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आपकी बात, कोरोना टीकाकरण के लिए की गई व्यवस्था क्या संतोषजनक है?

Published: Apr 12, 2021 07:34:27 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात, कोरोना टीकाकरण के लिए की गई व्यवस्था क्या संतोषजनक है?

आपकी बात, कोरोना टीकाकरण के लिए की गई व्यवस्था क्या संतोषजनक है?

बढ़ता संक्रमण और अव्यवस्था
टीकाकरण के साथ-साथ जिस तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ा है, उससे यह साबित होता है कि टीकाकरण की व्यवस्था में बहुत सी खामियां हैं। इसमें सुधार होना चाहिए, ताकि टीकाकरण का अपेक्षित परिणाम मिले। कोविड बचाव के प्रोटोकॉल के अनुसार 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, किन्तु टीकाकरण अभियान में इन्हें टीकाकरण केन्द्र पर आना पड़ता है। साथ में सहायक भी होते हैं, जिससे व्यर्थ ही आवागमन बढ़ता है। अत: 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों का टीकाकरण घर पर किया जाना चाहिए। टीकाकरण सभी क्षेत्रों में एक साथ किया जा रहा है, जबकि अधिक संक्रमण वाले राज्यों में रेड जोन में आने वाले क्षेत्रों में सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ सघन टीकाकरण एक साथ न्यूनतम समय में होना चाहिए। टीकाकरण से पूर्व शिक्षण का वृहद् अभियान चलाया जाना चाहिए, ताकि टीके के प्रति किसी प्रकार का भ्रम नहीं रहे। टीका लगाने वाले कर्मियों को उसी तरह प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, जैसे चुनाव प्रक्रिया के लिए किया जाता है।
-गिरीश कुमार जैन, इंदौर
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तापमान तक नहीं लिया जाता
पूरे भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान जोर-शोर से चल रहा है, लेकिन उचित संसाधनों का अभी भी बहुत अभाव है। वैक्सीन के लिए सामान्य औपचारिकता भी नहीं निभाई जा रही। डायबिटीज और बीपी की जांच तो दूर तापमान तक नहीं लिया जा रहा। न सैनिटाइजेशन पर ध्यान दिया जा रहा। आने वाले व्यक्ति के सीधे ही टीका लगा दिया जाता है।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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संतोषजनक है व्यवस्था
कोरोना टीकाकरण की व्यवस्था संतोषजनक है। टीका लगवाने के बाद भी अगर कोई साइड इफेक्ट दिखाई देता है, तो उससे निपटने की भी समुचित व्यवस्था की गई है। अत: कोरोना टीकाकरण की व्यवस्था को लेकर हम प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकते।
-रेखा कुमारी राव, जोधपुर
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न हो वैक्सीन का निर्यात
इस समय वैक्सीनेशन का काम तेजी से चल रहा है। दिक्कत यह है कि न तो हर जगह वैक्सीन उपलब्ध है, न इसके इलाज में प्रयुक्त होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति हो रही है।। ऐसे में लोग परेशान होकर भटक रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जरूरत को समझते हुए वैक्सीन की देश में पूर्ति करे, फिर विदेशों को भेजे। इससे हताश लोगों की निराशा खत्म होगी।
-नितेश मंडवारिया, नीमच, मप्र
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अव्यवस्थित है टीकाकरण कार्यक्रम
कोरोना टीकाकरण की व्यवस्था चरमराई हुई है। टीकाकरण के लिए अस्पतालों में लंबी लाइन है। पंजीयन के लिए काउंटर भी भीड़ के हिसाब से व्यवस्थित नहीं है। नर्स एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी कमी है। टीकाकरण के पश्चात ऑब्जरवेशन में 30 मिनट रखने की प्रक्रिया दरकिनार हो गई है। टीकाकरण के पश्चात पंजीकृत मोबाइल नंबर भी आनन-फानन में गलत दर्ज किए जा रहे हैं। एक डोज के पश्चात 45 दिन के बाद दूसरे डोज देने के मैसेज मिलने चाहिए। इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। अपने प्रभाव से दबाव डालकर कहीं-कहीं 45 वर्ष से कम लोगों का भी टीकाकरण किया जा रहा है। कहीं आधार कार्ड भी नहीं देखा जा रहा है। कुल मिलाकर कोरोना टीकाकरण के लिए की गई व्यवस्था काफी असंतोषजनक है।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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घर-घर जाकर लगाएं टीके
