स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए, कार्यों को ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ में विभाजित किया गया है, जिसे डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य प्रणाली ढांचे के रूप में जाना जाता है। यह है सेवा वितरण, स्वास्थ्य कार्यबल, सूचना, चिकित्सा उत्पाद, टीके तथा प्रौद्योगिकी, वित्तपोषण और नेतृत्व। करीब सवा अरब की आबादी तक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाना किसी भी भारत सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। भारत की जिम्मेदारी है कि वह अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को बदलने के लिए इन बिल्डिंग ब्लॉक्स का ध्यान रखे, खासकर महामारी के मद्देनजर। कोविड-19 महामारी के हाल के अनुभव ने स्पष्ट रूप से दर्शाया है कि भारत में एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण की जरूरत है। इसके लिए प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल संस्थानों की एक एकीकृत प्रणाली आवश्यक है। इस पर ध्यान देना होगा कि स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए विभिन्न हिताधारकों के बीच तालमेल को अधिकतम करने का कोई एक ही तरीका सबके लिए फिट नहीं है।
जिले में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संस्थानों को प्रशिक्षण, तकनीकी और पेशेवर सहायता प्रदान करने के लिए जिला अस्पतालों को उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करने की सख्त आवश्यकता है। साथ ही, स्थानीय क्षमता को मजबूत करने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
महामारी से जुड़े हाल के अनुभव से साफ है कि स्वास्थ्य निगरानी सूचना प्रणाली को मजबूत करने पर प्रमुख रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। कोविड-19 का अनुभव बताता है कि जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों पर फिर से विचार होना चािहए। इसमें कोई शक नहीं है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं। इनको मजबूत करने पर अविलंब ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 का इरादा सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च को मौजूदा 1.3 प्रतिशत से बढ़ा कर २०२५ तक सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत तक ले जाना है।
महामारी से यह बात समझ में आई है कि दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए स्वास्थ्य मानकों को बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट दृष्टि की आवश्यकता है। एक लचीली स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने के लिए भारत को अनुभवों से भी सीखने पर ध्यान देना होगा। फीड बैक पर नजर रखनी होगी। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा एक दीर्घकालिक रणनीतिक ढांचा विकसित किया जाना चाहिए क्योंकि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को बदलने का यही समय है।