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इंटरनेट पर पाबंदी ही समाधान नहीं, प्रबंधन ठीक से किया जाए तो नेटबंदी के बिना भी कराई जा सकती हैं परीक्षाएं

locationनई दिल्लीPublished: Nov 18, 2021 09:08:37 am

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Patrika Desk

हाल के दिनों में कृषि कानूनों के विरोध में जारी विरोध प्रदर्शन में भी इंटरनेट बंद किया गया। वहीं, राजस्थान में तमाम तरह की भर्ती परीक्षाओं के दिन भी इंटरनेट बंद कर दिया गया। डिजिटल अधिकार संस्थाओं के अनुसार इंटरनेट शटडाउन एक तरह का मानवाधिकार उल्लंंघन है। इंटरनेट बंद करना लोगों की दिनचर्या को पूरी तरह बंद कर देने जैसा है। ऐसे में जरूरी है कि सरकारें इसे कम से कम बंद करें।

इंटरनेट पर पाबंदी ही समाधान नहीं, प्रबंधन ठीक से किया जाए तो नेटबंदी के बिना भी अच्छी तरह से कराई जा सकती हैं परीक्षाएं

इंटरनेट पर पाबंदी ही समाधान नहीं, प्रबंधन ठीक से किया जाए तो नेटबंदी के बिना भी अच्छी तरह से कराई जा सकती हैं परीक्षाएं

प्रो. राकेश गोस्वामी
(क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान – जम्मू)

राजस्थान में पिछले माह दो बार कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया। पहले पटवारी भर्ती परीक्षा में नकल रोकने और अफवाहों पर विराम लगाने के लिए 23 और 24 अक्टूबर को सुबह 6 से शाम 6 बजे तक नेटबंदी का नुस्खा आजमाया गया। फिर राजस्थान प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के लिए नेट बंद कर दिया गया। पटवारी परीक्षा से पहले सितंबर में रीट परीक्षा के दौरान भी इंटरनेट बंद किया गया। जैसे इंतजाम पटवारी परीक्षा के लिए किए, कमोबेश वैसे ही रीट के लिए भी हुए थे। परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले तलाशी, मेटल डिटेक्टर से जांच, संदिग्ध केंद्रों पर सीसीटीवी और केंद्र में कोई भी उपकरण या अनुचित सामग्री ले जाने की मनाही जैसे इंतजाम के बावजूद ९ जिलों में गड़बड़ी मिली और कुछ जगह पेपर भी लीक हो गया। मामले में अब तक 20 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और 10 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है।

सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं में नकल व पेपर लीक की समस्या पर लगाम लगाने के लिए नेटबंदी नई बात नहीं है। कई राज्य इस तरकीब को अपनाते हैं। बावजूद इसके पेपर लीक हो जाता है। पेपर लीक होने की समस्या गंभीर है। इसी साल फरवरी में भारतीय सेना में जनरल ड्यूटी सैनिकों की भर्ती के लिए आयोजित कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (सीईई) के दौरान पेपर लीक होने की वजह से परीक्षा निरस्त हुई और धांधली के आरोप में दो मेजर को गिरफ्तार किया गया। वहीं, उत्तर प्रदेश में अगस्त 2021 में हुई उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की प्रारंभिक पात्रता परीक्षा (पीईटी) में भी पर्चा लीक होने की खबर सामने आई।

दरअसल, भारत में बेरोजगारी की समस्या इतनी विकराल है कि किसी भी भर्ती में लाखों नौजवानों की आस अटकी रहती है और वे भर्ती में सफल होने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। एक समय था जब युवा सरकारी नौकरियों की ओर कम आकर्षित होते थे। निजी क्षेत्र में तनख्वाह और सुविधाएं ज्यादा थीं, लेकिन सातवें वेतन आयोग के बाद जब तनख्वाह बढ़ी और निजी क्षेत्र में नौकरियां तेजी से जाने लगीं, तो नौजवानों ने सरकारी नौकरी की तरफ रुख कर लिया। जाहिर है हर भर्ती में कई लाख अभ्यर्थी परीक्षा देते हैं।

यदि परीक्षा का प्रबंधन ठीक से किया जाए, तो नेटबंदी जैसे कदमों के बिना भी सुचारू रूप से परीक्षाएं कराई जा सकती हैं। तो क्या यह कहना सही नहीं होगा कि नेटबंदी प्रशासनिक कुप्रबंधन की निशानी है? नेटबंदी के आंकड़ों पर गौर करें, तो पता चलता है कि भारत में हर छोटे-मोटे मौकों पर इंटरनेट बंद कर दिया जाता है। पिछले तीन वर्षों से भारत नेटबंदी के मामले में पहले पायदान पर बना हुआ है। डिजिटल अधिकार और निजता संस्थान एक्सेस नाऊ के द्वारा मार्च 2021 में जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में विश्व में 155 बार नेटबंदी हुई। इसमें से 109 मामले भारत के हैं। देश के भीतर देखा जाए, तो सबसे ज्यादा नेटबंदी जम्मू-कश्मीर में की गई और उसके बाद राजस्थान में। नेटबंदी करने की वजहों में राजनीतिक अस्थिरता, चुनाव, आंदोलन, दंगे और परीक्षाएं शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में सेकेंडरी परीक्षाओं के दौरान नेट बंद कर दिया गया, तो पूर्वोत्तर के राज्यों में नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में किए जा रहे आंदोलन में भी यही कदम उठाया गया। हाल के दिनों में कृषि कानूनों के विरोध में जारी विरोध प्रदर्शन में भी इंटरनेट बंद किया गया। वहीं, राजस्थान में तमाम तरह की भर्ती परीक्षाओं के दिन भी इंटरनेट बंद कर दिया गया।

डिजिटल अधिकार संस्थाओं के अनुसार इंटरनेट शटडाउन एक तरह का मानवाधिकार उल्लंंघन है। इंटरनेट बंद करना लोगों की दिनचर्या को पूरी तरह बंद कर देने जैसा है। ऐसे में जरूरी है कि सरकारें इसे कम से कम बंद करें। परीक्षा में नकल, दंगे और दूसरी समस्याओं से निपटने के लिए अन्य विकल्पों पर ज्यादा मेहनत करें। साफ है कि इंटरनेट बंद करना ही किसी समस्या का अंतिम समाधान नहीं हो सकता।

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