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सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नई शुरुआत का मौका

Published: Sep 17, 2021 02:06:13 pm

Submitted by:

Patrika Desk

विश्व रोगी सुरक्षा दिवस आज: बेहतर गुणवत्ता के लिए होना होगा सजग

8 new corona positives found in Rajasthan

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– डॉ. चंद्रकांत लहारिया, जन स्वास्थ्य, वैक्सीन और स्वास्थ्य तंत्र विशेषज्ञ

चिकित्सा विज्ञान के जनक की उपाधि से पहचाने जाने वाले यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स का प्रसिद्ध कथन है कि ‘इलाज की पहली अवधारणा होनी चाहिए कि व्यक्ति को कोई नुकसान न पहुंचे।’ हालांकि यह भी सब जानते हैं कि सावधानियां बरतने के बावजूद, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कुछ त्रुटियां ऐसी होती हैं जो टाली जा सकती हैं। इस संदर्भ में, रोगी या मरीज सुरक्षा से आशय है कि स्वास्थ्य सेवा के दौरान किसी भी व्यक्ति को कोई अवांछित नुकसान न पहुंचे। देखा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में मरीजों को हानि होने के चलते, जो स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता की कमी की निशानी भी है, लोगों का स्वास्थ्य सेवाओं से विश्वास कम होने लगता है। इससे स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी हतोत्साहित होते हैं और फिर लोग जरूरत होने पर भी स्वास्थ्य सेवाओं के इस्तेमाल में देरी करने लगते हैं। सबसे बड़ी बात, एक अनुमान के अनुसार असुरक्षित सेवाओं की वजह से कुल स्वास्थ्य लागत का करीब 15 प्रतिशत बेकार चला जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2019 में 17 सितंबर को ‘विश्व रोगी सुरक्षा दिवस’ घोषित किया। इस दिवस का उद्देश्य है रोगी सुरक्षा को लेकर विश्व स्तर पर जागरूकता लाना और स्वास्थ्य सुरक्षा में जनभागीदारी बढ़ाना। 2019 में दिवस की थीम थी-‘रोगी सुरक्षा: वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता।’ 2020 में थीम रही-‘स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए आवाज उठाओ।’ नारा था-‘सुरक्षित स्वास्थ्य कर्मी, सुरक्षित रोगी।’ इसे विश्व भर में कोविड-19 से जंग लडऩे वाले स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित किया गया। वर्ष 2021 की थीम है- ‘सुरक्षित मातृत्व व नवजात देखभाल’ और नारा है-‘शिशु जन्म के लिए सुरक्षित और सम्माननीय प्रसव के लिए अभी कदम उठाएं।’
पूरे विश्व के लिए इस साल की थीम बहुत प्रासंगिक है क्योंकि दुनिया में रोजाना 810 महिलाएं गर्भावस्था और शिशु जन्म संबंधी जटिलताओं के चलते जान गंवा देती हैं। इसी तरह, रोजाना करीब 6,700 नवजात शिशुओं की मौत होती है जो कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कुल मौतों का 47त्न है। असुरक्षित चिकित्सा सेवा के कारण महिला व बच्चे स्वास्थ्य हानि के बड़़े जोखिम से जूझते हैं। सहयोगात्मक वातावरण में कुशल स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षित एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाकर अजन्मे शिशु, मातृ एवं नवजात शिशु मौतों की संख्या कम कर सकते है।
स्वास्थ्य देखभाल सुरक्षित बनाने के लिए इन मुद्दों की हर स्तर पर बेहतर समझ जरूरी है। दरअसल, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ अगर आमजन भी इस बात को समझे कि स्वास्थ्य सेवाओं के कौन-से ऐसे घटक हैं, जिनसे स्वास्थ्य हानि को टाला जा सकता है तो वे सरकारों से बेहतर गुणवत्ता वाली अधिक सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा की मांग कर सकेंगे। स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाता भी अक्सर अपनी व्यस्त दिनचर्या में भूल जाते हैं कि उनका हर छोटे से छोटा कदम स्वास्थ्य सुरक्षा में योगदान साबित हो सकता है। जैसे, स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण रोगी सुरक्षा का अहम पहलू है।
हर रोगी वार्ड के पास और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हाथ धोने के लिए पानी और साबुन की व्यवस्था संक्रमण से बचाव में कारगर है। उपचार संबंधी सरल व मानक प्रोटोकॉल अपना कर चिकित्सकीय संसाधनों का अनावश्यक दोहन कम किया जा सकता है। हर स्वास्थ्य कार्यकर्ता के प्रशिक्षण में रोगी सुरक्षा का प्रावधान सम्मिलित किया जाना चाहिए। इनके साथ रिपोर्टिंग, विचार-विमर्श और गलतियों से सबक लेने की आदत डालना जरूरी है।
भारत में स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है, इसलिए केंद्र सरकार के साथ राज्यों को भी रोगी सुरक्षा में सुधार के लिए अतिरिक्त एवं ठोस उपाय करने की जरूरत है। विश्व रोगी सुरक्षा दिवस स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की नई शुरुआत का एक और मौका है। सभी की भागीदारी और समन्वय से ही यह संभव होगा और हमें इस मौके का बखूबी इस्तेमाल करना चाहिए।

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