अक्सर देखा गया है चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी एक दूसरे के लिए अभद्र बात कह देते हैं। चुनाव का समय हो तो चुनाव आयोग इन सभी विवादित बयानों पर कार्रवाई करता है, लेकिन चुनाव समय के अतिरिक्त जब भड़काऊ या विवादित भाषण दिए जाते हैं तो कार्रवाई नहीं होती। अत: भाषण के लिए मानक निर्धारित किए जाने चाहिए अर्थात कोई भी व्यक्ति किसी भी पार्टी या नेता को व्यक्तिगत रूप से कुछ न कहे। अगर कोई व्यक्तिगत रूप से कोई आपत्तिजनक टिप्पणी करता है, तो कार्रवाई होनी चाहिए
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, छिन्दवाड़ा
………………….
जब नेता लोग भड़काऊ भाषण दे रहे होते हैं, तो उस वक्त ये किसी न किसी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। पार्टी प्रबंधन को ये जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। भाषा की अभिव्यक्ति के तहत भी भड़काऊ, सामाजिक तरीके से उग्र भाषण देना जुर्म है। उसके तहत प्रशासन भी कार्रवाई कर सकता है। जब कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का भड़काऊ भाषण दे, तो उसे यह ज्ञात होना चाहिए कि यह कितना गरिमापूर्ण और सुनने वाले लोगो के हित में है।
-हर्षित जैन, अजमेर
……………………
भड़काऊ भाषण अक्सर जातीय एवं सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देते हैं। किसी भी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता को कुछ भी बोलने से पहले आत्मचिंतन अवश्य करना चाहिए। भड़काऊ भाषणों पर लगाम के लिए समय-समय पर राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की पार्टियों द्वारा सामूहिक संगोष्ठी का आयोजन कर जागरूक किया जा सकता है। इसके बावजूद भी अगर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी या भड़काऊ भाषण देता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई जरूर की जानी चाहिए। भाषा की सभ्यता ही हमारी संस्कृति है।
-पवन सारस्वत, कालू, बीकानेर
……………….
बढ़ते मजहबी उन्माद के कारण भड़काऊ भाषणों की भरमार होती जा रही है। इससे लोगों की भावनाएं आहत होकर गुस्सा व असंतोष बढ़ रहा है, जो कि चिंता का विषय है। मजहबी कट्टर लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ एवं एजेण्डे के चलते भड़काऊ बयानबाजी करके अपना हित साधने व लोगों की भावनाएं भड़काकर अस्थिरता पैदा करने का प्रयास करते हैं। राजनीतिक दल भी इसमें पीछे नहीं हंै, जो अपने वोट बैंक के लिए कुछ भी विवादित बयानबाजी कर देते हैं। अब जनता को ही इनकी राजनीतिक चालों व मजहबी ऐजेण्डे को समझकर उचित उत्तर देना होगा, जिससे ऐसे लोग हतोत्साहित हों। ।
-श्याम सुन्दर कुमावत, किशनगढ़, अजमेर
………………..
भड़काऊ भाषण देकर जनता को बहकाने का प्रयास किया जाता है। नेता अपने पद की गरिमा व स्तर को बनाए रखें। जनता भी इस प्रकार के नेताओं का बहिष्कार करे। वरिष्ठ नेता अपने लोगों को वाणी पर संयम रखने के लिए प्रेरित करें। देश की संस्कृति का मान रखेंद्ध जनता को अनाप-शनाप बकवास से बरगलाने की बजाय कुछ कर दिखाएं। काम होगा तो जनता स्वयं आपका साथ देगी।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
………………
भड़काऊ भाषणों पर निश्चित रूप से रोक लगनी चाहिए। आए दिन नेताओं के भड़काऊ भाषणों से समाज की एकता नष्ट हो रही है, जबकि संपूर्ण भारत विविधता में एकता के लिए जाना जाता है। भड़काऊ भाषणों पर प्रतिबंध लगना चाहिए। भड़काऊ भाषण के आरोप सिद्ध हो जाने के बाद कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
-अरविंद भंसाली, जसोल
……………..
तकनीक का युग है। इसलिए भाषणों को रिकॉर्ड करना बहुत आसान है। इन भाषणों की कानूनी रूप से स्थापित कमेटी से जांच करवाई जा सकती है। भाषण में कुछ भी गलत हो तो नियम तोडऩे पर कार्रवाई सुनिश्चित हो।
-सत्तार खान कायमखानी, नागौर
…………………..
