ओपिनियन

सच और झूठ के बीच झूलता देश का लोकतंत्र

देश को जब आजादी मिली तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि हमारा देश, झूठ और फरेब की राजनीति का शिकार हो जाएगा

Oct 11, 2017 / 04:37 pm

सुनील शर्मा

indian parliament

– डॉ. विजेन्द्र झाला, टिप्पणीकार
राजनीतिज्ञ, जनता के सामने ख्याली पुलाव बनाते है और जब इनकी सच्चाई उजागर होने लगती है तो जो पहले गलत हुआ, उससे तुलना कर अपने गलत निर्णय या परिणाम को सही ठहराने की नाकाम कोशिश करते हैं।
देश को जब आजादी मिली तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि हमारा देश, झूठ और फरेब की राजनीति का शिकार हो जाएगा। आज राजनीति में झूठे और स्वार्थी लोग हावी हैं। प्रजातंत्र में कहने को तो असली ताकत जनता के हाथ में है, परन्तु राजनीतिज्ञों के वादे इतने बड़े और लुभावने होते है कि अधिकतर लोग इनके झांसों में आसानी से आ जाते है और अपना अधिकार इन्हें सौंप देते है। इनका झूठ की प्रस्तुति का तरीका इतना स्वाभाविक और प्रभावी होता है कि इनका झूठ भी पूरा सच लगने लगता है। असल में हमारा प्रजातंत्र आज सच और झूठ की राजनीति में ही झूल रहा है।
आज के राजनीतिज्ञ जनता के सामने ख्याली पुलाव और विकास के हवाई किले ही बनाते है। यदि इनकी सच्चाई उजागर होने लगती है तो जो पहले गलत हुआ, उससे तुलना कर अपने गलत निर्णय या परिणाम को सही ठहराने की नाकाम कोशिश करते हैं। भारत में वैसे तो सभी राजनीतिक दलों की सरकारों का प्रदर्शन और परिणाम देश की तरक्की की दृष्टि से कमोबेश एक सा ही रहा। परन्तु वर्तमान समय की राजनीतिक बयानबाजी ने जनता को अधिक आघात पहुंचाया है।
ऐसा नहीं है कि सच्चे और योग्य व्यक्ति राजनीति में आना ही नहीं चाहते परन्तु राजनीति के मठाधीश तनिक भी उनके लिए जगह नहीं छोड़ते। राजनीति में वंशवाद, भाई-भतीजावाद तथा गुटबाजी इतनी हावी हो गई है कि प्रतिभा सम्पन्न और देशभक्त व्यक्ति को जगह ही ेनहीं मिल पाती। विश्लेषण सामान्यत: वर्तमान का पहले होता है, इसलिए जनहित की दृष्टि से वर्तमान सरकार के वादों और उसके अब तक के परिणाम का आंकलन किया जाना चाहिए। देश की जीडीपी में गिरावट आयी है तथा राजकोषीय घाटा बढ़ गया। १५ लाख रोजगार कम हो गए।
मानव विकास की दृष्टि से भारत का स्थान 188 देशों में 131वां, शिक्षा के क्षेत्र में 145 देशों में 92 वें स्थान पर है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी भारत की स्थिति 188 देशों की सूची में 143वें स्थान पर है। भारत इस स्थिति में भी अपने बजट का सिर्फ 16 फीसदी शिक्षा तथा 15 फीसदी ही स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च कर रहा है जबकि इन क्षेत्रों में देश को त्वरित विकास की आवश्यकता है।
देश की 70 फीसदी जनता कृषि क्षेत्र पर निर्भर है, इसलिए इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा तथा स्वच्छता के आधारभूत साधनों को उपलब्ध करवाए जाएं ताकि विकास का आधार स्तंभ मजबूत हो। जनता को भी सरकार के निर्णयों पर सहमति देने से पूर्व अपने विवेक, दीर्घकालीन एवं स्थायी परिणाम का सही आंकलन करने की जरूरत है।

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