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आपकी बात, क्या अब जनता के लिए महंगाई मुद्दा नहीं है?

Published: Oct 27, 2021 06:20:02 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रि

आपकी बात, क्या अब जनता के लिए महंगाई मुद्दा नहीं है?

आपकी बात, क्या अब जनता के लिए महंगाई मुद्दा नहीं है?

सबसे बड़ा मुद्दा है महंगाई
वर्तमान में कौन कहता हैं कि महंगाई मुद्दा ही नहीं है। ऐसा कहने वाले वास्तविकता से कोसों दूर हैं । ऐसा कहने वाले साधन-सम्पन्न लोग ही हो सकते हैं, जिनके लिए महंगाई कोई मायने नहीं रखती। अल्प वेतन भोगी, मध्यम वर्ग एवं गरीब वर्ग का महंगाई के कारण घर चलाना मुश्किल हो रखा है। इसका मुख्य कारण डीजल और पेट्रोल की कीमतों में बेहताशा वृद्धि का होना है, जिससे सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होना स्वाभाविक ही है। भाजपा इसी मुद्दे पर सत्ता पर काबिज हुई थी। उसने वादा किया था कि 100 दिन में वह महंगाई को कम कर देगी। उस वादे का अब क्या हुआ? महंगाई कम होने की बजाय बढ़ गई। सरकार को महंगाई को नियंत्रित करना ही होग। यह जनता जनार्दन है, जो ताज पहनाना जानती है, तो ताज उतारना भी जानती है।
-आशुतोष मोदी, सादुलपुर, चूरु
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कुछ तो करे सरकार
गैस सिलेंडर, पेट्रोल, डीजल, खाद्य पदार्थ, सब्जी सभी के दाम आसमान छू रहे हैं। गरीब वर्ग की जनता का तो दिवाला ही निकल रहा है। वह भुखमरी के कगार पर है। सरकार है कि सोचती ही नहीं है। कुछ तो सरकार को सोचना पड़ेगा।
-मनोज कुमार शर्मा, अणुपुरम, तमिलनाडु
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महंगाई बेकाबू
लगातार बढ़ती महंगाई से आम जनता बेहद परेशान है। आए दिन किसी न किसी चीज के भाव बढऩे की खबर आती है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस ने तो रेकॉर्ड तोड़ दिए. मगर इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है। आमदनी के मुकाबले महंगाई काफी अधिक है। महंगाई को काबू में लाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
-साजिद अली, इंदौर
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महंगाई से बढ़ गई परेशानी
कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, वहीं महंगाई ने जनता की परेशानी बढ़ाई है। पेट्रोल, डीजल, गैस, तेल, सब्जी के भाव आसमान छू रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ी है। निश्चित रूप से आगामी चुनावों में जनता के लिए महंगाई मुद्दा बनेगा।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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सरकार की गलत नीतियों का परिणाम
आज भी जनता के लिए महंगाई मुख्य मद्दा है, परन्तु सरकार की यह कोशिश चल रही है कि महंगाई को मुद्दा न बनने दिया जाए। आज रोजमर्रा की वस्तुएं बहुत महंगी हो गई हैं। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के साथ-साथ खाने का तेल भी बहुत महंगा हो गया है। आज आम आदमी का घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है। गरीब लोगों की बहुत बुरी हालत है। यह सब सरकार की गलत नीतियों का ही परिणाम है ।
-महेश सक्सेना, भोपाल, मप्र
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महंगाई हर किसी के लिए एक बड़ा मुद्दा है, परन्तु मुद्दा तो सिर्फ मुद्दा ही बनकर रह गया है। सब कुछ जानते हुए भी लोगों की जुबान बंद है। आखिर लोग करें तो क्या करें? कोई कुछ बोले तो क्या बोले?ï सभी यह जानते हैं कि बोल कर भी कोई असर होने वाला नहीं है। यही कारण है कि सबकी जुबान बंद है। कोरोना की मार झेली हुई जनता अब उबरऩे के प्रयास में जुटी हुई है और महंगाई है कि अलग परेशान कर रखा है। परिस्थितियां चाहे कुछ भी हो बड़े लोगों को तो इतना फर्क नही पड़ता, परन्तु उन गरीब लोगों का क्या जो किसी प्रकार से दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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त्रस्त है जनता
सरकारें बदलती गईं लेकिन महंगाई नहीं रुकी। महंगाई घटने की बजाय दिनोंदिन बढ़ती ही गई। महामारी ने आग में घी का काम किया है। कोरोना काल में जिनके रोजगार छिन गए हैं, असमय आई बाढ़ ने जिनकी तैयार फसलों को तबाह कर दिया है, जो बेघर हो गए हैं, दाने-दाने को मोहताज मजदूर वर्ग महंगाई से बुरी तरह त्रस्त है। इस तरफ सरकार का ध्यान ही नहीं है।
– विभा गुप्ता, बैंगलुरु
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मीडिया उठाए यह मुद्दा
महंगाई जनता के लिए हमेशा ही एक बड़ा मुद्दा होती है। कीमतें जरा सी बढऩे पर बोझ सीधा आम आदमी की जेब पर पड़ता है। यहां सवाल है कि जनता के प्रश्न और मुद्दे दिखें कैसे? इसमें मीडिया की भूमिका अहम है। अगर मीडिया परेशान लोगों के सवालों को उठाएगा, उन पर खबरें दिखाएगा, तो महंगाई जनता का मुद्दा भी लगने लगेगी। अगर मीडिया जनता के दुख दर्द को जानने का सच्चा प्रयत्न करेगा, तभी तो यह संभव होगा। इसलिए यह कहना कतई सही नहीं है कि महंगाई जनता का मुद्दा नहीं रह गया है।
संदीप भट्ट
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कोरोना काल से लोगों के रोजगार छिन गए। बाजार की कमर टूट गई, कम्पनियां अब भी नुकसान की भरपाई नहीं कर पा रहा है। ऐसे में रोजगार का सृजन चरमरा गया है। ऐसे विषम समय में लगातार महंगाई की मार झेलना बहुत मुश्किल है। लोग जरूरत की चीजें महंगी खरीदने को मजबूर हैं।
बृजनेहरू पाटीदार, जनकपुर नीमच म.प्र.

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चुप है जनता
जनता आज राशन, ईंधन और सभी आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से त्रस्त है, लेकिन राजनीतिक माहौल के कारण वह महंगाई एवं अन्य मुद्दों पर चुप है। लोगों को लगता है कि यदि विरोध दर्शाया गया तो उन पर देशद्रोही होने का तमगा लगा दिया जाएगा।
-एस. पी. कुमावत, भाणा, राजसमंद
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