आजकल भड़काऊ भाषण देना आम हो गया है। भाषण देने वाले धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा के आधार पर नफरत फैला देते हैं, जिसकी परिणति हिंसा के रूप में होती है। ऐसे में आवश्यकता है, जनता ऐसे लोगों का बहिष्कार करे। साथ ही साथ भड़काऊ भाषण देने पर दंडात्मक प्रावधान कड़े करने होंगे। मीडिया को ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग में संवेदनशीलता बरतना चाहिए।
-रमेश भाखर, फागलवा, सीकर
………………………….
आजकल चुनावी सभा हो या कोई और अवसर कुछ नेता भड़काऊ भाषण देने से पीछे नहीं हटते। ऐसे नेताओं पर लगाम लगाना आवश्यक है। चुनाव आयोग या प्रशासन ऐसे भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर कार्रवाई करे। अगर इनके भाषणों से हिंसा फैलती है, तो ऐसे नेताओं को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित किया जाना आवश्यक है। ऐसी कड़ी कार्रवाई से ही ऐसे नेताओं पर लगाम लगाई जा सकती है
-आयुष चौधरी, जयपुर
…………………….
स्वार्थ की पूर्ति के लिए भड़काऊ भाषण देकर एक वर्ग विशेष, धर्म विशेष अथवा क्षेत्र विशेष का समर्थन हासिल करना लक्ष्य होता है। राजनीतिक रसूख एवं उच्च पदों पर पीठासीन व्यक्तियों तक पहुंच होने के कारण ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है। ऐसे लोग समाज के नासूर है। जनता को जागृत होकर इनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ इनको बहिष्कृत करने जैसे कदम उठाने पड़ेंगे।
-पंकज नेहरा, चूरू
…………………..
भड़काऊ भाषणों के कारण लोगों के मन में घृणा पैदा होती है। इससे हिंसा को बढ़ावा मिलता है। इसलिए भाषण में केवल अपनी उपलब्धियां ही होनी चाहिए। भाषण लिखने वाले नेता के सेक्रेटरी का दायित्व है कि वह भड़काऊ शब्दावली नहीं लिखे।
-दिलीप भाटिया, रावतभाटा
……………….
भड़काऊ भाषणों पर लगाम आवश्यक है। जो इस तरह के भाषण दे उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और तुरन्त गिरफ्तार किया जाए। भड़काऊ भाषण देने वाले को देश का गद्दार करार दिया जाए। ऐसे नेताओं को राजनीति से बाहर किया जाए।
-खीवराज घांची, मेड़ता सिटी जिला नागोर
……………..
देश में विभिन्न मुद्दों पर दिए जा रहे भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने के लिए लोगों को संवैधानिक कर्तव्यों का विस्तार से ज्ञान करवाना जरूरी है। संवैधानिक कत्र्तव्यों को ध्यान में रखते हुए उन्हें सीमित दायरे में भाषणबाजी की छूट हो। इसका पालन नहीं करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई जरूरी है।
-दीना राम सुथार जैसलमेर
………………….
भड़काऊ भाषण देने पर सजा का प्रावधान है। फिर भी भड़काऊ भाषणों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में छुपाने की कोशिश होती है। आवश्यकता है भड़काऊ भाषणों जैसे मामलों को फास्ट ट्रेक कोर्ट में निपटाने की। साथ ही सजा को और कड़ा बनाने की जरूरत है। यदि कोई ऐसे अपराध एक से ज्यादा बार करता है तो ऐसे व्यक्ति की सजा को दुगना कर देना चाहिए। भाषण न सिर्फ हमारे मोलिक कर्तव्यों के खिलाफ है, बल्कि भारतीय कानून के हिसाब से दंडनीय अपराध भी हैं ।
-फरदीन खान, उज्जैन, मध्यप्रदेश
………………….
भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस संबंध में चुनाव आयोग की भूमिका सशक्त और निष्पक्ष होनी चाहिए। राजनीतिक दलों को भी ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और अगर कोई दल ऐसा नहीं करता तो उक्त नेता का अगले चुनाव में आम जनता द्वारा बहिष्कार करना चाहिए ।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़