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बीमा योजना: सबके स्वास्थ्य की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती

– यदि योजना सफल रही तो इसका चिकित्सा तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह देश के लिए एक मॉडल बन जाएगी

Mar 05, 2021 / 09:58 am

विकास गुप्ता

बीमा योजना: सबके स्वास्थ्य की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती

मोनिका चौधरी

सबके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा का सार यह है कि सबको गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं किफायती दरों पर मिलना सुनिश्चित हो। इसके तीन मुख्य पहलू हैं-पहला जिसे भी स्वास्थ्य सेवाएं चाहिए, वे उसे मिलें, यह सिर्फ उन्हें ना मिलें, जो इसके लिए भुगतान कर सकते हैं। दूसरा, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता ऐसी होनी चाहिए कि ये सेवाएं प्राप्त करने वाले के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं। तीसरा, लोगों को वित्तीय जोखिम से सुरक्षा मिलनी चाहिए। यानी स्वास्थ्य सेवाओं की लागत इतनी नहीं होनी चाहिए कि जो लोगों को आर्थिक संकट में डाल दे। हाल ही राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में घोषणा की है कि सरकार की ओर से एक ऐसी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जाएगी, जो राज्य के सभी लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराएगी। यह योजना 850 रूपए वार्षिक प्रीमियम पर सभी के लिए उपलब्ध रहेगी। राज्य की जनता के एक ही बीमा योजना के अंदर कवर होने से इसे लागू करना आसान हो जाएगा। आकार में बड़ी होने से यह सस्ती पड़ेगी, निजी अस्पताल सरकार के पैनल में शामिल होने का प्रयास करेंगे, ताकि उनके यहां ज्यादा संख्या में मरीज आएं। इससे निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की कीमतें कम होंगी।

लाभार्थियों को योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड या जन आधार कार्ड देना होगा। सरकार अब योजना को अंतरराज्यीय बनाने की योजना पर भी काम कर रही है। राज्य सरकार को योजना के लिए एक मजबूत वित्तीय मॉडल बनाना होगा, क्योंकि हर वर्ष कवरेज बढऩे के साथ ही योजना के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ेगी। स्वास्थ्य राज्यों का विषय है। सबके लिए लागू की जा रही इस स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए राजस्व से पैसा जुटाना होगा। इस योजना के लिए यदि एक कार्यशील वित्तीय मॉडल विकसित हुआ, तो अन्य राज्य भी ऐसी योजना अपने यहां लागू करने के लिए प्रेरित होंगे। राजस्थान नि:शुल्क दवा और नि:शुल्क जांच की योजनाओं को पहले ही सफलतापूर्वक लागू कर चुका है। विदेशों में सरकारें स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण सेक्टर्स पर खर्च बढ़ाने के लिए ज्यादा टैक्स लगाती हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा मानव विकास के दो प्रमुख स्तम्भ हैं। एक स्वस्थ्य और शिक्षित समाज ही सद्भावपूर्ण और प्रसन्न समाज होता है। अच्छे प्रशासन से ही समाज में सभी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा उपलब्ध हो सकती है और यही समानता का सबसे बड़ा सूचकांक बनता है। स्वास्थ्य में निवेश से दीर्घकालीन लाभ मिलते हैं।

2020 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार पीएमजेएवाइ के राष्ट्रीय आंकड़े बताते हैं कि योजना के तहत विभिन्न मेडिकल प्रोसीजर्स का उपयोग ज्यादा नहीं हुआ है। कुछ राज्यों द्वारा लागू की गई बीमा योजना आर एसबीवाइ के लिए हुए अध्ययन बताते हैं कि यह योजना भी लक्षित समूहों तक पहुंचने में सफल नहीं रही। योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन ओओपी यानी मरीज की जेब से होने वाले खर्च पर इसका प्रभाव ज्यादा नजर नहीं आया और इसने स्वास्थ्य के कारण होने वाली आर्थिक तंगी को भी कम नहीं किया। केन्द्र और राज्य दोनों स्तरोंं पर सरकारें आरएसबीवाइ को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाईं। आरएसबीवाइ में बीमाकर्ता को पांच से कम सदस्यों वाले परिवारों का बीमा करने में ज्यादा फायदा नजर आया, जो जरूरी था और इसीलिए पूरे वर्ष में आधे समय तक तो रजिस्ट्रेशन कार्ड ही वितरित होते रहे। डॉक्टरों और अस्पतालों ने क्लेम उठाने के लिए गैर जरूरी उपचार लिखे और कराए। ऐसी हालत में राजस्थान में लागू होने वाली योजना लक्षित समूह तक पहुंचाना और इसे बेहतर ढंग से रेग्यूलेट करना एक बड़ी चुनौती रहेगी। इसके बावजूद यदि यह योजना सफल रही, तो इसका चिकित्सा तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह देश के लिए एक मॉडल बन जाएगी।
(लेखिका आइआइएचएमआर विवि में एसोसिएट प्रोफेसर हैं)

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