कोरोना टीकाकरण के लिए जो वर्तमान में व्यवस्था की गई है वह नाकाफी है। सरकार को सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में टीकाकरण की व्यवस्था करनी चाहिए और पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित करना चाहिए। घर-घर जाकर लोगों को टीका लगाया जाना चाहिए और सभी पंचायत स्तर पर व वार्ड स्तर पर मोबाइल चलित चिकित्सा यूनिट की व्यवस्था करनी चाहिए। सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लेकर लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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जन अभियान जरूरी
सरकारी तंत्र घर-घर टीका लगाने में सक्षम है। समस्या है टीके की आपूर्ति एवं उसका सही उपयोग। दूसरी बड़ी समस्या है जनता में टीके के प्रति भरोसा बनाना एवं टीका लगवाने के प्रति तत्परता बढ़ाना। अब भी कुछ लोग मास्क नहीं लगाते। यदि लगाते भी हैं, तो मास्क लगाने का ढंग गलत है। जन अभियान के माध्यम से टीकाकरण की व्यवस्था को संतोषजनक बनाया जा सकता है।
नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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उम्र की बाध्यता खत्म की जाए
कोरोना वैक्सीन की व्यवस्था तो ठीक और संतोषप्रद कही जा सकती है, परन्तु इसमें उम्र की जो बाध्यता खत्म कर देनी चाहिए। साथ ही जब देश में वैक्सीन की कमी है, तो दूसरे देशों को वैक्सीन देना कौन सी समझदारी है। हां, यदि हमारे पास वैक्सीन बहुतायत मात्रा में हो तो वैक्सीन बाहर भेजी जा सकती है।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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गांवों में अव्यवस्था ज्यादा
वैक्सीन के प्रति अब लोगों में जागरूकता तथा सकारात्मकता आई है, किंतु अब इसकी कमी दिखाई दे रही है। शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण अंचल में अव्यवस्था ज्यादा है। टीकाकरण के लिए लाए जाने वाले लोगों को भेड़-बकरी की तरह वाहनों में भरा जा रहा है। टीकाकरण केंद्रों पर पानी तथा आवश्यक सुविधाओं का अभाव है। अव्यवस्था के चलते ही एक मरीज को दो बार वैक्सीन लगाने जैसे मामले सामने आ रहे हैं।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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जरूरी है जन सहभागिता
एक अप्रेल से 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीका लगाने का काम शुरू हो गया है। सरकार ने निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले निजी अस्पतालों को भी अभियान में जोडऩे पर जोर दिया है। केंद्र सरकार इस मामले में आवश्यक सहयोग राज्यों को दे रही है, बस आवश्यकता है तो जन सहभागिता की।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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जरूरी है भ्रांति को दूर करना
कई टीकाकरण केन्द्रों से बिना टीका लगाए लोगों का लौट जाना और टीकाकरण केन्द्रों पर अत्यधिक भीड़ होने से यह तो स्पष्ट होता है कि कोरोना टीकाकरण के लिए की गई व्यवस्थाएं संतोषजनक नहीं हंै। ग्रामीण इलाके के लोगों में तो अब भी है कि टीकाकरण को लेकर संदेह है। इसलिए वे इससे कतराते हैं। इस भ्रांति को दूर किया जाना आवश्यक है। टीकाकरण के लिए आए लोगों के लिए बैठने और पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यदि वैक्सीन खत्म हो गई हो अथवा होने वाली हो तो लिखित सूचना दीवारों पर लगा देना चाहिए। अगली टीकाकरण की तारीख बता देना आवश्यक है। इससे बेवजह लोगों की भीड़ नहीं होगी।
-विभा गुप्ता, बेंगलूरु
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