देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने के संसाधन पर्याप्त रूप से नहीं हैं, ना ही अभी नागरिकों में इसके प्रति कोई जागरूकता है। बाजार में जो इलेक्ट्रिक गाडिय़ां हैं, वे भरोसेमंद नहीं हैं और इनकी सर्विस आम मैकेनिक नहीं कर पाते। इन्हें शो रूम में ही ले जाना पड़ता है। सरकार और ऑटोमोबाइल कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जागरूकता जन-जन तक पहुंचानी चाहिए। सरकार को इसमें और सब्सिडी देनी चाहिए, ताकि ऑटोमोबाइल कंपनियों को बढ़ावा मिले और जनमानस मे इनकी रुचि बढ़े। इसके अलावा हर पेट्रोल पंप पर फास्ट चार्जिंग पॉइंट जैसी सुविधा मुहैया करानी चाहिए, ताकि लोगों को आवागमन में सुविधा हो।
-सौरभ लाहिरी, बिलासपुर
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वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है। वाहनों से ज्यादा प्रदूषण होता है। दो पहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। रोजाना लाखों वाहन पंजीकृत हो रहे है। पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों से निकलने वाला काला धुआं कार्बन उत्सर्जन का मुख्य कारण है। इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दिया जा रहा है। माना जाता है कि बिजली से चलने वाले वाहनों में देखभाल व मरम्मत का खर्चा कम होता है। सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि के दूसरे चरण की मंजूरी दी। इसका मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड वाहनों की तेजी से इस्तेमाल का बढ़ावा देना है। इन वाहनों की खरीद में सब्सिडी का भी प्रावधान है। चार्जिंग के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना विकसित करने पर जोर दिया गया है। आशा है आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ेगी, जिससे पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं से निजात प्राप्त होगी।
-विद्या शंकर पाठक, सरोदा, डूंगरपुर
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देश में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। कहीं न कहीं इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग एक समाधान के रूप में सामने आ सकता है। मुश्किल यह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली दुर्लभ धातुओं का खनन एक नई समस्या उत्पन्न करता है, क्योंकि इनमें से कई धातुएं विषैली प्रकृति की होती है, जो श्वसन संबंधी परेशानियां उत्पन्न करती हैं। फिर भी इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन के लिए भारत के पास पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। हर घर बिजली योजना से बैटरी चार्जिंग की सुविधाएं प्रत्येक उपभोक्ता की पहुंच में हंै । भारत में पर्याप्त मात्रा में अयस्कों का भंडार मौजूद है। जिस तरह भारत ने सौर ऊर्जा के प्रयोग में अपने कदम बढ़ाए हैं, उस लिहाज से वह दिन दूर नहीं जब सौर ऊर्जा से संचालित ग्रीन वाहन भारत की सड़कों पर दौड़ेंगे। भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में कई छोटी स्थानीय कंपनियों और कुछ चीनी कंपनियों ने भारतीयों की पसंद को ध्यान में रख कर इलेक्ट्रिक वाहन उतारे भी हैं। दिनों दिन बढ़ती तकनीक, नवाचार, देश की अर्थव्यवस्था और बाजार की नीतियां कई ऐसे महत्वपूर्ण कारण हैं, जिससे भारत आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों का एक बहुत बड़ा बाज़ार बन सकता है।
-दीपक कुमार गुप्ता, सपोटरा
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देश में इलेक्ट्रिक वाहन चलाना अभी संभव नहीं है, क्योंकि इसके लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध नहीं हंै। टूटी – फूटी सड़कें, पर्याप्त मात्रा में बिजली का न होना, इसका मुख्य कारण है। संसाधन सबसे पहले उपलब्ध करवाने होंगे, तभी जाकर इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन सुनिश्चित हो पाएगा। अत: पर्याप्त मात्रा में संसाधनों की उपलब्धता निश्चित होने पर ही इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन पर जोर देना चाहिए।
-बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
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इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के लिए उपलब्ध संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। बिजली से वाहन की बैटरी मे एनर्जी स्टोर की जाती है। हमारी बिजली वितरण प्रणाली वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों की आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम नहीं है। पर्याप्त संसाधनों के लिए विद्युत क्षमता को बढ़ाना होगा।
-श्वेता विश्वकर्मा, राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
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पेट्रोल और डीजल के वाहनों से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए भारत में अब बिजली से चलने वाले वाहनों के विस्तार को लेकर गंभीरता से काम शुरू हो गया है। सरकार ने साल 2030 तक बिजली से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक वृहद् योजना तैयार की है, क्योंकि इनसे प्रदूषण से छुटकारा मिल जाएगा। नीति आयोग ने बिजली से चलने वाले वाहनों की जरूरत, उनके निर्माण और इससे संबंधित जरूरी नीतियां बनाने की शुरुआत कर दी है। भारत भले ही इलेक्ट्रिक कारों में दूसरे देशों से पीछे है, लेकिन बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा यहां बहुत लोकप्रिय हैं।
-अशोक कुमार शर्मा जयपुर।
