scriptआपकी बात, क्या देश का लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर हो रहा है? | Is the country's democratic structure weakening? | Patrika News

आपकी बात, क्या देश का लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर हो रहा है?

Published: Oct 28, 2021 05:59:56 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात, क्या देश का लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर हो रहा है?

आपकी बात, क्या देश का लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर हो रहा है?

कमजोर हो गया है लोकतांत्रिक ढांचा
जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन ही लोकतंत्र है, किंतु वर्तमान में देखा जा रहा है कि जनता हर स्तर पर त्रस्त है। लोकतंत्र में जाति और धर्म के आधार पर कोई भेद नहीं होना चाहिए, किंतु राजनीति ने जाति और धर्म की खाई को गहरा कर दिया है। लोग कट्टरपंथी होते जा रहे हैं। वर्तमान में लोकतांत्रिक व्यवस्था को राजनीतिक राजतंत्र कहें, तो अनुचित नहीं होगा। आज जनप्रतिनिधि भी राजतंत्र की भांति पीढ़ी-दर-पीढ़ी चुने जा रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। गरीब एवं ईमानदार लोगों को अवसर प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं , जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पंक्ति में खड़ा अंतिम व्यक्ति भी अहमियत रखता है। इस दृष्टि से देखें, तो वर्तमान में देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का ढांचा नि:संदेह कमजोर होता जा रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था तब ही सार्थक होगी जब देश में किसी प्रकार का कोई भेदभाव नजर नहीं आएगा। साथ ही निष्ठावान और ईमानदार जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे।
-भगवत सिंह राजावत, निहालपुरा, दौसा
…………………
लोकतंत्र पर राजनीति हावी
वर्तमान में सत्ता की चाह लोकतंत्र पर भारी पड़ रही है। लोकतंत्र में जनता राजनीतिक दलों पर विश्वास कर उन्हें अपना समर्थन प्रदान करती है। विधायक जनता का भरोसा तोड़ सरकारें गिरा रहे हैं। लोकतंत्र पर राजनीति इतनी हावी हो गई है कि लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा भी नहीं हो पा रही। लोकतंत्र में आमजन के पास प्रश्न पूछने का अधिकार है । अगर प्रश्न उठाए जाएं, तो सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों में नाराजगी पैदा हो जाती है। पेट्रोल की दरों पर प्रश्न करने पर तालिबान जाने की हिदायत भी दी जाती है। लोकतंत्र में सर्वोपरि देश है, ना कि कोई राजनीतिक दल। इस कमजोर ढांचे को संभालना सिर्फ जनता के हाथ में ही है।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
…………………….
नाम का है लोकतंत्र
लोकतंत्र का अर्थ है जनता के द्वारा जनता के लिए चुना गया शासन और सबको साथ लेकर चलने वाला शासन। मुश्किल यह है कि अब यह तथ्य कोई मायने नहीं रखता। सरकार संसद में बिना विपक्ष को साथ लिए आनन-फानन में विधेयक पारित कर रही है। जनता की तो सरकार परवाह ही नहीं करती।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
…………………
चरमराती व्यवस्था
लोकतंत्र लोगों के लिए एवं लोगों के द्वारा एक व्यवस्था है। हमारे देश की यह व्यवस्था चरमरा रही है। इसके लिए सभी को एकजुट होने, सहयोग करने एवं जिम्मेदार होने की दरकार है।
-मनोज कुमार शर्मा अणुपुरम, चेंगलपट्टु, तमिलनाडु
………………………
विपक्ष मुखर नहीं
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में लोकतांत्रिक ढांचे की चूलें हिल रही हंै। न्याय तंत्र एवं मानवाधिकार पर अंकुश बरकरार है। जनता की आवाज को दबाया जा रहा है। विपक्ष मुखर होकर अपनी बात नहीं कर पा रहा है। लोकतांत्रिक गणराज्य में सबको अभिव्यक्ति का अधिकार है। इस अभिव्यक्ति का जब तक सम्मान नहीं होगा, भारत का लोकतांत्रिक ढांचा मजबूत नहीं होगा।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़, कोरिया, छत्तीसगढ़
………………………
विरोधियों का उत्पीडऩ
लोकतंत्र के नाम पर राजनीतिक विरोधियों का उत्पीडऩ और शोषण किया जा रहा है। लोकतंत्र का अर्थ लोकसत्ता पर कुंडली मारकर बैठ जाना और पूरी तरह मनमाना रवैया अपनाना नहीं है। लोक सेवा और देश सेवा के नाम पर राजनीतिक पार्टियों के लोग ही देश के दुश्मन बने हुए हैं।
-चन्द्र शेखर प्रखर, दतिया
…………………………..
भारत की छवि पर असर
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र निर्वाचित निरंकुशता में बदल गया है। निरंकुशता की प्रक्रिया में नागरिक समाज का भी दमन किया जा रहा है। भारत में उदारवादी विचारधारा के लगातार कम होने के संकेत मिल रहे हंै। मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और विरोधी आवाजों को दबाने से लोकतंत्र प्रभावित हो रहा है। इससे भारत की छवि पर असर पड़ रहा है।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
………………..
आतंकवाद और भ्रष्टाचार है बड़ा कारण
आतंकवाद, घुसपैठ, भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं के कारण लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। अस्तु इन समस्याओं का शीघ्र हल होना चाहिए, ताकि गर्व से कह सकें कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत है।
-बी. एल. शमा, उज्जैन
………………….
कमजोर नहीं है लोकतंत्र
देश का लोकतांत्रिक ढांचा न कभी कमजोर था ना कमजोर है और न कमजोर हो सकता है। हां, जन जागरूकता में बढ़ोतरी जरूर हुई है। स्तरहीन राजनीति और भ्रष्टाचार की गर्दिश में लोकतांत्रिक ढांचा कुछ धुंधला सा जरूर दिखाई पड़ता है, लेकिन जन जागरूकता का सूर्य इस पावन ढांचे को सुदृढ़ एवं चमकदार छवि प्रदान करता है।
-लवकुमार सिंह, बालोद
…………………..
अधिकारों का ज्ञान नहीं
देश की अधिकांश जनता को अपने अधिकारों का ज्ञान न होना, चुने हुए प्रतिनिधि को सर्वेसर्वा समझना, प्रशासनिक अधिकारियों से अपना कार्य उचित ढंग से नहीं करवा पाना और अपनी आवाज न उठा पाना लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर रहा है।
-कार्तिक विजयवर्गीय, इंदौर, मप्र
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो