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भारत रखता है बड़ा दिल

Published: Feb 03, 2016 11:17:00 pm

कराची के साहित्य उत्सव में भाग लेने के लिए 18 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल पाकिस्तान जाना था लेकिन पाकिस्तान

Anupam Kher

Anupam Kher

कराची के साहित्य उत्सव में भाग लेने के लिए 18 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल पाकिस्तान जाना था लेकिन पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने भारत के प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर कों छोड़कर अन्य सभी को वीजा जारी कर दिया। इस मामले पर विवाद होता देखकर हालांकि उन्होंने खेर को वीजा देने के लिए फोन भी किया लेकिन खेर विनम्रता के साथ इसे लौटा दिया। पाकिस्तान की ओर से ऐसा करने के पीछे क्या कारण रहे? भारत पाकिस्तानी कलाकारों को वीजा देने के मामले में जितनी उदारता बरतता है, पाकिस्तान के इतना संकुचित सोच रखने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? कलाकार दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने में क्या भूमिका निभा सकते है? ऐसे ही सवालों पर पढि़ए अनुपम खेर के जवाब, आलोक मेहता का लेख स्पॉटलाइट में…

प्र. आपका क्या अनुमान है कि आपको पाकिस्तान क्यों नहीं आने दिया गया? पाकिस्तानी दूतावास की ओर से कहा जा रहा है कि आपने वीजा के लिए आवेदन ही नहीं किया, उनके इस बयान के बारे में आप क्या कहेंगे?

अनुपम खेर: मैं इस बारे में कोई अनुमान नहीं लगाना चाहता हूं लेकिन इतना जरूर दावे के साथ कह सकता हूं कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त जो बात कह रहे हैं, वह असत्य है। हकीकत तो यह है कि कराची लिटररी फेस्टिवल के लिए भारतीय आगंतुकों को वीजा के लिए आवेदन करना ही नहीं था। केवल पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र मिल जाने के बाद ही उच्चायुक्त को वीजा अनुमति जारी करने के लिए पासपोर्ट दिया जाना था। सच्चाई तो यह है पाकिस्तान जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के अन्य 17 लोगों में से एक ने भी वीजा के लिए आवेदन नहीं किया।

प्र. आपने अपने ऑनलाइन जारी बयान में कहा कि पाकिस्तान के अधिकारियों ने शायद केवल दो कारणों से ही आपको वीजा नहीं दिया, एक तो यह कि आप भारत में सहिष्णुता की महान परंपरा को पाकिस्तान में फैलाते और दूसरा कि आप पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क का खुलासा करने वाले थे, वे इस बात को लेकर डरे हुए हैं। क्या आप इस विषय का खुलासा करेंगे?

अनुपम : पाकिस्तानी अघिकारियों की ओर से मिल सकने वाले किसी कारण के अभाव में, मैं केवल अनुमान ही लगा सकता हूं। हां, यह जरूर है कि मेरे पास किसी आतंकी नेटवर्क को खुलासा करने का कोई स्रोत नहीं है। वास्तव में तो मैं यह मानता हूं कि पाकिस्तान खुद आतंक का शिकार है। 2014 में जब पेशावर में स्कूली बच्चों की जघन्य हत्याएं हुई तो मैंने आतंकियों के विरुद्ध एक खुला पत्र लिखा था जिसे आपके देश में काफी सराहा भी गया था।

प्र. भारत और पाकिस्तान में कलाकारों के लिए खासतौर पर वीजा नीतियों और पाबंदियां हैं, उनके बारे में आपके क्या विचार हैं? आप कितने अभिनेताओं को जानते हैं या आपने उनके नाम सुने हैं जो दोनों देशों में होने वाले कार्यक्रमों में वीजा समस्याओं के चलते शिरकत नहीं कर पाते?

