scriptआत्म-दर्शन : भक्ति है तो भगवान है | If there is devotion then there is God | Patrika News

आत्म-दर्शन : भक्ति है तो भगवान है

locationनई दिल्लीPublished: Mar 17, 2021 08:22:37 am

जब कोई व्यक्ति निरंतर एक दिशा में ऐसे केन्द्रित हो जाए कि उसके विचार, भावनाएं और सब कुछ एकाग्र हो जाएं, तब वह कृपा का पात्र हो जाता है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (ईशा फाउंडेशन के संस्थापक)

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (ईशा फाउंडेशन के संस्थापक)

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (ईशा फाउंडेशन के संस्थापक)

जीवन के सफर को आनंदमय बनाने के लिए कृपा प्राप्त करनी होगी और इसे पाने का सबसे आसान तरीका भक्ति है। मुश्किल यह है कि बुद्धि बहुत चालाक है, यह किसी का भक्त नहीं बन सकती। भक्ति तो एक गुण है। भक्ति का अर्थ है- खुद को किसी एक दिशा या लक्ष्य को 100 फीसदी सौंप देना। जब कोई व्यक्ति निरंतर एक दिशा में ऐसे केन्द्रित हो जाए कि उसके विचार, भावनाएं और सब कुछ एकाग्र हो जाएं, तब वह कृपा का पात्र हो जाता है।

भक्ति के लिए चाहिए, बिना शर्त संपूर्ण समर्पण। आप किसके प्रति समर्पित हैं या किसके भक्त हैं, मुद्दा यह नहीं है। यदि आप सोचते हैं कि मैं भक्त बनना चाहता हूं, पर आपके मन में यह संदेह है कि ईश्वर है भी या नहीं, फिर आप भ्रम में हैं। जिसे मैं भक्ति कहता हूं उसकी गहराई ऐसी है कि यदि ईश्वर नहीं भी हो, तो भी वह उसका सृजन कर सकती है, उसको उतार सकती है। जो इन्सान अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त है, जो अपने काम में पूरी तरह समर्पित है, वही सच्चा भक्त है। उसे भक्ति के लिए किसी देवता की आवश्यकता नहीं होती। भक्ति इसलिए नहीं आई, क्योंकि भगवान हैं। चूंकि भक्ति है, इसीलिए भगवान हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो