पाकिस्तान के गरीब और आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या का उच्च घनत्व नई चुनौतियां पैदा करता है। ये इलाके आतंकियों की पनाहगाह हैं। सामाजिक व राजनीति विज्ञान की मूल समस्या यही है कि आतंकवाद की असली जड़ क्या है; यह स्पष्ट करना मुश्किल है।
पाकिस्तान की जनगणना 2017 के प्रावधायी परिणाम 25, अगस्त 2017 को जारी किए गए। इसके अनुसार, पाकिस्तान की जनसंख्या 20,77,74,520 पाई गई। पिछले 19 वर्षों में जनसंख्या में 57 प्रतिशत का इजाफा देखा गया। प्रावधायी परिणामों में गिलगित-बाल्टिस्तान और आजाद कश्मीर के आंकड़े शामिल नहीं है। 2018 में आने वाली अंतिम रिपोर्ट में इन आंकड़ों के शामिल किए जाने की संभावना है। ऐसा लग रहा है कि जो आंकड़े बताए गए हैं, वे कम करके दिखाए जा रहे हैं, पाकिस्तान की जनसंख्या कम से कम 25 करोड़ होनी चाहिए।
दरअसल ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान की जनसंख्या जानबूझ कर कम बताई जा रही है। सिंध प्रांत की सरकार इस संदर्भ में पहले ही विरोध जता चुकी है। भारत की जनसंख्या 1998 से 2017 के बीच 30 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि पाकिस्तान की आबादी उसी अवधि में 57 प्रतिशत बढ़ी है, भारत की वृद्धि दर से लगभग दुगुनी। वर्तमान में भारत की जनसंख्या में 1.1 प्रतिशत सालाना की दर से वृद्धि हुई है। पाक जनगणना के नतीजे बताते हैं कि 1998 से जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत पाई गई, जबकि कुल आबादी 13.2 करोड़ थी। दक्षिण एशिया के संदर्भ में देखा जाए तो जनसंख्या में यह वृद्धि दर काबिल-ए-गौर है। वैश्विक हित को देखते हुए कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
दक्षिण एशिया या भारतीय उपमहाद्वीप में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका सहित सात देश हैं। दक्षिण एशिया की जनसंख्या २०17 में 184 करोड़ थी। या यूं कहें कि विश्व जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा दक्षिण एशिया में बसता है। इसीलिए यह एशिया का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र माना जाता है। इसमें भी भारत सबसे बड़ा व सर्वाधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र है। पाकिस्तान 21 करोड़ की आबादी के साथ दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। विश्व में चीन, भारत, अमरीका और इंडोनेशिया के बाद यह पांचवें स्थान पर आता है। कुल मिला कर यह दक्षिण एशिया की आबादी का 12 प्रतिशत है (या विश्व जनसंख्या से 2.8 प्रतिशत ज्यादा)। पाकिस्तान की 97 फीसदी आबादी मुस्लिम है और साक्षरता दर काफी कम।
नेपाल के बाद पाकिस्तान इस क्षेत्र के गरीबतम देशों में से एक कहा जा सकता है, जिसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी 6 है। पाकिस्तान संघ में पंजाब, खैबर पख्तूनवा, सिंध और बलूचिस्तान आते हैं। इसके अलावा चार केंद्र शासित प्रदेश गिलगित-बाल्टिस्तान और आजाद कश्मीर। जनगणना के परिणाम दर्शाते हैं कि खैबर पख्तूनवा, बलूचिस्तान और संघ शासित आदिवासी क्षेत्रों की जनसंख्या में वृद्धि देखी गई है। ये क्षेत्र आतंकवादी गतिविधियों के केंद्र हैं। पंजाब व सिंध की जनसंख्या में गिरावट देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार खैबर पख्तूनवा में 3.1 करोड़ लोग रहते हैं, फाटा में 50 लाख, सिंध में 4.8 करोड़, बलूचिस्तान में 1.3 करोड़ जबकि पंजाब में सर्वाधिक जनसंख्या 11.1 करोड़ निवास करती है। पाकिस्तान के सबसे कम विकसित प्रांत बलूचिस्तान में 1998 के बाद से 3.4 प्रतिशत की दर से सबसे तेजी से विकास हुआ है। पंजाब की औसत वार्षिक वृद्धि दर सबसे कम 2.1 प्रतिशत रही, जो कि राष्ट्रीय औसत 2.4 प्रतिशत से थोड़ी कम है। पाकिस्तान के गरीब और आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या का उच्च घनत्व नई चुनौतियां पैदा करता है। ये इलाके आतंकियों की पनाहगाह हैं।
सामाजिक व राजनीति विज्ञान की मूल समस्या यही है कि आतंकवाद की असली जड़ क्या है; यह स्पष्ट करना मुश्किल है। साहित्य ने आतंकवाद के कई पहलुओं की व्याख्या की है। हालांकि, एक विशेष भौगोलिक-आर्थिक क्षेत्र में आतंकवाद पनपने में पारिस्थितिकीजन्य घटकों का कितना योगदान है यह पता लगाना मुश्किल है। जनगणना आंकड़ों से स्पष्ट है कि आतंकवाद पनपने की बड़ी वजह जनसंख्या वृद्धि भी है। मध्य-पूर्व में यही तो हुआ है। बढ़ती जनसंख्या वृद्धि बहुत बड़ी समस्या है। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अफगानिस्तान के खिलाफ जंग की घोषणा करते हुए कहा था कि हम आतंक की पनाहगाह बन चुके पाकिस्तान के सुरक्षित ठिकानों तालिबान व अन्य गुटों को लेकर अब और ज्यादा चुप नहीं बैठ सकते, जिनसे पूरे क्षेत्र को खतरा है।
एक पाक नागरिक ने कहा- ‘पाकिस्तान में इस जनसंख्या वृद्धि को रोका जाए,ऐसा करने में कहीं बहुत देर ना हो जाए।’ यहां बांग्लादेश का उदाहरण उल्लेखनीय है। पाकिस्तान के मुकाबले इसकी जनसंख्या वृद्धि दर कम है। जुलाई 1971 में पूर्वी पाकिस्तान(जो अब बांग्लादेश है) की जनसंख्या 7.5 करोड़ थी और पश्चिमी पाकिस्तान की 6.5 करोड़। 46 साल बाद बांग्लादेश की जनसंख्या 16.7 करोड़ थी, जबकि पाकिस्तान की 20.8 करोड़। बांग्लादेश ने परिवार नियोजन, महिला शिक्षा के विस्तार, सशक्तीकरण, जन स्वास्थ्य सुविधाओं का तेजी से विकास कर जनसंख्या नियंत्रण पाया है। पाकिस्तान को जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार कर परिवार नियोजन को पुन: परिभाषित करने की जरूरत है। जनसंख्या नियंत्रण में विफलता का अर्थ है स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य सामाजिक क्षेत्रों में सुधार नहीं होना। इसकी परिणति आतंकवाद के फैलाव के रूप में सामने आती है।