अनुपम : मुझे लगता है कि कलाकार किसी भी क्षेत्र के क्यों न हों, किसी किस्म की वीजा पाबंदियां होनी ही नहीं चाहिए। इसके विपरीत मैं तो यह भी चाहता हूं कि दोनों देशों के पर्यटकों के लिए सरल वीजा नीति होनी चाहिए। मैं यह बात दृढ़ता के साथ मानता हूं कि दोनों देशों के नागरिकों के बीच बेहतर उन्मुक्त संबंध होने चाहिेए। वास्तव में इस तरह के संबंध दोनों देशों के बीच विवादों को सुलझाने में सकारात्मक भूमिका निभाने में सहायक होंगे। मैं बहुत ही दुख के साथ यह बात कहना चाहता हूं कि इस तरह के मामले दोतरफा चलते हैं लेकिन पाकिस्तान की ओर से उचित प्रतिक्रिया नहीं होती। उदाहरण के तौर पर भारत ने पाकिस्तान के लिए व्यापार के मामले में काफी ढीली शर्तें ही रखी हैं लेकिन इसके विपरीत कई वर्षों पूर्व घोषणा किए जाने के बावजूद पाकिस्तान की ओर से भारत को अत्यधिक चाहत वाले देश का स्तर नहीं दिया गया।

प्र. इन दिनों बहुत से अभिनेता जो भारत और पाकिस्तान में काम कर रहे हैं, उनका मानना है कि कला और राजनीति को अलग-अलग रखना चाहिए। आप इस मामले में कुछ जुदा राय रखते हैं। इस मामले में आप क्या कहना चाहेंगे?
अनुपम : आदर्श रूप में कहा जा सकता है कि कला और राजनीति अलग-अलग बातें हैं लेकिन ऐसा शायद ही कभी हो पाता हो कि दोनों एक-दूसरे से न टकराते हों। इस भेद को मैं और स्पष्ट करता हूं।
मैं मानता हूं कि कलाकारों को दोनों देशों में कला प्रदर्शन की स्वतंत्रता होनी चाहिए लेकिन हमारे राजनीतिक रिश्ते ठीक नहीं हैं, उनमें विवाद की स्थिति है तो ऐसे में वातावरण उतना बेहतर नहीं रह पाता। इसी तरह आतंकी हमले जैसा पठानकोट में हुआ या 26/11 को मुंबई हमला था, पानी को गंदा कर देते हैं। इस तरह की घटनाएं कलाकारों और नागरिकों की एक दूसरे के देश में सुगम आवाजाही का बेहतर वातावरण नहीं बनने देतीं।
इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगा कि भारत पाकिस्तानी कलाकारों को अपने यहां आकर काम करने देने के मामले में वीजा अनुमति देने को लेकर काफी बड़ा दिल रखता है। कई स्टार अभिनेताओं ने भारत की फिल्मों में काम किया है और कई प्रसिद्ध उस्ताद जैसे गुलाम अली, नुसरत फतेह अली खान, मेहंदी हसन, राहत फतेह अली खान आदि ने तो भारतीय फिल्मों में अपनी आवाज भी दी है। हमारे देश में उनके बहुत से प्रशंसक भी हैं। हमने अदनान सामी को भारत की नागरिकता तक दी है और उन्होंने यहां अपना कैरियर बनाया है।
प्र. हाल ही में आपने कहा कि आप सार्वजनिक रूप से भारत में खुद को हिंदू करॉहने में झिझकते हैं क्योंकि ऐसा कहने पर लोग आपको कट्टरपंथी विचारों का न कह दें। कई लोगों की नजर में यह आमिर खान के संदर्भ में आपके बयानों का यू-टर्न है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपने पूर्व में भारत को असहिष्णु बताने पर उनकी काफी आलोचना की थी। अब आपके क्या विचार हैं?
अनुपम: भारत में जब कोई खुद को हिंदू कहकर अपनी पहचान बताता है तो भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षवादी इसके गलत अर्थ निकालने लगते हैं। ऐसे में अधिकतर बहुसंख्यक लोग खुद को अभिव्यक्त करते हुए बहुत ही संभलकर बात करते हैं। लेकिन, हमने मुस्लिमों के धार्मिक विश्वास को लेकर उनकी अभिव्यक्ति की कभी आलोचना नहीं की। यही नहीं हम तो हर स्थिति में उनके लिए सहायक ही होते हैं। हमारे सुपर स्टार मुस्लिम हैं। हमारे क्रिकेट कप्तान मुसलमान रहे हैं। हमारे दो राष्ट्रपति मुस्लिम थे। वायुसेना के प्रमुख मुस्लिम रहे हैं। यही नहीं हमारे उपराष्ट्रपति भी मुस्लिम ही हैं। लेकिन, मैं यह बात पूरी ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि मैं कभी किसी हिंदू को पाकिस्तान में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनते देख सकता हूं। जहां तक आमिर खान का मामला है, वे इन्क्रेडिबल इंडिया अभियान के ब्रांड एंबेसेडर रहे हैं, ऐसे में मुझे लगता है कि उन्हें बहुत सोच-समझकर बयान देना चाहिए। लेकिन, अब वे असहिष्णुता पर अपना बयान वापस ले चुके हैं।
प्र. आप कराची आकर एक सत्र ‘ कुछ भी हो सकता है Ó में बात करने वाले थे। क्या आप बता सकेंगे कि आप आते तो अशोक चोपड़ा से इस सत्र मे ंक्या बाते करते?
अनुपम : मै अपने उद्देश्य ‘ कुछ भी हो सकता है Ó पर सकारात्मकता के साथ बात करता। जब वन विभाग के एक विनम्र ईमानदार क्लर्क का बेटा सफल अभिनेता बन सकता है तो कुछ भी हो सकता है! मैं आशा और विश्वास पर बात करता। मैं दोनों देशों की सीमाओं के पार कला के आवागमन पर बात करता। साझी संस्कृति के कृत्रिम विभाजन पर बात करता। मै यह भी बात करता कि हम कैसे अपना अतीत भुलाकर नया भविष्य लिख सकते हैं।
प्र. यदि आपको भविष्य में पाकिस्तान आने का वीजा मिले तो क्या आपको पाकिस्तान आकर खुशी होगी?
अनुपम: इंशाअल्लाह, मैं हमेशा ही पाकिस्तान आने को तैयार हूं।
(पाकिस्तान के अखबार डॉन से साभार)

