थन किया है और यह संदेश दिया है कि वे उसके साथ खड़े हैं। भारत किसी भी देश में आतंकवाद के खिलाफ हमेशा से ही खड़ा रहा है, क्योंकि वह भी आतंकवाद का दंश झेलता आया है। इसलिए यहां यह सवाल भी पूछा जाना चाहिए कि जब कभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत में सक्रिय आतंकी गुटों पर पाबंदी का सवाल आता है, तो पश्चिम के देश किस हद तक हमारे साथ खड़े होते हैं?
-सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, मप्र
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संकीर्ण मनोवृत्ति और साम्प्रदायिक राजनीति से प्रेरित
भारत में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन अशांति फैलाने का प्रयास हैं। ये प्रदर्शन संकीर्ण मनोवृत्ति और साम्प्रदायिक राजनीति से प्रेरित दखाई देते हैं। लोगों की भावनाओं को भड़काकर देश की गंगा-जमुनी तहजीब को नुकसान पहुंचाने की नियोजित कोशिश है। इस प्रकार के प्रदर्शन इस बात के द्योतक हैं कि प्रदर्शन के अगुवा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग सिर्फ अपनी सहूलियत के माफिक करना चाहते है। फ्रांस की किसी घटना को लेकर भारत में उसकी आवेशपूर्ण प्रतिक्रिया किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं है। प्रदर्शनकारियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि वे एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं। उनकी आस्था और मान्यताएं यहां अब तक पूरी तरह सुरक्षित और संविधान संरक्षित रही हैं।
-भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर
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फ्रांस का साथ जरूरी
भारत में फ्रांस का विरोध रणनीतिक व सामरिक रूप से उचित नहीं है। फ्रांस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। आज भी जब चीन का दबदबा एशिया महाद्वीप में बढ़ रहा है, फ्रांस रफेल विमान देकर एक भेरोसमंद दोस्त का फर्ज निभा रहा है। हमारी तरह फ्रांस भी आतंकी घटनाओं से दहल चुका है। इसलिए उसने इस मुद्दे को वैश्विक मंच पर उठाया है। बिना सोचे समझे अतार्किक रूप से फ्रांस का विरोध देशहित में नहीं है। पूरे विश्व को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। अगर इस अभियान में भारत फ्रांस का समर्थन करता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
-गुमान दायमा, हरसौर, नागौर
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कट्टरपंथियों का अनुचित रवैया
हर समय फ्रांस ने भारत का साथ दिया है। आज जब फ्रांस आतंकवाद का दंश झेल रहा है, तो भारत ने भी खुले रूप में उसका समर्थन किया है। वह भी तक जब बड़े-बड़े चुप्पी साधे हुए हैं। इस बीच भारत में सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक जिस प्रकार कट्टरपंथियों ने फ्रांस के खिलाफ विष वमन किया है, उससे इनके इरादे और इनकी सोच स्पष्ट हो गई है। क्या इन लोगों को जरा भी देश की चिंता नहीं है? क्या देश का हित, अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा व संबंधों का कोई महत्त्व नहीं रह गया है? होना तो यह चाहिए था, की ऐसे लोग अपनी निजी भावनाओं को छोड़कर देश के साथ खड़े होते। लेकिन, इन्होंने तरजीह देश को नहीं दी। यह वाकई चिंताजनक है।
-युवराज पल्लव, मेरठ
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आतंंकियों का कोई धर्म नहीं
फ्रांस में एक शिक्षक की गला काटकर हत्या कर दी गई, जिसकी जितनी भी भत्र्सना की जाए उतनी कम है। आतंकवाद और आतंककारियों का कोई धर्म नहीं होता। ये पूरी तरह से मानवता के कट्टर दुश्मन हंै। फ्रांस ने जिस प्रकार आतंकवाद और कट्टरता के विरुद्ध कदम उठाया है, उसका समर्थन सभी को करना चाहिए। जिस प्रकार भारत में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, उन्हें किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। प्रदर्शन करने वालों को ये याद रखना चाहिए कि आतंकवाद का सबसे बड़ा भुक्तभोगी हमारा देश भारत ही है।
-कुशल सिंह, जोधपुर
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शिक्षा और रोजगार की मांग के लिए हों प्रदर्शन
भारत मे फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन उचित नहीं है। इस तरह के प्रदर्शनों से समाज में कटुता फैलती है। हमें भूखमरी और कुपोषण से मुक्ति के लिए आवाज उठानी चाहिए। शिक्षा व रोजगार की मांग के लिए प्रदर्शन करना चाहिए।
-डॉ. अशोक, पटना, बिहार
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धर्म के नाम पर न हो विवाद
