रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण हाल ही में भारत-चीन सीमा पर स्थित नाथूला का दौरा किया तो वहां चीनी सैनिकों से ‘नमस्ते’ की। उसके बाद से उनके दौरे को लेकर कई तरह की चर्चा जा रही है। सीमा पर रक्षा मंत्री का जब दौरा होता है तो सुरक्षा-व्यवस्था का पहले ही जायजा ले लिया जाता है। इसलिए पहली बात तो यह कि वहां पर रक्षा मंत्री को किसी प्रकार का खतरा नहीं था।
नाथूला सीमा पर व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है और वहां पर दोनों देशों के सैनिक विभिन्न पर्वों पर मिठाइयों का आदान-प्रदान करते रहते हैं। वहां पर इस तरह से चीनी सैनिकों से रक्षा मंत्री का मिलना भारत की तरफ से यह संकेत देता है कि भारत स्थिति को और उलझाना नहीं चाहता है। जब डोकलाम विवाद चल रहा था तब संसद सत्र के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी यही बात कही थी। एक तरफ रक्षा मंत्री चीनी सैनिकों से अभिनंदन करती हैं तो दूसरी तरफ सेना और नौसेना प्रमुख चीन से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम होने की बात करते हैं तो इसे विरोधाभास नहीं माना जाना चाहिए बल्कि यह बेहतर तालमेल है।
राजीतिक और सैन्य, दो अलग-अलग घटक हैं और इन घटकों का आपसी तालमेल होना अच्छी बात है। निर्मला सीतारमण ने रक्षा मंत्री बनने के बाद सक्रियता दिखाई है। चीन यदि डोकलाम में फिर से सडक़ बनाने की बात कर रहा है तो इसके पीछे वहां के आंतरिक राजनीतिक कारण हैं। अगस्त में चीनी सेना(पीपल्स लिबरेशन आर्मी) का ९० वां स्थापना दिवस मनाया गया है और अक्टूबर में चीन की साम्यवादी पार्टी की पंचवर्षीय बैठक है जिसमें चीनी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल का लेखा-जोखा पेश करेंगे।
इस तरह वहां कि अंदरुनी राजनीति इस तरह हो रही है, उसे ऐसी बातें करनी पडेंगी और ऐसी स्थिति में चीन अपने आप को कमजोर स्थिति में नहीं दिखाना चाहता है और सडक़ निर्माण की बात कर रहा है। पर चीन जमीनी स्तर पर अभी कुछ नहीं कर रहा है। रक्षा मंत्री के चीनी सैनिकों को अभिनंदन करने की प्रतिक्रिया वहां के मीडिया में देखने को मिली है। सरकार नियंत्रित चीनी मीडिया ने तारीफ करते हुए इसे अच्छा संकेत बताया है।
यह संभव नहीं है कि भारत और चीन हमेशा बेहतर दोस्त बने रह सकें इसलिए दोनों देशों को आक्रामकता की बजाए संयम और तालमेल बनाए रखना जरूरी है जिससे छोटी-मोटी गलती और तनाव, बड़े तनाव की वजह नहीं बन पाएं। इसी वजह से भारत, संयम और संतुलन की नीति अपनाकर आगे बढ़ रहा है। भारत की इस नीति को किसी प्रकार की कमजोरी नहीं माना जाना चाहिए।