अभी हम प्राथमिक चरण में है। अभी इस परियोजना को सरकार से मंजूरी भी नहीं मिली है। यह इसरो के कार्यक्रमों में शामिल भी नहीं है। हम अभी मानव मिशन के लिए परियोजना दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। हमारा ध्यान अभी रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट तैयार करने पर है। लेकिन, जब तक इस परियोजना को सरकार से मंजूरी मिलेगी, तब तक यह तकनीक तैयार हो जाएगी और काम आगे बढ़ेगा। पीएसएलवी, जीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट की भी कई तकनीकों का विकास परियोजना मंजूर होने से काफी पहले कर लिया गया था। मानव मिशन में भी हम वही कर रहे हैं।
अनूठी बात यह रही है कि मानव मिशन को ध्यान में रखकर किए गए इस परीक्षण के दौरान पांच अन्य तकनीकों को भी हमने परखा जो भविष्य में काम आएंगी। यानी एक मिशन में छह तकनीकों पर मुहर लगी। कू्र मॉड्यूल की मोटर तकनीक, संरचनाएं और एयरोडायनामिक्स की डिजाइनिंग एवं विकास बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन तमाम कार्यप्रणाली आशा के अनुरूप रही और हम मानव मिशन के लिए एक बेहद आवश्यक तकनीक हासिल करने में कामयाब हुए।
कू्र एस्केप सिस्टम का परीक्षण (पैड एबॉर्ट टेस्ट) लांच पैड पर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखकर किया गया है। अगर मिशन लांच करते वक्त आपात स्थिति उत्पन्न होती है तो यह प्रणाली अंतरिक्ष यात्रियों को रॉकेट से अलग करते हुए सुरक्षित स्थान पर ले जाएगी। लेकिन, आपात स्थिति कक्षा में पहुंचने पर भी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए कू्र एस्केप सिस्टम की आवश्यकता अंतरिक्ष यान के कक्षा में पहुंचने और उड़ान भरने के दौरान भी होगी। इसलिए सीईएस का अगला परीक्षण कक्षा में उड़ान भरते वक्त उत्पन्न आपात स्थिति से निपटने को ध्यान में रखकर किया जाएगा। हम किसी मिशन के लिए आवश्यक तकनीक का पूर्वानुमान करते हैं और उसी के अनुरूप उनका विकास व परीक्षण होता है।
नहीं, हमने अभी इसे तैयार नहीं किया। अभी इसके लिए रणनीति बनानी होगी। प्र.मानव मिशन के लिए कितने फंड की आवश्यकता होगी?
हम अभी उसके आस-पास भी नहीं हैं। निसंदेह काफी फंड चाहिए, लेकिन मानव मिशन हमारा सपना रहा है। हम उसे पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।
निश्चित रूप से विक्रम साराभाई के विजन का लाभ आज पूरे देश को मिल रहा है। आज हम मानव मिशन की योजना तैयार कर रहे हैं तो यह उन्हीं के विजन की देन है। मानव मिशन की योजना तैयार हो रही है और उसे बराबर महत्त्व दिया जा रहा है। इसरो लघु, मध्यम और दीर्घ अवधि की योजनाएं भी तैयार करता है जो तीन साल, सात साल और 15 साल के लिए होती हैं। मानव मिशन पर हमारी परियोजना रिपोर्ट जल्द तैयार होगी।
इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। अभी इस पर हम चर्चा कर रहे हैं।
अभी हमारा ध्यान रॉकेट और अंतरिक्षयान पर है। हम अभी प्राथमिक चरण में हैं। प्र.इसरो के आने वाले मिशन कौन-कौन से है?
अभी हम जीएसएलवी मार्क-3 डी-2 से संचार उपग्रह जीसैट-29 प्रक्षेपित करेंगे। उसके बाद पीएसएलवी के दो मिशन आएंगे। जीएसएलवी मार्क-2 से जीसैट-7 ए उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना है। कार्टोसैट शृंखला का भी एक उपग्रह प्रक्षेपित होगा। कई मिशन कतार में हैं।
इसे इसी साल के अंत तक लांच करने की योजना है।