भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में चुनाव सुधार समय के अनुसार होते रहते हैं और भविष्य में भी होते रहेंगे। भारत में चुनावों में सुधारों का दौर टी.एन. शेषन के समय से शुरू हुआ है, जो अब तक निर्बाध गति से जारी है। अब इंटरनेट का जमाना आ गया है। अत: भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए चुनावों को आधुनिक तकनीक से करवाना शुरू कर देना उचित प्रतीत होता है। प्रत्येक मतदाता को एक पासवर्ड जारी करके एक निर्धारित समय में मतदान करना निश्चित कर देना चाहिए, जिससे आर्थिक भार भी कम पड़ेगा और कार्मिकों की भी इतनी आवश्यकता नहीं होगी। फर्जी मतदान की संभावना भी लगभग नगन्य के बराबर हो जाएगी।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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राजनीति के जटिल आंतरिक चरित्र और गठबंधन की अंतहीन संभावनाओं के चलते भारत में चुनाव परिणाम का अनुमान लगाना बेहद कठिन है। भारत के मतदाता लोकसभा के 543 सदस्यीय निचले सदन के लिए सांसदों का चुनाव करते हैं। क्षेत्र के हिसाब से दुनिया के सातवें बड़े और दूसरी सबसे अधिक आबादी वाले देश में चुनाव कराना बेहद जटिल कार्य है। भारतीय चुनाव प्रणाली की सबसे बड़ी खामी यह है कि चुनाव से पूर्व तक मतदाता सूची अपूर्ण रहती है। परिणामस्वरूप अनेक नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग करने से वंचित रह जाते हैं। इस कारण भारत में चुनाव सुधार जरूरी हैं।
-अजय यादव, पथरिया, छत्तीसगढ़
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भारत में चुनाव सुधारों की महती आवश्यकता है। बहुदलीय व्यवस्था पर रोक लगाकर द्विदलीय व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे पूर्ण बहुमत वाली सरकार बन सके। गठबन्धनों वाली सरकारें विकास नहीं करा सकतीं। सभी ही चुनाव एक साथ हों। इससे समय और धन की बर्बादी रोकी जा सकती है। कानून में संशोधन कर दलबदल पर पूर्ण रोक लगे। जन प्रतिनिधियों की शैक्षणिक योग्यता तय की जाए। जन प्रतिनिधि को जीवन में दो बार से अधिक चुनाव लडऩे का अधिकार न हो
-कैलाश मनभावन सारस्वत, सांजू, नागौर
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भारत में चुनाव सुधार बहुत ज्यादा जरूरी हैं। हर साल किसी ना किसी राज्य में चुनाव चलते ही रहते हैं, जिसमें सरकार का भी पैसा खर्च होता है। भारत में चुनाव एक साथ कराने चाहिए, ताकि पैसे की बचत हो, विकास ज्यादा हो। नगरपालिका अध्यक्ष, मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री के चुनाव सीधे जनता द्वारा हों, ताकि खरीद-फरोख्त पर रोक लगे। अच्छे जनप्रिय लोग चुन कर आएं और देश का विकास करें, अपराधियों को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखने के लिए कानून बने।
-अशोक कुमार, अनूपगढ़, श्रीगंगानगर
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हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। चुनाव लोकतंत्र की नींव होते हैं और हमारे देश में इनमें सुधार भी हुए हैं, लेकिन जब तक देश का शत प्रतिशत मतदाता लोकतंत्र, चुनाव और मतदान के लिए जागरूक नहीं होगा, तब तक चुनाव आयोग के चुनाव सुधार के लिए किए जा रहे प्रयास भी सार्थक नहीं होंगे।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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देश की चुनाव प्रक्रिया में कई खामियां हैं, जैसे सत्तारूद दल द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग, जाली व फर्जी मतदान की बढ़ती प्रवृत्ति, बाहुबल का प्रयोग, जाति व धर्म के नाम चुनाव प्रचार आदि। ऐसे में चुनाव सुधार महत्त्वपूर्ण हो जाते है । चुने गए लोगों की गुणवत्ता ही लोकतंत्र को प्रभावी बनाता है। इसलिए भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र के लिए यह अनिवार्य है कि चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष हों। अत: हमें चुनाव सुधारों की ओर ध्यान देना चाहिए।
. –कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं जयपुर
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भारतीय चुनाव में सत्तारुढ़ दल द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग आम बात हो गई है। दलीय लाभ के लिए प्रशासनिक तंत्र के दुरुपयोग के विरुद्ध विपक्षी दल हमेशा आवाज उठाते रहे हैं, परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि जब भी विपक्षी दल सत्तारुढ़ हुआ तो वह भी इस दोष से मुक्त नहीं हो पाया है।
-सुनिल कुमावत दिवराला, सीकर
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दलबदल की प्रवृत्ति, खरीद-फरोख्त, संसद व विधानसभाओं में अपराधियों का प्रवेश, धनबल, बाहुबल के बढ़ते प्रभाव से लोकतंत्र की साख प्रभावित हो रही है। ऐसे में चुनाव सुधार वक्त की मांग है, तभी राजनीति के बिगड़ते स्वरूप को रोका जा सकेगा और तभी पैसे के बल पर सरकारें गिराने का खेल थम सकेगा।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से चुनाव सुधार भारत में एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता हो गई है। बाहुबलियों के चुनाव में जीत कर आने से लोकतंत्र की छवि धूमिल होती जा रही है। लोकतंत्र स्वस्थ तभी रह पाता है, जब स्वच्छ छवि वाले कर्मठ नेता अपने काम के प्रति जिम्मेदार हों। चुनाव प्रणाली के साथ-साथ राजनेताओं के राजनीतिक व्यवहार को नैतिक बनाने की भी आवश्यकता है।
-हरकेश दुलावा एदौसा
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चुनावों में बढ़ता धन-बल का प्रयोग, राजनीति का बढ़ता अपराधीकरण, भ्रष्टाचार आदि को रोकने के लिए भारत में चुनाव सुधारों की आवश्यकता है। चुनाव सुधारों के लिए दिनेश गोस्वामी समिति ने महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए थे, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
-रवि शर्मा, गंगापुर सिटी