आत्म-दर्शन : आंतरिक शांति है बहुत जरूरी
- यदि मानवता को जीवित रखना है तो सुख तथा आंतरिक शांति महत्त्वपूर्ण है।

दलाई लामा, (बौद्ध धर्मगुरु)
यह ऐसा समय है जब विनाशकारी भावनाएं जैसे क्रोध, भय और घृणा संपूर्ण विश्व में विध्वंसकारी समस्याओं को जन्म दे रही है। जहां दैनिक समाचार इस तरह की भावनाओं की विनाशकारी शक्ति के विषय में गंभीर चेतावनियां दे रहे हैं, तो जो प्रश्न हमें पूछना चाहिए वह यह कि हम उन पर काबू पाने के लिए क्या कर सकते हैं? यदि मानवता को जीवित रखना है तो सुख तथा आंतरिक शांति महत्त्वपूर्ण है। अन्यथा हमारे बच्चों और उनके बच्चों का जीवन दुखी, हताश और अल्पायु होने की आशंका होगी।
11 सितंबर 2001 की त्रासदी ने दिखा दिया कि घृणा से संचालित आधुनिक तकनीक और मनुष्य बुद्धि अत्यधिक विनाश ला सकती है। भौतिक विकास निश्चित रूप से प्रसन्नता में और एक सीमा तक आरामदायक जीवन शैली में योगदान देता है, पर यह पर्याप्त नहीं है। सुख के एक और गहन स्तर को प्राप्त करने के लिए हम अपने आंतरिक विकास की उपेक्षा नहीं कर सकते। मैं अनुभव करता हूं कि हमारे आधारभूत मानवीय मूल्य हमारी भौतिक क्षमताओं के नए शक्तिशाली विकास के साथ कदम नहीं मिला पाए हैं।
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