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‘लुक ईस्ट’ से ‘एक्ट ईस्ट’ की ओर बढ़े अब कदम

Published: May 23, 2023 10:27:39 pm

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Patrika Desk

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सशक्त व दीर्घकालिक भूमिका में दिखता भारत
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान, पापुआ न्यू गिनी द्वीप, ऑस्ट्रेलिया की यात्रा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सशक्त व दीर्घकालिक भूमिका को स्पष्ट करती है। भारत अब अपनी 1992 की ‘लुक ईस्ट’ पॉलिसी के परिष्कृत रूप की ओर कदम बढ़ा चुका है।

‘लुक ईस्ट’ से ‘एक्ट ईस्ट’ की ओर बढ़े अब कदम
‘लुक ईस्ट’ से ‘एक्ट ईस्ट’ की ओर बढ़े अब कदम
द्रोण यादव
अधिवक्ता एवं ‘अमरीका बनाम अमरीका’ पुस्तक के लेखक
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विश्व में उदय होती विभिन्न शक्तियों के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी हमेशा से ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र का अपनी खास भौगोलिक अवस्थिति के कारण विशेष महत्त्व रहा है। इस क्षेत्र से होने वाले समुद्री व्यापार के कारण हाल के वर्षों में यह एक कूटनीतिक एवं सामरिक संघर्ष का मंच बन गया है। चीन विशेषकर भारत के आस-पड़ोस के देशों यथा श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार व थाईलैंड आदि देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर भारी ऋण जाल तथा सैन्य साजो-सामान से सुसज्जित कर रहा है। यहां तक कि पनडुब्बी और युद्धपोत उपलब्ध करवा कर इस क्षेत्र को सैन्य उपनिवेशवाद की ओर धकेल रहा है। चूंकि चीन आसियान देशों का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, चीन अपने इस प्रभाव से तथा ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति से आसियान देशों की एकता के लिए खतरा बना हुआ है। चीन का यह समीकरण आसियान देशों से भारत के संबंधों को प्रभावित भी कर सकता है।
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