पिछले तीन साल में जम्मू-कश्मीर, खासकर कश्मीर घाटी में हालात काफी सुधरे हैं। आतंकियों पर काफी हद तक अंकुश से पर्यटन सेक्टर फिर फल-फूल रहा है। राज्य में दो एम्स, सात नए मेडिकल कॉलेज, पांच नर्सिंग कॉलेज, दो कैंसर संस्थान, जम्मू-श्रीनगर में मेट्रो, आइटी पार्क समेत विकास के कई काम शुरू हो चुके हैं। बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए हर साल 3,500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। बदलाव की बयार को जम्मू-कश्मीर की जनता भी महसूस कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी का जम्मू दौरा राष्ट्रीय पंचायत दिवस पर होना भी सुखद संयोग है। उनके सांबा जिले की पल्ली पंचायत के दौरे और देशभर की ग्राम सभाओं को संबोधित करने से देश-दुनिया तक यह संदेश गया कि सरकार जम्मू-कश्मीर में पंचायत स्तर पर लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में कदम बढ़ा रही है। हाल के दिनों में आतंकियों ने जिस तरह पंचायतों के प्रतिनिधियों को निशाना बनाया है, वह चिंता की बात है। पाकिस्तान की सीमा के बेहद करीब सांबा से पंचायतों को संबोधित कर प्रधानमंत्री ने संदेश दिया कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ है। इस दौरे के महत्त्व को यह कहकर भी रेखांकित किया जा रहा है कि पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद प्रधानमंत्री पहली बार जम्मू पहुंचे। हालांकि यह दौरा पूर्व निर्धारित था।
पिछले साल गृहमंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद वहां चुनाव की संभावनाओं को बल मिला था। प्रधानमंत्री के जम्मू दौरे ने इन संभावनाओं को नए सिरे से उभारा है। परिसीमन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव और लोकप्रिय सरकार का गठन केंद्र सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। फिलहाल सबसे बड़ी राहत यह है कि जिस सूबे से कभी सिर्फ पथराव, हत्याओं और आतंकी हमलों की खबरें आती थीं, अब वहां से विकास, कौशल वृद्धि, नौकरियों और शिक्षा के बारे में खबरें मिल रही हैं।