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आपकी बात, क्या अल्प बचत योजनाओं से जनता का मोहभंग हो रहा है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Apr 09, 2021 / 06:48 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात, क्या अल्प बचत योजनाओं से जनता का मोहभंग हो रहा है?

घातक साबित होगा बचत योजनाओं से खिलवाड़
अल्प बचत योजनाओं की ब्याज दर अनाकर्षक बना कर केंद्र सरकार, जनता की बचत को शेयर बाजार जैसे अनिश्चित प्रकृति के निवेश की ओर मोड़ रही है। यह भविष्य के लिए बहुत ही घातक साबित होने वाला है। भारतीय संस्कृति पहले बचत फिर उपभोग की रही है, किंतु वर्तमान समय में पहले उपभोग बाद में बचत करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है। उधार लेने पर सब्सिडी और बचत करने पर न्यूनतम प्रतिफल (ब्याज ) मिले तो कौन बचाएगा? आजकल सरकारों का सारा अर्थ प्रबंधन उधार आधारित है। इसलिए अल्प बचत योजनाओं की ब्याज दरों को न्यूनतम रखकर सरकार बाजार से निचली ब्याज दरों पर उधार प्राप्त करने के जुगाड़ में लगी रहती है
-गिरीश कुमार जैन, इंदौर
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बढ़ेगी अमीर और गरीब के बीच खाई
सरकार अल्प बचत योजनाओं को हतोत्साहित कर सरकारी प्रतिभूतियों को बेच रही है। दूसरी तरफ एक ऐसा तबका भी है, जिसके पास खाने के लिए ही नहीं है, तो बचत कहां से होगी? जिस तरह का माहौल है उससे लगता है कि गरीब और अमीर के बीच खाई बढ़ती जाएगी।
-सिद्धार्थ शर्मा,गरियाबंद,छत्तीसगढ़
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लगातार कम हो रहा है ब्याज
अल्प बचत योजनाओं से मोहभंग होना स्वाभाविक ही है, क्योंकि इन पर जो प्रतिफल मिलता है वह आकर्षक नहीं रहा है। इन पर मिलने वाली ब्याज दर बहुत ही न्यून है और अभी हाल ही में सरकार ने इन पर जो ब्याज दिया जाता है, उसको भी कम कर दिया है। यह अलग बात है कि पांच राज्यों में चुनाव होने के कारण इसे वापस तो ले लिया है। लोगों को आशंका है कि सरकार चुनावों के बाद इसे लागू कर देगी। अत: सरकार यदि अल्प बचत योजनाओं से लोगों का मोहभंग नहीं करना चाहती है, तो उसे इनको आकर्षक बनाना होगा और इनमें निवेश की गई राशि की सुरक्षा की गारंटी देनी होगी।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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अल्प बचत को हतोत्साहित कर रही है सरकार
अल्प बचत समाज ही नहीं , देश के विकास के लिए संसाधन उपलब्ध कराती है। आज ब्याज दरें निम्नतर स्तर पर हैं, जो अल्प बचत को हतोत्साहित कर रही है। महंगाई वृद्धि दर के तारतम्य में जमा ब्याज दरें होना चाहिए , ताकि जनता बचत के लिए प्रोत्साहित हो ।
-सुरेन्द्र कुमार संघवी , मंदसौर
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कटौती के संकेत
अल्प बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों को लगातार कम किया जा रहा है। हाल ही जिस प्रकार से ब्याज दरों में कटौती की गई और फिर उसे वापस ले लिया गया, वह इस बात का संकेत है कि भविष्य में ब्याज दरों में कटौती से जनता का अल्प बचत योजनाओं से मोहभंग हो सकता है ।
-प्रशांत राठौर,कोरबा,छत्तीसगढ़
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अब नहीं है उत्साह
एक समय में अच्छी ब्याज दर और आकर्षक लकी ड्रॉ स्कीम के चलते डाकघर की बचत योजनाओं के प्रति लोगों में भारी उत्साह था, लेकिन अब ब्याज दरों में काफी कमी कर दी गई है। ऐसी स्थिति में जनता का मोह भंग होना स्वाभाविक है। -परमिनास मैथ्यू, उदयपुर
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आयकर छूट के जरिए मिल सकता है प्रोत्साहन
सरकार की अल्प बचत योजनाओं में आयकर में छूट के कारण विनियोग किया जाता है, जिसकी भी सीमा निर्धारित है। अन्य कोई आकर्षण नहीं। ब्याज की दरों में कमी, उपभोक्तावाद का बढ़ता प्रभाव एवं क्रेडिट कार्ड के उपयोग में वृद्धि के कारण अल्प बचत योजनाओं से मोहभंग हुआ है। आयकर नियमों में अल्प बचत योजनाओं में किए गए विनियोग की सीमा को बढ़ाकर बचत को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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विश्वास में कमी
बैंकिंग नियमों में बदलाव, अल्प बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती, कई निजी बैंकों में ठगी के मामले जनता के विश्वास को हिला रहे हैं। इससे अल्प बचत योजनाओं से मोहभंग कर रहे हैंैं।
शिवजी लाल मीना, जयपुर
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सुरक्षित नहीं रही बचत
आज के दौर में लोगों के काम-धंधे बराबर नहीं चल रहे हैं। इसके अलावा आय के अनुपात में खर्च बहुत अधिक है। लोग बचत तो करना चाहते हैं, लेकिन कई वित्तीय संस्थाएं और बैंक उनकी मेहनत की कमाई को हजम कर जाते हैं। इस कारण से भी लोगों का अल्प बचत करने से विश्वास घटा है।
-प्रकाश चन्द्र राव, भीलवाड़
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अल्प बचत योजना के नाम पर ठगी
आज हमारे पास भविष्य की सुरक्षा के लिए बचत के कई विकल्प उपलब्ध हैं। म्यूचुअल फंड, शेयर, जीवन -बीमा पॉलिसी, बैंक में निवेश के साथ ही आज बाजार में कई निजी बैंक भी हैं, जहां ऊंची ब्याज दरों पर निवेश किया जा सकता है। हां, कुछ बैंक लोगों के जीवन भर की पूंजी डकार गए हैं, जिनसे आम जनता में गलत संदेश गया है।
-सी.पी.गोदारा ,ओसियां, जोधपुर
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आशंकित है जनता
बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा राशि पर निरंतर घटती हुई ब्याज दर से लोगों का अल्प बचत से मोहभंग हो रहा है। हाल में बचत योजनाओं में ब्याज दर और घटाई गई। बाद में इसे वापस लिया गया। इससे लोग आशंकित हैं। आसानी से मिलने वाले ऋण एवं क्रेडिट कार्ड सुविधा भी बचत की प्रवृत्ति को घटा रही है।
-डॉ. लोकमणि गुप्ता, कोटा।

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