वर्तमान परिस्थितियों में व्यवधान स्थिर हो चुका है और इसी के साथ अब अनुकूलन क्षमता, विकास और निरंतर विकास लंबी अवधि में जीविका की महत्त्वपूर्ण कुंजी बन गए हैं। इस प्रकार नेतृत्व को गंतव्य या अधिकार की स्थिति के बजाय यात्रा के रूप में उपयुक्त रूप से वर्णित किया जा सकता है। प्रभावी और सफल लीडर न केवल स्वयं के, बल्कि अपने साथ काम कर रहे लोगों के लिए और संगठन के लिए भी विकास के अवसर खोजने और नया कुछ सीखने की तलाश में रहते हैं।
जैसे एक नक्शे या दिशासूचक यंत्र की मदद से एक यात्री को अपने गंतव्य की दिशा का निर्धारण करने में मदद मिलती है, वैसे ही एक लीडर को उस दृष्टि की आवश्यकता होती है जो उसे लक्ष्य निर्धारित करने और उन लक्ष्यों के साथ रणनीति तैयार करने में मदद कर सके। जैसे ‘मील का पत्थर’ यात्री को बताता है कि उसने कितनी दूरी तय की है, वैसे ही एक लीडरअपने विकास की यात्रा को पांच-स्तरीय नेतृत्व प्रतिमान का उपयोग कर माप सकता है। यह प्रतिमान नेतृत्व के विकास की यात्रा के प्रमुख चरणों को प्रारंभ से प्रामाणिक नेतृत्व के शिखर तक पहुंचने के आयाम को दर्शाता है। यह समझना आवश्यक है कि ये स्तर ‘वैचारिक’ मील के पत्थर हैं और आधिकारिक पद के स्तर से सीधे संबंधित नहीं हो सकते हैं। एक लीडर को निचले स्तरों की प्रक्रियाओं का अभ्यास करते रहने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि महत्त्वपूर्ण प्रभावशीलता प्राप्त करने के लिए निरंतर उच्च स्तरों क ी ओर अग्रसर रहा जाए।