भारत मेें फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन अनुचित हैं। आतंकवाद से निपटने के मामले में भारत ने फ्रांस का साथ देने की घोषणा की है। मजहब के नाम पर इंसानों का खून बहाना उचित नहीं कहा जा सकता। धर्म तो धैर्य व क्षमा सिखाता है। अत: धर्म के नाम पर तो कोई विवाद होना ही नहीं चाहिए।
-चेतन प्रकाश आर्य, लाल सागर, जोधपुर
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फ्रांस के साथ है भारत
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस का साथ देने की घोषणा की है। ऐसी स्थिति में भारत में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन उचित नहीं है। यह समझना होगा कि फ्रांस भारत का हित चिंतक देश है। असल में तुर्की और फ्रांस की पुरानी दुश्मनी है। इस बार तुर्की मुस्लिम कार्ड खेलकर फ्रांस को घेर रहा है और मुस्लिम देशों द्वारा उस पर प्रतिबंध लगवाने की कोशिश कर रहा है।
-सत्येन्द्र सिंह चारण, जोधपुर
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बनी रहे कानून-व्यवस्था
फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान के खिलाफ मुम्बई,भोपाल सहित भारत के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। दुनिया के अन्य देशों में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं। विरोध प्रदर्शन करने का सभी को अधिकार है, मगर हिंसा व उपद्रव चिन्तनीय बन जाते हैं।।कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। शांति व्यवस्था बहाल रहे।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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भारत भी आतंकवाद के खिलाफ
फ्रांस में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का भारत ने समर्थन किया है। इधर भोपाल में फ्रांस के राष्ट्रपति के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। यह आतंकवाद का समर्थन करना ही हुआ।
-महेश नेनावा, इंदौर, मप्र
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फिर चीन का विरोध क्यों नहीं
भारत में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन सर्वथा अनुचित हैं। यह देश के अन्य देशों के साथ संबंधों पर बुरा प्रभाव डाल सकते हंै। फ्रांस जिस समस्या से जूझ रहा है, उस समस्या से कमोबेेश अनेक देश जूझ रहे हैं। अगर फ्रांस का विरोध किया गया है तो चीन का क्यों नहीं?
-निभा झा, जामनगर, गुजरात
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आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता
भारत भी कट्टरपंथियों से जूझता रहा है। अत: फ्रांस में हो रही धार्मिक अशांति को भारत भली-भांति समझता हैं। आंतकवाद को लेकर भारत सभी देशों को एकजुटता का संदेश देता आ रहा हैं। इस कारण फ्रांस में हुए आतंकी हमले का विरोध करके भारत ने सही कदम उठाया है।
-मनु प्रताप सिंह शेखावत, जयपुर
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भावनाओं को भड़काने से बचें
समूचे विश्व में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। इसी का नतीजा है फ्रांस की घटना। हमें सभी धर्मों का सम्मान करना होगा। साथ ही भावनाओं को भड़काने से भी बचना होगा।। ऐसे मामलों को विस्तार देने से अच्छा है कि शांति प्रयासों को प्रमुखता दी जाए।
-डॉ.लवेश राठौर, खरगोन, मध्यप्रदेश
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कोरोनाकाल में प्रदर्शन उचित नहीं
हाल ही में फ्रांस के राष्ट्रपति के विवादित बयान पर भारत में कई जगह प्रदर्शन हो रहे हंै, जिन्हें सही नहीं ठहराया जा सकता। विरोध करना स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन कोरोना के समय में फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कतई सही नहीं है। समय व स्थिति के अनुसार मर्यादा में रहकर किया गया प्रदर्शन ही उचित है ।
-हनुमान बिश्नोई, धोरीमन्ना बाड़मेर
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उचित नहीं हैं प्रदर्शन
भारत में फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को उचित नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि फ्रांस में धर्म की आड़ लेकर निर्दोषों की हत्या की गई है। ऐसे माहौल में फ्रांस के खिलाफ भोपाल सहित देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन अनुचित है। आतंकवाद का समर्थन करने वालों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
– राम मूरत, इंदौर, मप्र
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