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इलेक्ट्रिक वाहन वायु के साथ ध्वनि प्रदूषण को कम करने, मरम्मत खर्च कम आने की वजह से एक अच्छा विकल्प हैं। वर्तमान में 150 चार्जिंग स्टेशन हैं, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत ही कम हंै। इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी में लिथियम का प्रयोग होता है, जो देश में अभी बहुत कम मिल रहा है। इसीलिए हमको इसका आयात करना पड़ता है। अगर हम पेट्रोल पंप की तरह चार्जिंग स्टेशन बढ़ाएं और लिथियम का आयात कम हो, तो इलेक्ट्रिक वाहन देश में चला सकते हैं।
-उर्मिला सिसोदिया, बेंगलुरु
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देश मे संसाधनों की तो कोई कमी नही है बस जरूरत है अवसरों को ढूंढने की। उद्यमियों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। भारत विविधता का देश है। कहीं वायु, कहीं सूर्य, तो कहीं जल से हम ऊर्जा उत्पन्न करके बिजली उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
-जयराज सिंह, रायपुर, भीलवाड़ा
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इलेक्ट्रिक वाहन भारत में खास लोकप्रिय नहीं हैं। इस तकनीक का विदेशों में इस्तेमाल हो रहा है। वहां भी आंशिक रूप से ही प्रचलन है। अगर भारत की बात करें, तो हमारा देश इस संबंध में अभी साधन संपन्न नहीं हो पाया है।
-अरुण भट्ट, रावतभाटा
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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति में कमी जरूर है। इलेक्ट्रिक वाहन मौजूदा समय की जरूरत है। इसके लिए सरकारी भी गंभीर है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी भी दी जा रही है, पर लोगों की खरीदने में रूचि नहीं है। इलेक्ट्रिक वाहनों को और अधिक किफायती बनाने की आवश्यकता है, जिससे आम आदमी की इन तक पहुंच आसान हो।
-हरकेश दुलावा, दौसा
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देश में इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। आवश्यकता इस बात की है कि उपलब्ध साधनों का उपयोग करने के लिये प्रशिक्षित व एक्टिव स्टाफ हो, जो मुस्तैदी के साथ वाहनों को संभाल सके। हमारे देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। बस आवश्यकता है इच्छा शक्ति की।
-सुशील मेहता, ब्यावर
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निस्संदेह पेट्रोल एवं डीजल से चलने वाले वाहनों से अत्यधिक मात्रा में वायु प्रदूषण होता है। इससे पर्यावरण प्रभावित होता है। भारत में अभी बिजली से चलने वाले वाहनों की संख्या कम है, परंतु हालात को ध्यान में रखते हुए हमें इलेक्ट्रिक वाहनों पर अधिक फोकस करना होगा। भौतिक संसाधनों एवं तकनीकी माध्यम से कोई ठोस रोड मैप बनाना होगा।
-महेश आचार्य, नागौर
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देश में इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हंै। हमारे देश में प्रति दिन हजारों टन कचरा शहरों से निकलता है। उस कचरे से विद्युत बनाकर देश में हम इलेक्ट्रिक वाहन चला सकते हैं। इससे हमारे देश में प्रदूषण कम हो सकता हैं।
-राधेश्याम भादू, जयपुर
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इलेक्ट्रिक वाहन के उपयोग में प्रमुख संसाधन विद्युत ऊर्जा है। माना देश में बिजली की समस्या है, लेकिन जिन प्रदेशों-शहरों में पर्याप्त बिजली उपलब्ध है, उन जगहों पर जरूर इलेक्ट्रिक वाहन को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे न केवल पर्यावरण में सुधार होगा, बल्कि पेट्रोल-डीजल की भी बचत होगी।
-जितेन्द्र तिलतिया, इंदौर
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इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के तमाम प्रयासों के बावजूद वाहन बाजार में परंपरागत वाहनों का ही बोलबाला रहेगा। कम से कम अगले एक दशक तक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तस्वीर बदलती नहीं दिख रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों के आगे बढऩे की राह में कई दिक्कतें आ रही हैं, जिनमें देश में चार्जिंग सुविधाओं का अभाव सबसे बड़ी बाधा साबित हो रही है।
-सूर्य प्रकाश गौड़, अंता
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देश में डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दाम आम आदमी के लिए परेशानी बने हुए हंै। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की जरूरत महसूस की जा रही है। मगर इसके लिए बैटरी उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे। बैटरी लंबी दूरी तय कर सके, ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी। पर्यावरण के दृष्टि से प्रतिकूलप्रभाव न पड़े, ऐसे उपाय करने होंगे।
-शिवजी लाल मीणा, जयपुर
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विद्युत संकट हर पल गहराता जा रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन चलाना कैसे उचित होगा? हमारी गाड़ियों की बैटरियां भी एनवक्त पर धोखा दे जाती हैं तो ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन चलाना कैसे संभव है? हम घरों, कल-कारखानों व किसानों को भी समय पर पूरी बिजली नहीं दे पा रहे हैं। फिर इलेक्ट्रिक वाहन चलाना कैसे संभव हो सकता है? हमें पहले अपने पास पर्याप्त संसाधन जुटाने होंगी, तभी इलेक्ट्रिक वाहन चलाना संभव हो सकता है ।
-सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
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ई-वाहन को संचालित करने से पूर्व सरकार को इसके आधार संसाधन विद्युत की आपूर्ति पर ध्यान देना चाहिए। बड़े शहरों को छोड़ते हुए आज भी अनेक स्थान विद्युत संकट से जूझ रहे हैं तथा छोटे शहर भी भयंकर कटौती के कारण परेशान है। अत: जब तक ये समस्या नहीं सुलझती तब तक इलेक्ट्रिक वाहन सीमित ही चले पाएंगे।
-रचित वर्मा, भवानीमंडी, झालावाड़