scriptनेतृत्वः मूल में है नैतिकता, आचार और आदर्श | Leadership: At its core is morality, ethics and ideals | Patrika News
ओपिनियन

नेतृत्वः मूल में है नैतिकता, आचार और आदर्श

ईमानदारी, निष्ठा और निष्पक्षता को महत्त्व देने वाले लीडर दूसरों के लिए उदाहरण स्थापित करते हैं

जयपुरSep 16, 2024 / 10:02 pm

Nitin Kumar

प्रो. हिमांशु राय
निदेशक, आइआइएम इंदौर
…………………………………………

निरंतर विकसित होती दुनिया में जाहिर है कि नेतृत्व की अवधारणा में भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है। यह अब सिर्फ कार्यों को प्रबंधित करने या टीमों को निर्देशित करने तक सीमित नहीं है। नेतृत्व अब अधिक सैद्धांतिक दृष्टिकोण की मांग करता है – जो नैतिकता, आचार और आदर्शों में निहित है। ये तीन स्तंभ सिर्फ अमूर्त अवधारणाएं नहीं हैं, बल्कि इसी नींव पर प्रभावी नेतृत्व का निर्माण संभव है।
नेतृत्व के मूल में नैतिकता निहित है द्ग एक मार्गदर्शक, जो अस्पष्टता के समय में स्पष्ट निर्णय लेने में मदद करता है। यह अच्छे और बुरे के बारे में किसी व्यक्ति की मान्यताओं से उत्पन्न होती है, लीडर के चरित्र को आकार देती है और उनकी पसंद को प्रभावित करती है। नैतिकता का पालन करने वाले लीडर अक्सर ऐसे निर्णय लेने की अधिक संभावना रखते हैं जो केवल व्यक्तिगत या संगठनात्मक लाभ की सेवा करने के बजाय व्यापक लाभ के लिए हों।
उदाहरण के लिए, मैं हर बार सुनिश्चित करता हूं कि मेरे समस्त निर्णय नैतिक हों। कोई भी निर्णय लेने से पहले खुद से महत्त्वपूर्ण प्रश्न पूछता हूं द्ग क्या मैं इस निर्णय के साथ सहज हूं? क्या इससे कोई समग्र भला होगा? क्या मैं यह निर्णय लेने के बाद अच्छी नींद ले पाऊंगा? ये प्रश्न एक व्यक्तिगत ‘लिटमस टेस्ट’ के रूप में काम करते हैं, जिससे मुझे यह मूल्यांकन करने में मदद मिलती है कि क्या मेरे विकल्प मेरे मूल्यों के अनुरूप हैं? मैं यह भी समझ पाता हूं कि उनका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
एक नैतिक लीडर वह होता है जो ईमानदारी, निष्ठा और निष्पक्षता को महत्त्व देता है। वे अच्छा करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, भले ही यह कठिन या अलोकप्रिय हो। वे समझते हैं कि उनके कार्य दूसरों के लिए एक उदाहरण स्थापित करते हैं, और वे इस जिम्मेदारी को गंभीरता से लेते हैं। संकट या अनिश्चितता के समय में, यह अक्सर उनका ‘नैतिक कम्पास’ होता है जो उनके अधीनस्थों में विश्वास और आत्मविश्वास को प्रेरित करता है।
नैतिक नेतृत्व में स्थापित मानकों और सिद्धांतों का पालन करना शामिल है जो किसी संगठन या समुदाय के भीतर व्यक्तियों के आचरण को नियंत्रित करते हैं। इन सिद्धांतों को अक्सर आचार संहिता, पेशेवर दिशा-निर्देशों या सामाजिक मानदंडों के रूप में संहिताबद्ध किया जाता है। नैतिक लीडर वे होते हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि उनके निर्णय और कार्य उनकी व्यक्तिगत नैतिकता और उनके संगठन या समाज के नैतिक मानकों, दोनों के अनुरूप हों। वे अपने व्यवहार में पारदर्शी होते हैं, दूसरों के अधिकारों और गरिमा का सम्मान करते हैं, और अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होते हैं। ऐसे लीडर कठिन बातचीत या निर्णयों से नहीं कतराते, इसके बजाय वे निष्पक्षता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के साथ संवाद स्थापित करते हैं।
नैतिक लीडरों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक प्रतिस्पर्धी हितों को संतुलित करना है। किसी भी निर्णय में, अक्सर अलग-अलग जरूरतों और अपेक्षाओं वाले कई हितधारक होते हैं। एक नैतिक लीडर को इन विचारों को ध्यान से तोलना चाहिए, ऐसे विकल्प बनाने का प्रयास करना चाहिए जो सभी के लिए न्यायसंगत और समान हों। इसके लिए न केवल नैतिक सिद्धांतों की गहरी समझ बल्कि सहानुभूति और करुणा की भी आवश्यकता होती है। इस प्रकार, नैतिकता लोगों को प्रासंगिक रूप से सही निर्णयों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है।

Hindi News / Prime / Opinion / नेतृत्वः मूल में है नैतिकता, आचार और आदर्श

ट्रेंडिंग वीडियो