scriptजिज्ञासा: दूसरी वैक्सीन से कैसे अलग है नैजल स्प्रे वैक्सीन? भारत में कौन-सी कंपनी बना रही! | How is a Nasal spray vaccine different from another, who is making | Patrika News

जिज्ञासा: दूसरी वैक्सीन से कैसे अलग है नैजल स्प्रे वैक्सीन? भारत में कौन-सी कंपनी बना रही!

Published: Oct 05, 2020 02:53:05 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

क्योंकि: जानना जरूरी है…

1,00,00,00,000 डोज तैयार करेगी भारत बायोटेक इंट्रानैजल वैक्सीन की, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर
0.1 मिलीलीटर दवा पर्याप्त होगी एक नासिका छिद्र के लिए इस इंट्रानैजल वैक्सीन की, जो इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के रूप में दी जाने वाली डोज की तुलना में है काफी कम

nasal_spray_vaccine.jpg
बायोटेक्नोलॉजी कंपनी भारत बायोटेक, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (सेंट लुई, मिसूरी) के साथ मिलकर ‘एकल डोज’ वाली इंट्रानैजल कोविड-19 वैक्सीन की एक अरब डोज तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन के वितरण में आने वाली संभावित मुश्किलों को इंट्रानैजल वैक्सीन के जरिए टाला जा सकेगा, जैसे कि वैक्सीन की अत्यधिक कीमत और जरूरतमंद लोगों को वैक्सीन देने वाले कार्मिकों की कमी आदि।
महामारी और इंट्रानैजल वैक्सीन
सुई, सिरिंज और एल्कोहल युक्त रुई के फाहे का खर्च बचता है। साथ ही एक ही चीज से डोज देना आसान हो जाता है। निर्देशों का पालन ठीक से किया जाए तो यह आम नैजल स्प्रे जैसा है और व्यक्ति स्वयं भी इस वैक्सीन को नाक से ले सकता है। हालांकि नाक से दी जाने वाली और इंजेक्शन से लगाई जाने वाली वैक्सीन दोनों ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती हैं, लेकिन इंट्रानैजल वैक्सीन नाक, मुंह और फेफड़ों में रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली अतिरिक्त कोशिकाएं विकसित कर सकती है। इन अंगों की ऊपरी सतह में मौजूद टी-कोशिकाएं शरीर को यह याद दिलाने में सक्षम हो सकती हैं कि वायरस ने पहले शरीर के किन-किन हिस्सों पर हमला किया था, उन जगहों पर वैक्सीन पहुंचाई जाए।
इस तरह दी जाती हैं वैक्सीन
मानव शरीर में वैक्सीन पहुंचाने का सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका है – मांसपेशियों या मांसपेशी व ऊतकों के बीच की त्वचा में इंजेक्शन से यानी इंट्रामस्कुलर। दूसरा तरीका है – मुंह से वैक्सीन की खुराक देकर। खास तौर पर शिशुओं को कुछ टीके ऐसे ही दिए जाते हैं। इंट्रानैजल वैक्सीन को नासिका छिद्रों से नाक के भीतर स्प्रे किया जाता है, जो श्वास के साथ शरीर में पहुंचती है।
वैक्सीन को लेकर चिंताएं भी
केवल कुछ ही इंट्रानैजल वैक्सीन ऐसी हैं जो प्रशिक्षण के स्तर तक या उससे आगे पहुंच सकी हैं। अब तक केवल जीवित इंफ्लुएंजा के कमजोर वायरस का ही इंट्रानैजल वैक्सीन के तौर पर मानव शरीर पर परीक्षण किया गया है। वैक्सीन का परीक्षण बड़े पैमाने पर अभी जानवरों पर ही किया गया है। इंसानों पर इसका प्रयोग कितना सुरक्षित होगा, यह देखना अभी बाकी है।
प्रभाव से तय होगी उपलब्धता
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन हासिल करने की ओर पहला कदम बढ़ा दिया है। अभी वैक्सीन का अमरीका में पहले चरण का परीक्षण बाकी है। इसके बाद भारत बायोटेक भारतीय औषधि नियामक से अनुमति लेकर मध्य स्तरीय क्लिनिकल ट्रायल करवाएगी। प्रभावी और सुरक्षित होने की क्षमता के आधार पर ही देश में उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो