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अजय मिश्रा मंत्री है, देश के मंत्री हैं। किसी दल के नहीं। यही आधार होना चाहिए निर्णय का। पक्ष-विपक्ष मिलकर ही सरकार चलाते हैं। विपक्ष का होना ही लोकतंत्र का प्रमाण है। दोनों मिलकर देशहित में निर्णय करें, यही लोकतंत्र है। अजय मिश्रा की भाषा स्वयं आपत्तिजनक है। लोकतंत्र को अपमानित करने की, एक बाहुबली द्वारा 130 करोड़ नागरिकों के सम्मान की अवहेलना करने वाली है। क्षमा मांगना तो शायद स्वभाव में नहीं है। ऐसे व्यक्ति को गृह विभाग जैसा दायित्व देना सरकार को मुसीबत में ही डालेगा। वैसे भी एक व्यक्ति यदि सपूर्ण राष्ट्र की भावनाओं को नकारता है और उसको बचाने के लिए यदि संसद ठप हो जाए, तो क्या यह लोकतंत्र का अपमान नहीं है? देश में जब कोई अपूरणीय क्षति होती है, तब संसद का सत्र रद्द हो, झण्डे झुकें तो समझ में आता है। किन्तु किसी आचरणहीन व्यक्ति के दु:साहस को आश्रय देने के लिए ऐसा होता है, तो यह तो अपने आप में ही राष्ट्रीय क्षति है।
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