कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए पर्यावरण संरक्षण की सख्त जरूरत है। प्रदूषण का स्तर अत्यंत बढ़ा हुआ है। पेड़ कटते जा रहे हैं, जिससे वन क्षेत्र कम हो रहा है। नदियों का जल भी प्रदूषित हो गया है। प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। पेड़ बचेंगे, तो वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ेगा। लोगों को स्वच्छ वायु मिलेगी। कोरोना की दूसरी लहर में अधिकांश मरीजों का ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया था। ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने पड़े। सरकार के साथ-साथ हर नागरिक भी पर्यावरण का संरक्षण करे। गमले में भी छोटे-छोटे पौधों को लगाएं। आस-पास जगह हो तो पेड़ लगाएं। सामूहिक प्रयास से पर्यावरण को संरक्षण देकर वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प करें।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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स्वच्छ पर्यावरण जीवन के लिए संजीवनी
देश का पर्यावरण अच्छा रहना सभी नागरिकों के लिए अति आवश्यक है। आज हमारे पड़ोसी देश भूटान को देख लीजिए। वहां पर 60 प्रतिशत वन है। वहां कोरोना का खास असर नहीं हुआ। हमें भी वन और वन्य जीवों को बचाना चाहिए, ताकि बीमारियों से बचे रहें।
-बालकिशन अग्रवाल, सूरत, गुजरात
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स्वच्छ पर्यावरण अनमोल उपहार
स्वच्छ पर्यावरण सभी के लिए आवश्यक है। कोरोना महामारी ने हमें जगाया और इसका महत्व बताया कि पर्यावरण इंसान के लिए कितना आवश्यक है। किसी भी बीमारी से जंग हम तभी जीत सकेंगे, जब पर्यावरण स्वच्छ हो। पर्यावरण को बचाने का सूत्र याद रखें। वह सूत्र हैं-अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना। पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेें इसके लिए मजबूत इरादे के साथ मेहनत करना शुरू करें। बीमारियों से बचने के लिए पर्यावरण से जुडं़े। प्रकृति के साथ चलें।
-डॉ. राजेंद्र कुमावत, जयपुर
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यह देखा गया है की जहां पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव कम है, वहां कोरोना का खास प्रभाव नहीं पड़ा है। पर्यावरण स्वच्छ होने से लोग प्रदूषण के कारण होने वाले अनेक शारीरिक रोगों से बचे रहते हैं। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छे स्तर पर बनी रहती है। इस कारण भविष्य में कोरोना या दूसरी किसी भी बीमारी से बचाव के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है।
-अविरल भारद्वाज, हिंडौन सिटी
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कोरोना जैसी बीमारियों से बचने के लिए पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है। अंधाधुंध पेड़ कटने के कारण पर्यावरण असंतुलित हो रहा है। तापमान बढ़ रहा है। पृथ्वी के तमाम संसाधनों का बेतरतीब तरीके से दोहन करने के कारण मौसम में कई परिवर्तन आए, जिसने हजारों बीमारियों को जन्म दिया। कुछ बीमारियों ने महामारी का रूप ले लिया। औद्योगिकीकरण और वैश्वीकरण ने खाद्य से लेकर जल तक को अशुद्ध कर दिया, जिसने बीमारियों को निमंत्रण देने का कार्य किया है ।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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कोरोना और पर्यावरण का नाम आते ही सबसे पहले जेहन में ऑक्सीजन का ख्याल आता है। कोरोना एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बीमार व्यक्ति के फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। मरीज को श्वास लेने में कठिनाई होती है। ऐसे में कोरोना से पीडि़त व्यक्ति को ऑक्सीजन की बहुत जरूरत होती है। जितनी मात्रा में ऑक्सीजन हमें प्रकृति द्वारा प्राप्त होती है, उतनी ऑक्सीजन का उत्पादन कृत्रिम रूप से नहीं किया जा सकता है। हमें प्राकृतिक रूप से ऑक्सीजन पेड़ पौधों से ही प्राप्त होती है। पेड़-पौधों को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है। अत: हम कह सकते हैं कि कोरोना जैसी बीमारियों से बचने के लिए पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है ।
-मल्लीकुमार मेहता, इंदौर
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समूचा विश्व महामारी से जूझ रहा है। यह प्रकृति से छेड़छाड़ का ही नतीजा है। पर्यावरण की रक्षा करते है तो प्रकृति हमारी रक्षा करती है। वृक्ष काटे जा रहे हैं। शहरों में दूर-दूर तक वृक्षों का नामोनिशान नहीं है। बहुमंजिला इमारतों नेे शहरों की आबोहवा बदल दी है। इसका असर आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आ रहा है। हमें बड़ी सूझबूझ से पर्यावरण संरक्षण की योजना बनानी चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के लिए वन क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत है।
-कांतिलाल मांडोत सूरत
