कश्मीर की मेरी यह पहली यात्रा थी। अच्छी हो या बुरी, इससे पहले धरती के इस ‘स्वर्ग’ को लेकर दिमाग में जो छवि बनी थी, उसके आधार अखबार, पुस्तकें, टीवी और सिनेमा ही थे या फिर कश्मीर की यात्रा करके लौटे मित्रों के वृत्तांत। यात्रा संक्षिप्त ही थी- तीन दिन की। लेकिन इन तीन दिन में पुलवामा के आम युवकों से लेकर जम्मू-कश्मीर में सर्वोच्च पद पर आसीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक तक इतने लोगों से मुलाकात हुईं कि लगने लगा कि घाटी की मौजूदा तस्वीर अब कुछ साफ दिखाई देने लगी है। श्रीनगर हवाई अड्डे से डल झील को जोडऩे वाली शहर की मुख्य सडक़ पर एक छोर से शुरू कर दूसरे छोर पर पहुंच जाए तो ऊंचे पहाड़ों से घिरे इस खूबसूरत शहर के अलग-अलग मिजाज का जायजा एक ही दिन में लिया जा सकता है।