भारत की आबादी को देखते हुए वैक्सीनेशन का काम तेजी से करना आसान नहीं है। खास तौर पर इसलिए कि हमारे यहां सरकारी चिकित्सा तंत्र इतना मजबूत नहीं है। यही वजह है कि सरकार ने अब इस काम में प्राइवेट सेक्टर को शामिल किया है। इससे वैक्सीनेशन का काम और तेजी से हो सकेगा। सरकारी अस्पतालों में जहां नि:शुल्क वैक्सीनेशन किया जाएगा, वहीं प्राइवेट सेक्टर में शुल्क लेकर यह काम किया जा सकेगा।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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कोरोना टेस्टिंग व इलाज में निजी क्षेत्र के अनुभव को देखते हुए टीकाकरण के काम को तेजी से बढ़ाने के लिए सरकारी एवं निजी संस्थानों का मिलकर काम करना बहुत जरूरी हो गया है। अकेले सरकारी अस्पतालों के दम पर टीकाकरण करने में बहुत समय लगेगा। सरकार प्रयास करे कि वाजिब खर्च पर जरूरतमंदों तक वैक्सीन पहुंचे और लगे।
-मणिराज सिंह चंद्रावत, मंदसौर, मप्र
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कोरोना वैक्सीन में प्राइवेट सेक्टर को साथ लेना तो उचित है, पर इसके कुछ नियम व शर्तें भी होनी चाहिए, वरना यह व्यापार की तरह हो जाएगा। निजी अस्पताल मनमाने पैसे लेने लगेंगे, जिससे लोग मुश्किल में फंस जाएंगे। ध्यान रहे कि कोरोना की कोई दवाई नहीं होते हुए भी प्राइवेट अस्पतालों ने मरीजों के इलाज के लिए काफी पैसा लिया है।
-सुलेखा नाहर, बेंगलूरु
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भारत जैसे बड़े भू भाग और 135 करोड़ की आबादी वाले देश में वैक्सीनेशन का काम जटिल है। इसकी रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है, ताकि जल्दी से जल्दी, ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना के खतरे से सुरक्षित किया जा सके। इसके लिए अगर प्राइवेट सेक्टर को साथ लेना पड़े हो तो कोई हर्ज नहीं है। अन्य देशों के गंभीर हालात पर नजर रखते हुए हमें सचेत रहने की जरूरत है। आज देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या पुन: बढऩे लगी है। केरल और महाराष्ट्र में पुन: लॉकडाउन लगाने की चर्चा भी होने लगी है। इस संकट में देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगाना जरूरी है। सरकार के सीमित संसाधनों के चलते वैक्सीनेशन में निजी सेक्टर को साथ लेना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा।
-भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर
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कोरोना वैक्सीनेशन में प्राइवेट सेक्टर को साथ लेना एक उचित कदम होगा, क्योंकि इससे शीघ्रता से टीकाकरण किया जा सकेगा। साथ ही सरकारी अस्पतालों में भीड़ कम होने से जरूरतमंद गरीबों का टीकाकरण करने में मदद मिलेगी। सरकार को यह ध्यान रखना होगा कि प्राइवेट सेक्टर कीमतों के मामले में मनमर्जी नहीं कर पाए।
-श्रीकृष्ण पचौरी, ग्वालियर
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सरकार ही निजी क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है। ऐसा लगता है कि उद्योगपतियों की आय में वृद्धि करने के लिए वैक्सीनेशन के काम में प्राइवेट सेक्टर को साथ लिया गया है। जीवन से जुड़े मामलों में यह ठीक नहीं है।
-ओम हरित, फागी, जयपुर
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मेरी नजर में कोरोना वैक्सीनेशन में प्राइवेट सेक्टर को साथ लेना उचित नहीं है। प्राइवेट सेक्टर को कोरोना वैक्सीन लगाने का कार्य देने से टीके की मनमानी कीमत भी वसूली जा सकती है। साथ ही वैक्सीन लगाने में भी भेदभाव बढ़ेगा। इसलिए कोरोना वैक्सीननेशन में प्राइवेट सेक्टर को साथ लेना उचित नहीं है।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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वैक्सीनेशन के कार्य में निजी क्षेत्र को साथ लेने का फायदा ही होगा। संपन्न लोग वैक्सीन स्वयं के खर्च पर लगाने में सक्षम हंै। उनको दूसरी वैक्सीन की तरह कोरोना वैक्सीन लगवाने की इजाजत होनी चाहिए। सरकार प्राइवेट सेक्टर का इस्तेमाल देश हित के लिए लेती है, तो बुराई क्याहै?
-डॉ प्रभु सिह, झोटवाड़ा जयपुर
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सरकार से वैक्सीनेशन में प्राइवेट कंपनियों को शामिल करने की मांग तेजी से उठी थी। बड़े-बड़े दिग्गज उद्योगपतियों ने भी तेज और प्रभावी वैक्सीनेशन के लिए प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने की वकालत की। प्राइवेट सेक्टर को टीकाकरण में लगाने से हम लक्ष्य तक जल्दी पहुंच सकते हैं। इससे सभी लोगों का टीकाकरण शीघ्र हो पाएगा।
-कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं, जयपुर