आज के मार्केटिंग के जमाने में राजनीतिक दल और
नेता काम करने से ज्यादा काम का ढिंढोरा पीटने में विश्वास करने लगे हैं। बड़े-बडे
विज्ञापनों और टीवी पर बहसों के माध्यम से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं और वो सब
करने का दावा भी किया जाता है जो जमीन पर नजर नहीं आता। ऎसे में सांसदों और
राजनीतिक दलों के काम के मूल्यांकन के ऎसे पैमाने की जरूरत महसूस होती है, जो
वस्तुनिष्ठ हो। संसद के अंदर सांसदों का कामकाज एक ऎसा ही पैमाना है, जिससे हम यह
माप सकते हैं कि कौन सा सांसद जनता के हित में आवाज उठाने में कितना सक्रिय रहा। आज
के स्पॉटलाइट में पेश है यह विश्लेषण कि संसद के अंदर कौन-कौन से दल, राज्य और उनके
सांसद अधिक सक्रिय रहे।
डॉ. ज्ञान रंजन पांडा राजस्थान केंद्रीय
विश्वविद्यालय
जबकि मोदी सरकार अपने पहले साल की उपलब्धियों के जश्न की खुमारी
में डूबी हुई है और एनडीए सांसदों को प्रेस सम्मेलनों, रैलियों और संप्रेषण के अन्य
माध्यमों से जनता को “अच्छे दिन” से जुड़े अपने पहले साल के कार्यो को बताने की
जिम्मेदारी निभा रहे हैं, ऎसे में भाजपा और अन्य पार्टियों के सांसदों के एक साल
में संसद में प्रदर्शन की चर्चा और समीक्षा होना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने
अपने “शासन मंत्र” को बार-बार दोहराया कि उन्होंने सरकार के अनेक अधूरे कार्यो को
पूरा करने के लिए रातों-रात काम किया। पर क्या उनके सांसदों ने भी अपनी जिम्मेदारी
निभाई? क्या वे अपने काम को गंभीरता से लेते हैं? हम इसका खुलासा पीआरएस
लेजिस्लेटिव रिसर्च की डाटाशीट- “एमपी ट्रेक-लोक सभा” के आधार पर कर रहे हैं,
जिसमें देश के सभी सांसदों के संसदीय प्रदर्शन की समीक्षा की गई है। डाटाशीट के
मुताबिक राजस्थान (25), गुजरात (26), मध्यप्रदेश (27) और छतीसगढ़ (10) के बीजेपी
सांसदों के कामों की तुलना करें, तो राजस्थान के सांसद अन्य तीन बीजेपी शासित
राज्यों से आगे हैं। इन चार राज्यों की 91 लोक सभा सीटों पर बीजेपी ने 88 सीटें
लेकर भारी जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस को मध्यप्रदेश में केवल दो और कांग्रेस
को छत्तीसगढ़ में एक सीट मिली थी।
बीजेपी सांसद आगे
सांसदों के काम को आंकने
के लिए इस्तेमाल संकेतकों के आधार पर यह सामने आया कि लोकसभा में राजस्थान के
बीजेपी सांसदों ने अन्य राज्यों के सांसदों की तुलना में बेहतर काम किया है। लोकसभा
में राजस्थान और गुजरात के बीजेपी सांसदों की उपस्थिति मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के
बीजेपी सांसदों की तुलना में काफी अधिक रही, यद्यपि इस पैमाने पर सबसे बेहतर
प्रदर्शन तमिलनाडु के सांसदों का रहा।
तमिलनाडु के सांसदों की उपस्थिति 94 प्रतिशत
रही। लोकसभा के पहले साल में राजस्थान, मप्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ के सांसदों की
उपस्थिति राष्ट्रीय औसत 85 प्रतिशत से अधिक रही। पिछले एक साल में जितने दिन संसद
की बैठक रही, राजस्थान और गुजरात के आधे से अधिक सांसदों ने तो 90 प्रतिशत से अधिक
उपस्थिति दर्ज कराई। हालांकि मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ के बीजेपी सांसद उनसे पीछे रहे।
राजस्थान में नागौर के सांसद सी.आर.चौधरी और करोली धौलपुर के मनोज राजोरिया, और
पाली के पी.पी. चौधरी की मई 2014 के मध्य से लोकसभा के लगभग चारों सत्रों में शत
प्रतिशत उपस्थिति रही। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो कुल 42 संासदों की उपस्थिति
सौ फीसदी रही। गुजरात के तीन सांसदों की उपस्थिति भी 100 प्रतिशत रही। संसदीय बहस
में हिस्सा लेना सांसदों की एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, जिसमें वे महत्वपूर्ण
बिलों, प्रस्तावों और अधिनियमों पर पार्टी और स्वयं के पक्ष को स्पष्ट करते हैं।
लोकसभा के पिछले एक साल में, राजस्थान के सांसदों ने बहस में गुजरात, मध्यप्रदेश और
छतीसगढ़ के सांसदों से अधिक हिस्सा लिया। केरल के सांसद बहस में पूरे देश में सबसे
आगे रहे। केरल के सांसदों ने औसतन 51 बहसों में भाग लिया। राजस्थान के लगभग 50
प्रतिशत सांसदों ने लोकसभा की बहस में सक्रिय हिस्सा लिया, जबकि मोदी, शिवराज सिंह
चौहान और रमन सिंह के राज्यों, क्रमश: गुजरात, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से सांसद
नदारद से रहे। बीकानेर से अर्जुन राम मेघवाल (55), नागौर से सी.आर. चौधरी (66),
जोधपुर से गजेंद्रसिंह शेखावत (120), पाली निर्वाचन क्षेत्र (176) से पी.पी.
