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नशे से छुटकारे के लिए मनोचिकित्सक की मदद लेने में झिझक कैसी

locationनई दिल्लीPublished: Oct 06, 2020 03:23:19 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

बार बार तलब उठना, अपना कार्य प्रभावित होने लगना, रिश्तों में खराबी आने लगना, महत्त्वपूर्ण अंगों जैसे लीवर, किडनी, हृदय, मस्तिष्क पर प्रभाव दिखने लगना, उन्माद के लिए नशे की मात्रा का बढऩा इत्यादि लक्षण गंभीर हैं

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नशे की लत एक मानसिक विकार है। नशे के लगातार उपयोग की वजह से शारीरिक और मानसिक स्थिति में गंभीर परिवर्तन होते हैं। इसकी वजह से व्यक्ति नशे को आसानी से नहीं छोड़ पाता। भारत में आमतौर पर तम्बाकू, शराब, गांजा, चरस, अफीम, कुछ दर्द निवारक एवं घबराहट से राहन के लिए ली जाने वाली दवाओं का उपयोग नशे के लिए किया जाता हैं।
नशे का उपयोग आमतौर पर लोग समूहों में अपनी स्वीकार्यता के लिए शुरू करते हैं और धीरे-धीरे हमारे मस्तिष्क में ऐसे परिवर्तन होते हैं की जीवन की किसी और क्रिया जैसे मनपसंद खाना, सेक्स, किसी क्षेत्र में उपलब्धि हासिल होने में भी आनंद नहीं आता। और हम अपनी नियमित दिनचर्या के लिए भी नशे पर निर्भर होते जाते हैं। हालांकि आनुवंशिकता की भी भूमिका मुख्य मानी गई है।

हम बड़ी आसानी से समझ सकते हैं की कब हम या हमारे परिजन नशे की लत के शिकार हो चुके हैं। शोध आधारित लक्षण इस प्रकार हैं। जब अपने शरीर में हो रहे नुकसानों की जानकारी के बाद भी नशे का उपयोग हमारे नियंत्रण से बाहर रहे, नशा छोडऩे पर हमारे शरीर और व्यवहार में गंभीर परिवर्तन(विथद्रावल लक्षण- हाथ-पैर में कम्पन, रक्तचाप में उतार चढ़ाव, अनिद्रा, गुस्सा , चिड़चिड़ापन, हृदयगति में परिवर्तन, मिर्गी के झटके इत्यादि) दिखाई देने लगें। बार बार तलब उठना, अपना कार्य प्रभावित होने लगना, रिश्तों में खराबी आने लगना, महत्त्वपूर्ण अंगों जैसे लीवर, किडनी, हृदय, मस्तिष्क पर प्रभाव दिखने लगना, उन्माद के लिए नशे की मात्रा का बढऩा इत्यादि लक्षण गंभीर हैं।

ऐसी हालत में आपको मनोचिकित्सक से जरूर मिलना चाहिए। मनोचिकित्सक आपकी शारीरिक एवं मानसिक अवस्था का पूर्ण परीक्षण करता है। लगभग प्रत्येक केस में कई अन्य मानसिक बीमारियां भी पाई जाती हैं-जैसे की डिप्रेशन, एंग्जायटी डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर, पर्सनालिटी डिसऑर्डर। सम्पूर्ण आकलन के पश्चात शुरुआती दौर में दवाओं के माध्यम से डीटॉक्सीफिकेशन किया जाता है, ताकि विथद्रावल लक्षण कम से कम रहें।
उस चरण को पूरा करने के पश्चात एंटी क्रेविंग दवाएं भी दी जाती जाती हैं, ताकि तलब को भी कम किया जा सके। साथ ही साथ अन्य मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों होने पर उनका भी उपचार समान्तर रूप से किया जाता है। नशे की लत के शिकार अधिकतर मरीज अपनी जिम्मेदारियों को लेकर अस्वीकार्यता में रहते हैं। काउंसलिंग एवं साइकोथेरेपी किसी भी नशे की लत के इलाज का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें व्यक्ति के विचारों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उपयुक्त थेरेपी दी जाती है। साथ ही साथ मरीज को स्वस्थ दिनचर्या अपनाने का महत्त्व समझाया जाता है। इसलिए नशे की लत से छुटकारे के लिए मनोचिकित्सक की मदद लेने में झिझकना नहीं चाहिए।
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