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कोरोना जैसी समस्याओं से निपटने के लिए मनुष्य को प्राकृतिक संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन जैसे विषयों को समग्रता से समझना होगा। आज कोरोना जैसी महामारी और पर्यावरणीय विसंगतियों को दूर करने के लिए आर्थिक स्तर पर मूलभूत संरचनात्मक बदलाव लाने होंगे। कोरोना ने हमें यह अवसर दिया है कि स्थानीय और वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझें। अब हरित अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय-नवीनीकरण से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की जरूरत है। इन तमाम प्रयासों, नवाचारों, पारदर्शिता, जवाबदेही और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के सहारे हम इस संकट से उबरने में कामयाब हो सकते हैं।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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कोई भी बीमारी का इलाज कुदरत में ही छुपा होता है। यही कारण है कि हमें पर्यावरण का संरक्षण करना पड़ेगा। कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की कीमत का पता चला। कोरोना से बचाव के लिए हम जो घर पर घरेलू उपचार करते हैं, वह औषधि भी हमें कुदरत से मिली है। अगर स्वस्थ और तंदुरुस्त जीवन जीने की इच्छा हम रखते हैं तो पर्यावरण का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है।
-रीतू शेखावत, पीपलू, टोंक
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मनुष्य का शरीर पंचतत्वों अग्नि, वायु, जल, मिट्टी और आकाश से बना है। यह पंचतत्व ही पर्यावरण के मूल तत्व माने जाते हैं। यह पंचतत्व ही मनुष्य के शरीर में विभिन्न रोगों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं, लेकिन यह तब तक अनुकूल रहते हैं, जब तक इन्हें बाहरी पर्यावरण की शुद्धता प्राप्त हो। पर्यावरण का असंतुलन ही महामारी व अन्य प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनता जा रहा है। अत: इन आपदाओं से बचने के लिए पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है। प्राचीन समय में हमारे बुजुर्ग पर्यावरण का शास्त्रानुसार सम्मान और संरक्षण करते थे।
-सुदर्शन शर्मा, चौमूं, जयपुर
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स्वच्छ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन का आधार
यह सच है कि अगर हम हमारे पर्यावरण को साफ रखेंगे तो कोरोना ही नहीं कई और बीमारियों से भी हम अपना बचाव कर पाएंगे। आज सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम हमारे वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में अपना योगदान दें। भोजन मिलावटी ना होकर पोषण से भरपूर हो। नदी-नालों का पानी साफ हो और जितनी संख्या में वृक्ष कट रहे हैं, उससे भी अधिक संख्या में पौधरोपण करें। हमें यह समझना होगा कि स्वच्छ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन का आधार है ।
-प्रिया राजावत, जयपुर
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पर्यावरण ही जीवन की रीढ़ है। इसके बावजूद पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सरकार की कई योजनाओं में पेड़ों को बड़ी निर्दयता से काट दिया जाता है। इससे पर्यावरण असंतुलन हो जाता है। कोरोना ही नहीं, सभी बीमारियों की जड़ है बिगड़ता पर्यावरण। जब अंधाधुंध पेड़ों की कटाई होगी, तो बीमारियां तो फैलेंगी ही। अब तो जागना ही होगा।
-अरुण भट्ट, रावतभाटा
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प्रत्येक बीमारी और महामारी जीवाणु या वायरस के संक्रमण से ही होती है। घातक जीवाणु या वायरस गंदगी, दूषित पानी, दूषित हवा या दूषित भोजन में खूब पनपते हैं। शारीरिक और मानसिक स्वच्छता निरोगी रहने के लिए अनिवार्य है। गंदगी से दूरी रहे, तो रोगों से भी दूरी बनी रहेगी। प्रदूषित पर्यावरण जनजीवन के लिए खतरनाक है। कोरोना वायरस तो दिखता ही नहीं, किन्तु जो लार्वा, कीट, कूड़ा-करकट दिखते हैं, उसे भी समय पर साफ नहीं करते हैं। वृक्षारोपण पर्यावरण संरक्षण के लिए अनिवार्य है।
-मुकेश भटनागर,वैशालीनगर, भिलाई
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पर्यावरण संरक्षण न केवल कोरोना से, बल्कि दूसरी बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए जरूरी है। प्रदूषित पर्यावरण के कारण ही इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जा रही है। लोगों को गंभीर बीमारियां आसानी से जकड़ रही है। । प्रदूषण के कारण अब इंसानों के साथ अन्य जीवों का सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियर पिघलना, शुद्ध अन्न-जल न मिलना यह सब पर्यावरण से खिलवाड़ के ही नतीजे है।
-शुभम् दुबे, इंदौर, मध्यप्रदेश
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कोरोना ने हमें बता दिया कि यदि हमें ऐसी बीमारियों से बचना है, तो पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना ही होगा। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वच्छ वायु और वातावरण आवश्यक है। धुंआ उगलते वाहन और कल-कारखाने वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं। प्रदूषित वायु से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण को बढ़ावा देना होगा, ताकि हमें शुद्ध वायु मिल सके ।
-लक्ष्मण नायडू, रायपुर, छत्तीसगढ़
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कोरोना या अन्य कोई भी बीमारी या महामारी, हमारी ही गलतियों के कारण जन्म लेती है। मानव स्वार्थ वश होकर पर्यावरण यानी प्रकृति से खिलवाड़ करता है। परिणामों के बारे में जानबूझकर अनजान बना रहता है। बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। जैसे हाल ही लाखों लोग कोरोना के कारण कालकवलित हो गए।
राजेन्द्र कुमार सुराणा, रायपुर, छत्तीसगढ़