scriptटैंक तैनाती से सुरक्षा व्यवस्था होगी मजबूत | India Decided to deploy T-72 tanks in Ladakh | Patrika News

टैंक तैनाती से सुरक्षा व्यवस्था होगी मजबूत

locationबालाघाटPublished: Jul 21, 2016 02:53:00 am

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लद्दाख में भारत का 100 टी-72 टैंक तैनात करने का फैसला मौजूदा परिस्थितियों में सही है। पिछले सालों में चीन ने नियंत्रण रेखा के पार सैन्य दृष्टि से आधारभूत ढांचा मजबूत कर रखा है। इससे चीनी सेना आसानी से हमारी सीमा तक पहुंच सकती है। लद्दाख के बॉर्डर पर चीनी सैनिक आए दिन घुसपैठ करते रहते हैं।

लद्दाख में भारत का 100 टी-72 टैंक तैनात करने का फैसला मौजूदा परिस्थितियों में सही है। पिछले सालों में चीन ने नियंत्रण रेखा के पार सैन्य दृष्टि से आधारभूत ढांचा मजबूत कर रखा है। इससे चीनी सेना आसानी से हमारी सीमा तक पहुंच सकती है। लद्दाख के बॉर्डर पर चीनी सैनिक आए दिन घुसपैठ करते रहते हैं। 
इसी के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। इससे पहले 1962 में चीन-भारत युद्ध के समय भारत ने लद्दाख में टैंकों का इस्तेमाल किया था। लेकिन, वे वहां के वातावरण में ठीक से काम नहीं कर पाए। लद्दाख का इलाका काफी ऊंचाई पर है। यहां पर टैंकों को पहुंचाने के लिए भी परिवहन संबंधी काफी दिक्कतें रहती हैं। साथ ही मौसम संबंधी समस्याएं भी हैं। सर्दियों में और भी मुश्किलें पैदा होती हैं। यहां तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। 
यही कारण है कि सरकार को यह फैसला लेने में समय लगा। टी-72 टैंकों को लद्दाख में तैनात करने के लिए इनमें वहां के मौसम के अनुकूल परिवर्तन किए गए हैं। टैंकों के ईंधन और अन्य स्नेहक तंत्र को ऐसे तरीके से तैयार किया गया है कि वह सर्दियों में टैंक में जम नहीं पाए। लद्दाख की पहाडिय़ों के बीच काफी खुली जगह है और वहां बसावट भी काफी कम है। ऐसी जगह पर भारत पहले ही सिक्किम में टैंक तैनात कर चुका है। 
यह मानना चाहिए कि इससे हमारी सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी। हम देख रहे हैं कि चीन भी बॉर्डर के पार अपनी सीमा में सड़कों का जाल बिछा कर सेना के वाहनों की सुगम आवाजाही का तंत्र तैयार कर चुका है। उसने सर्दियों में रसद आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एयरस्ट्रिप और एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भी तैयार कर लिये हैं। दूसरी ओर हमारे बॉर्डर की तरफ आधारभूत ढांचा कमजोर स्थिति में है। इसे तैयार करने में और कई तरह की समस्याएं आती हैं इसलिए समय लगना स्वाभाविक है। 
सीमा पर बेहतर चीनी सैन्य ढांचे और घुसपैठ देखते हुए टैंकों की तैनाती अच्छा कदम है। दूसरी आपादाओं में भी इनका उपयोग किया जा सकेगा। अमरीकी रक्षा मंत्रालय ने भी कुछ वर्ष पहले एक रिपोर्ट मेें बॉर्डर पर तेज गति से हो रहे चीनी निर्माण कार्य पर चिंता जताई थी। भारत को अब सीमा पर सामरिक महत्व के प्रोजेक्टों के रास्ते में मौजूद अवरोधों को हटाकर काम में तेजी लानी होगी। जिससे सीमा पर बेहतर आधारभूत ढांचे का निर्माण हो सके बॉर्डर के इलाके में रहने वाले लोगों को भी इस सुरक्षा तंत्र का फायदा मिलेगा।
भारत की ओर से टी-72 टैंकों को लद्दाख में तैनात करने के लिए इनमें वहां के मौसम के अनुकूल परिवर्तन किए गए हैं। टैंकों के ईंधन और अन्य स्नेहक तंत्र को ऐसे तरीके से तैयार किया गया है कि वह सर्दियों में टैंक में जम नहीं पाए। 
अफसर करीम, रक्षा विशेषज्ञ 

भारतीय सेना में मेजर जनरल रहे और भारत-पाक के बीच 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया। करीम ने रक्षा विषयों पर कई पुस्तकें लिखी हैं।

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