script

आपकी बात, विधायकों के इस्तीफों के जरिए सरकारें गिराना क्या उचित है?

Published: Feb 23, 2021 07:27:23 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात,  विधायकों के इस्तीफों के जरिए सरकारें गिराना क्या उचित है?

आपकी बात, विधायकों के इस्तीफों के जरिए सरकारें गिराना क्या उचित है?

जनता का अपमान
भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में विधायकों के त्यागपत्र से सरकार गिराना लोकतंत्र और जनता को अपमानित करना है। चुनाव प्रक्रिया से लेकर शपथ-ग्रहण समारोह तक लम्बी प्रक्रिया चलती है। जोड़-तोड़ कर सरकार बन जाती है। फिर जनता के हित के काम भूल कर ये अपने-अपने निजी स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तत्पर हो जाते हैं। घटिया राजनीति का खेल शुरू हो जाता है। विगत कुछ सालों से पक्ष-विपक्ष में कटुता ज्यादा है। एक-दूसरे को नीचा दिखाना ही इनका मकसद रह गया है। देश का राजनीतक माहौल अपने निम्नस्तर तक आ गया है।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
……………………………..
पैदा होती है राजनीतिक अस्थिरता
पिछले कुछ वर्षों में विधायकों को प्रलोभन देकर उन्हें इस्तीफा दिलवाकर, निर्वाचित सरकार को गिराने के कई घटनाक्रम सामने आए हैं। इस प्रकार से जनता के जनादेश का तो अपमान होता ही है, साथ ही राजनीतिक अस्थिरता पैदा होने से प्रदेश के विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है। अंतत: आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान में राजनीतिक दलों का काम केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है। इस प्रकार के अनुचित घटनाक्रमों को रोकने के लिए सशक्त वैधानिक प्रावधान जरूरी हैं।
-आशुतोष शर्मा, पावटा, जयपुर
………………….
जनता सबक सिखाए
विधायकों को जनता चुनती है। यदि वह केवल सत्ता प्राप्ति के लिए दलबदल कर अन्य दल में सम्मिलित हो, सरकार गिराने में मददगार होता है, तो उसकी साख पर सवाल तो उठता ही है। जनता भी जागरूक होकर ऐसे नेताओं को चुनावों में सबक सिखाना चाहिए।
-छगन लाल व्यास, खंडप, बाड़मेर
…………………………….
जनता में निराशा
विधायकों के इस्तीफों के जरिए सरकारें गिराना उचित नहीं है। लोग क्षेत्र के विकास के लिए विधायक चुनते हैं। वही विधायक इस्तीफा दे देता है, तो जनता को निराशा होती है। फिर लोग मतदान क्यों करेंगे?
-इफरा कुरैशी, इंदौर
…………………..
यह कैसा लोकतंत्र
यह बहुत शर्मनाक बात है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकारें गिराने का खेल आज भी बदस्तूर जारी है। यह तो लोकतंत्र नहीं है कि जनप्रतिनिधि स्वयं ही घोड़ों की तरह बिकने के लिए तैयार हो जाएं। इससे ही कई तरह की बुराइयां पनपती हैं।
-हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन
………………………………
लोकतंत्र के हित में नहीं
भारतीय राजनीति दूषित होती जा रही है। अब किसी सरकार को अल्पमत में लाकर सरकार गिराने का नया तरीका प्रचलन में आया है। इसके लिए विधायकों के इस्तीफों को माध्यम बनाया जा रहा है। किसी भी लोकतंत्र के लिए यह कतई अच्छा नहीं माना जा सकता है। लोकतंत्र को बचाने के लिए इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाना अनिवार्य है।
-कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं, जयपुर
……………………………..
जनादेश का सम्मान जरूरी
विपक्षी दल हमेशा सरकार को गिराने और अस्थिर करने की फिराक में रहते हैं। इसके लिए वे कई तरह के रास्ते अपनाते हैं। कई बार सत्तापक्ष के विधायकों को प्रलोभन देकर उनका इस्तीफा दिलवाया जाता है, ताकि सत्ता पक्ष अल्पमत में आ जाए। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनादेश का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।
-हनुमान बिश्नोई, धोरीमन्ना, बाड़मेर
…………………………………..
डगमगाता विश्वास
विधायकों के इस्तीफे से विरोधी पार्टी द्वारा सरकार गिराना जनता का अपमान है। चुनी सरकार को व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए जोड़-तोड़ कर गिराना सही नहीं है। इससे लोगों का लोकतंत्र के प्रति विश्वास ही डगमगा जाएगा।
-मोहित पाटीदार, धामनोद, मध्यप्रदेश
………………………………..
चुनाव लडऩे पर लगाया जाए प्रतिबंध
खरीद-फरोख्त कर विधायकों के इस्तीफों के जरिए सरकार गिराने की जो राजनीति की जा रही है, वह चिंताजनक है। ऐसे लोगों की पार्टी की सदस्यता समाप्त कर देनी चाहिए और ऐसे लोगों को अन्य पार्टियों में भी स्थान नहीं मिलना चाहिए। इनका निर्वाचन रद्द करना चाहिए और भविष्य में भी ऐसे लोगों के चुनाव लडऩे पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
…………………………
नैतिकता का पतन
किसी दल के सदस्य बनकर उस दल के चुनाव चिह्न पर चुनाव लडऩे वाले नेता जब पद या धन के प्रलोभन में अपनी ही सरकार को गिराने की साजिश रचते हैं, तो यह निश्चित ही नैतिकता का पतन है। इस पतन के लिए सभी राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं, जो बिना किसी नियत प्रक्रिया का पालन किए जाति और धर्म के आधार पर किसी को भी टिकट थमा देते हैं। बाद में इसका खमियाजा उन्हें और जनता दोनों को ही भुगतना पड़ता है
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
…………………………
लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं
सरकार की तानाशाही और हठधर्मिता को रोकने के लिए सरकार गिरानेे के लिए इस्तीफा देना उचित हो सकता है। मुश्किल यह है कि हमारे देश की राजनीति अवसरवाद की और तेजी से बढ़ रही है, यहां कुछ राजनेता अपने स्वार्थ को सर्वोपरि मानते हुए गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे , जो लोकतंत्र के लिए जरा भी उचित नहीं है।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
…………………….
जनता के साथ छल
विधायकों के इस्तीफे के जरिए सरकार गिराना एक प्रकार से ठीक नहीं है। मैं इसे लोकतंत्र के खिलाफ भी कहूंगा, क्योंकि विधायक जनता की तरफ से मुख्यमंत्री का चयन करते हैं। लोग उस पार्टी के विधायक को अपना मत देते हैं, जिस पार्टी के मुख्यमंत्री को वे अपने राज्य के प्रमुख के रूप में कार्यरत देखना चाहते हैं । विधायकों ने इस्तीफे देकर जनता से छल किया है।
-प्रशांत सिंह, सागर, मध्यप्रदेश

ट्रेंडिंग वीडियो