चौधरी-इन पांच सांसदों ने लोकसभा बहस में सक्रिय हिस्सा लिया और मई 2014 से अब तक
50 से अधिक बहस में हिस्सा लेने का अनुभव पाया।
सवाल में अव्वल
महाराष्ट्र
लोकसभा में किस सांसद ने कितने सवाल रखे, इस दृष्टि से भी राजस्थान
के सांसदों का काम बेहतर रहा है। यद्यपि इस पैमाने पर महाराष्ट्र के सांसद देश में
अव्वल रहे, उन्होंने औसतन 144 प्रश्न पूछे। राजस्थान के 50 प्रतिशत से अधिक बीजेपी
सांसदों का रिकार्ड राष्ट्रीय औसत से अधिक रहा। दूसरे तीन राज्यों की तुलना में
उनका केंद्र के विभिन्न मंत्रियों से 90 के औसत से सवाल पूछने का काफी अच्छा
रिकार्ड रहा है।
बीकानेर के सांसद अर्जुन राम मेघवाल, कोटा के ओम बिड़ला और पाली के
पी.पी.चौधरी ने पिछले एक साल में संसद में 200 से अधिक सवाल पूछे। और अंत में,
राजस्थान और गुजरात के सांसदों ने दूसरे दो बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में गैर
सरकारी सदस्यों के विधेयक (प्राइवेट मेंबर्स बिल) पेश करने की दिशा में अच्छा काम
किया। आमतौर पर सांसद दूसरे सांसदों के समर्थन में किन्हीं सामयिक मुद्दों पर गैर
सरकारी सदस्यों के विधेयक पेश करते हैं और संसद में बहस के माध्यम से उन पर सरकार
का ध्यान खींचते हैं। बीकानेर के सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने जुलाई 2014 नेे अब तक
आठ गैर सरकारी सदस्यों के विधेयक पेश किए, जो राजस्थान के अन्य बीजेपी सांसदों की
तुलना में काम का एक अच्छा रिकार्ड है। उनसे अधिक का रिकार्ड अहमदाबाद (पश्चिम) के
सांसद किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी का रहा।
100 % उपस्थिति वाले
सांसद
(45 वर्ष से कम उम्र)
जे. जयवर्धन (27)-एआईएडीएमके, चेन्नई
दक्षिण
के. मरगाथम (32)-एआईएडीएमके, कांचिपुरम
के.आर.पी. प्रभाकरण
(34)-एआईएडीएमके, तिरूनलवेल्ली
जनक राम (41)-भाजपा, गोपालगंज
सत्यपाल
सिंह (41)-भाजपा, संभल
सी. महेन्द्रन (43)-एआईएडीएमके, पोल्लाची
आर.के.
दिवाकर (44)-भाजपा, हाथरस
मनोज रजोरिया (45)-भाजपा,
करौली-धौलपुर
सबसे कम उपस्थिति वाले युवा सांसद
अधिकारी दीपक
(32)-तृणमूल कांग्रेस, घाटल
सुवंदु अधिकारी (44)-तृणमूल कांग्रेस,
तम्लुक
वाई.एस.ए. रेड्डी (30)-वाईएसआर, कडप्पा
डिंपल यादव
(37)-समाजवादी पार्टी, कन्नौज
बाबुल सुप्रिया बराल (44)-भाजपा,
आसनसोल
सर्वाधिक प्रश्न पूछने वाले युवा सांसद
हीना गावित (27)-भाजपा,
नंदूरबार
जे. सिंधिया (44)-कांग्रेस, गुना
दुष्यंत चौटाला (27)-इनेलो,
हिसार
सुप्रिया सुले (45)-राकंपा, बारामती
एक भी प्रश्न नहीं पूछा
इन्होंने
राहुल गांधी (45)-कांग्रेस, अमेठी
डिंपल यादव (37)-समाजवादी
पार्टी, कन्नौज
तेज प्रताप सिंह यादव (28)-समाजवादी पार्टी, मैनपुरी
बाबुल
सुप्रिया बराल (44) -भाजपा, आसनसोल