अनुपम खेर को हाल में मिले पद्म पुरस्कार पर भी विवाद उठा। सिने अभिनेता कादर खान की टिप्पणी थी कि अनुपम ने किया ही क्या है सिवाय मोदी की तारीफ के जो उन्हें यह पुरस्कार मिला।

आमिर खान के असहिष्णुता संबंधी बयान पर खेर ने आमिर से पूछा ‘आपने किरण से पूछा कि वह किस देश जाना चाहती है? इस देश ने आपको आमिर खान बनाया है। आपने इस देश में इससे भी बुरा दौर देखा है लेकिन कभी देश छोडऩे का मन नहीं बनाया।Ó


क्या वहां ऐसा होगा?

द्द हमने भारत में मुस्लिमों को अपने धार्मिक विश्वास को लेकर उनकी अभिव्यक्ति कभी आलोचना नहीं की। हम तो हर हाल में उन्हें मदद ही करते हैं। हमारे सुपर स्टार मुस्लिम हैं। हमारे क्रिकेट कप्तान मुसलमान रहे हैं। । हमारे दो राष्ट्रपति मुस्लिम थे। वायुसेना के प्रमुख मुस्लिम रहे हैं। यही नहीं हमारे उप राष्ट्रपति भी मुस्लिम ही हैं। लेकिन, मैं यह बात पूरी ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि मैं कभी किसी हिंदू को पाकिस्तान में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनते देख सकता हूं।

ट्वीट पर अनुपम

धन्यवाद श्रीमान अब्दुल बासित, मुझे कराची साहित्य उत्सव के लिए वीजा उपलब्ध कराने के संदर्भ में फोन पर बात करने के लिए। मैं इस बात की सराहना करता हूं साथ ही स्पष्ट कर दूं कि दुर्भाग्यवश मैं इस कार्यक्रम की तारीखों में कहीं और व्यस्त हो गया हूं।

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